Kanhaiya Kumar On BJP: कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar ) ने बीजेपी के ‘400 पार’ के नारे को ‘परसेप्शन मैनेजमेंट’ और वास्तविकता बदलने का कुत्सित प्रयास करार दिया। उन्होंने कहा कि बीजेपी (BJP) को हार का डर है और ऐसे में वह देश को धोखा देने की कोशिश कर रही है। कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) ने यह सवाल भी किया कि जो नेता कांग्रेस में रहकर चुनाव नहीं जीत सकते, उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi ) और बीजेपी के लिए भला क्या उपयोगिता है?
साथ ही उन्होंने कहा कि पहले सत्ता में रहे दलों की कहीं न कहीं यह विफलता रही कि लोग ‘बीजेपी के अतिवाद’ की तरफ आकर्षित हो गए, लेकिन यह स्थिति कभी भी बदल सकती है क्योंकि भारत का समाज प्रेम, समानता, सह-अस्तित्व और सहिष्णुता के साथ खड़ा होता है।
यह पूछे जाने पर कि बीजेपी ‘400 पार’ का नारा दे रही है, तो ऐसे में क्या यह नहीं लगता कि विमर्श की लड़ाई में विपक्ष कहीं पीछे छूट रहा है।
कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar ) ने इस पर कहा कि ‘इस बात में ही बीजेपी की हताशा झलकती है, हार का डर झलकता है। क्या आपने सुना है कि भारतीय क्रिकेट टीम आस्ट्रेलिया से मैच खेलने गई हो और मैच से पहले कह रही हो, 400 पार। नहीं कहती है। कहती है कि अच्छा खेलेंगे और विश्व कप जीतेंगे। कन्हैया कुमार ने दावा किया कि ‘परसेप्शन मैनेजमेंट’ से वास्तविकता को बदलने की कोशिश की जा रही है।
कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar ) ने आगे कहा कि धारणा के आधार पर वास्तविकता को बदलने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है। अगर 400 पार हो ही रहा है तो ‘फुके हुए कारतूसों’ को अलग-अलग जगह से अपनी पार्टी में शामिल कराने का क्या मतलब है? मान लीजिए आप मैच जीत रहे हैं तो ऑस्ट्रेलिया के कप्तान को घूस देने का क्या मतलब है या उसके संन्यास ले चुके खिलाड़ियों को अपने साथ लेने की क्या जरूरत है? कन्हैया ने सवाल किया कि अगर कोई कांग्रेस में रहकर चुनाव नहीं जीत रहा है तो बीजेपी में उसकी क्या उपयोगिता है? उन्होंने कांग्रेस के कई नेताओं के पाला बदलने का हवाला देते हुए कहा कि आप जिन लोगों को बुरा-भला कहते थे अब उनकी तारीफ कर रहे हैं। कई ऐसे लोग थे जिन्हें राष्ट्रविरोधी शब्द से संबोधित किया जाता था, लेकिन अब वे बीजेपी में हैं। ऐसा लगता है कि बीजेपी को बेशर्मी की खदान हाथ लग गई है जब मौका मिलता है थोड़ी बेशर्मी निकाल लाती है। जो टीवी स्टूडियो में मुर्गे की तरह लड़ रहे थे, अब एक तरफ जाकर बैठे हैं।