दिल्ली और उत्तर प्रदेश के बीच बहने वाली यमुना नदी में प्रदूषण की स्थिति बेहद गंभीर बनी हुई है। हाल ही में आई तस्वीरों और वीडियो में नदी के पानी में सफेद जहरीला झाग देखा गया है, जो पूरी नदी को ढकने के साथ-साथ नदी के किनारे तक फैल गया है। यह झाग पूरी तरह से प्रदूषित है, जिसमें केमिकल और कचरे का मिश्रण है, जो नदी के पानी को और भी जहरीला बना रहा है। यमुना में इस प्रकार का प्रदूषण न केवल पर्यावरण के लिए खतरनाक है, बल्कि इससे स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य पर भी गहरा असर पड़ सकता है। यह सफेद झाग न केवल नदी के पानी को प्रदूषित करता है, बल्कि हवा में भी हानिकारक तत्व छोड़ता है, जो बीमारियों का कारण बन सकते हैं।
यमुना का प्रदूषण और बढ़ती समस्या
यमुना नदी का प्रदूषण पिछले कई सालों से बढ़ता जा रहा है और अब यह गंभीर स्तर पर पहुंच चुका है। सफेद झागों का बनना इस बात का प्रमाण है कि नदी में भारी मात्रा में रासायनिक तत्व, कचरा और सीवेज मिल रहे हैं, जिससे पानी की गुणवत्ता बहुत ही खराब हो गई है। प्रदूषित यमुना पानी में मिलने वाले तत्व न केवल जलजीवों के लिए खतरनाक हैं, बल्कि यह आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए भी स्वास्थ्य संकट पैदा कर रहे हैं। इसके अलावा, इस प्रदूषण से स्थानीय लोगों के लिए पीने का पानी भी संकट का कारण बन सकता है।
दिल्ली और एनसीआर में बढ़ता स्मॉग और प्रदूषण
यमुना के प्रदूषण के अलावा, दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्रों में बढ़ते स्मॉग ने स्थिति को और भी विकट बना दिया है। बुधवार को दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया था। इस दिन ग्रेटर नोएडा और नोएडा क्रमशः दूसरे और तीसरे सबसे प्रदूषित शहर रहे। ग्रेटर नोएडा का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 364 और नोएडा का AQI 359 दर्ज किया गया था, जो स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरे का संकेत हैं। ऐसे में प्रदूषण के स्तर में वृद्धि और यमुना के प्रदूषण के कारण सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन और अन्य शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
स्थिति सुधारने के लिए सख्त कदमों की जरूरत
यह स्थिति चेतावनी दे रही है कि यदि यमुना नदी और वायु प्रदूषण के खिलाफ सख्त कदम नहीं उठाए गए तो यह और भी विकट हो सकती है। अधिकारियों को नदी की सफाई, सीवेज ट्रीटमेंट और कचरा प्रबंधन की दिशा में तेजी से काम करने की आवश्यकता है। साथ ही, दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य संकट को कम करने के लिए जल्द से जल्द प्रभावी उपायों की आवश्यकता है।