प्रयागराज महाकुंभ What happened when a sadhu was stopped from bathing in the Ganga during Mahakumbh?What happened when a sadhu was stopped from bathing in the Ganga during Mahakumbh?

महाकुंभ के दौरान जब एक साधु को गंगा स्नान करने से रोका तो क्या हुआ ?
प्रयागराज महाकुंभ

क्या हुआ जब प्रयागराज महाकुंभ के दौरान एक साधु को गंगा स्नान करने से रोका गया उसके बाद प्रयागराज के उस गंगा घाट पर जो चमत्कार हुआ उसे देखकर आपके पैरों तले जमीन खिसक जाएगी, प्रयागराज में सदी का सबसे बड़ा महाकुंभ लगा हुआ है… ये महाकुंभ 144 साल बाद लगा है, और ये ही वजह है कि, ये महाकुंभ बहुत अधिक महत्व रखता है… ये ही वजह है कि, देश और दुनिया से करोड़ों लोग इस महाकुंभ में पहुंच रहे हैं… लेकिन अभी हाल ही में जो घटना सामने आई है…

उसने सभी के होश उड़ा दिए हैं, जहां पर एक साधु महाराज को गंगा नदी में स्नान करने से रोका गया… कोई भी कुंभ साधुओं के बिना अधूरा होता है, क्योंकि ये साधु संतों के आगमन और स्नान से ही कोई भी कुंभ संपूर्ण माना जाता है…

इस घटना की शुरुआत होती है मध्य प्रदेश के महेश्वर में रहने वाले राधानंद जी महाराज से, राधानंद जी महाराज रोजाना सुबह 4 बजे उठकर ठंडे पानी से स्नान किया करते थे और भिक्षा प्राप्त करने के लिए निकल जाते थे उन्होंने अपने जीवन काल में सांसारिक सुख का त्याग करके कई तपस्या की और कई सिद्धियां हासिल की वे महेश्वर के घाट पर ही निवास करते थे,

जब उन्हें प्रयागराज महाकुंभ लगने की खबर मिली तो वे महाकुंभ में जाने के लिए बहुत उत्साहित थे, वे तकरीबन एक माह पूर्व महाकुंभ में पहुंचना चाहते थे… क्योंकि वे वहीं पर दो से तीन महीने बिताना चाहते थे… उनका ऐसा कहना था कि, महाकुंभ वो पवित्र समय होता है जहां पर देवी देवता स्वयं उस स्थान पर मौजूद होते हैं वहां पर तप करना साधना करना भगवान का ध्यान कर बहुत ही बहुत ज्यादा फलदाई होता है…

अगले दिन सुबह राधानंद जी महाराज जब प्रयागराज पहुंचे तो सुबह के साढ़े बज रहे थे सुबह सुबह 4 बजे उनका स्नान करने का दैनिक नियम था उन्होंने सोचा क्यों ना आज गंगा नदी का पवित्र स्नान किया जाए और वे प्रयागराज के गंगा घाट पर पहुंच गए… उस स्थान पर गंगा नदी की सफाई का कार्य चल रहा था राधानंद जी महाराज को यह देखकर बहुत खुशी हुई, जब उन्होंने अपने कपड़े उतारे और गंगा नदी में स्नान करने के लिए आगे बढ़े, तो वहां पर खड़े कुछ नगर निगम के अधिकारियों ने उन्हें रोक दिया…

उनका कहना था कि आप अभी स्नान नहीं कर सकते, क्योंकि इस समय साफ सफाई का कार्य चल रहा है… प्रयागराज में रोजाना रात्रि के समय गंगा नदी की साफ सफाई का कार्य किया जाता है ताकि दिन और शाम के समय यात्रियों को इस कारण कोई मुश्किलें ना हो, राधानंद जी महाराज काफी धैर्यवान थे, उन्होंने सफाई अधिकारियों को समझाया कि बात बहुत अच्छी है लेकिन नित्य मेरा 4:00 बजे नहाने का नियम है…

और आज अगर मैं प्रयागराज पहुंचा हूं तो मैं गंगा नदी में ही स्नान करूंगा और मेरे एक अकेले के नहाने से ना तो तुम्हारी व्यवस्था बिगड़ेगी और ना ही मुझे कोई समस्या होगी, लेकिन वो अधिकारी अचानक से गुस्सा हो गया और उन साधु महाराज से कहने लगा कि, आपको इसी समय क्यों नहाना है…

अभी पूरा दिन पड़ा हुआ है क्या यहां पर तुम्हें कोई इंसान नहाता हुआ दिख रहा है क्या तुम्हारे अंदर इतनी शक्ति है कि तुम सुबह 4 बजे इतने ठंडे पानी से स्नान कर लोगे, व्यर्थ की बातें बनाना छोड़ दो और यहां से चले जाओ अभी तक तो राधानंद जी महाराज बहुत विनम्र थे काफी धैर्यवान थे लेकिन उस अधिकारी के अपशब्दों को सुन कर के अचानक उन्हें बहुत बुरा लगा… उनका ऐसा मानना था कि, गंगा नदी पर किसी का अधिकार नहीं है…

ये तो साक्षात भगवान शंकर की जटाओं से निकलती है, जिसके अंदर सभी को अपने पाप धोने का अधिकार है… और उसके लिए कोई निश्चित समय नहीं हो सकता, लेकिन उस समय राधानंद जी महाराज ने उस अधिकारी को कुछ नहीं कहा और सामने घाट पर ध्यान अवस्था में बैठ गए, सबको लग रहा था कि वे साधु महाराज मान गए हैं और पीछे हट गए हैं अब जब पुनः गंगा नदी के अंदर साफ सफाई की मशीनों को शुरू किया गया.

तो अचानक से एक बहुत बड़ी घटना घट गई वे सभी मशीनें शुरू होने का नाम ही नहीं ले रही थी ऐसा लग रहा था मानो वह जाम हो गई हो या उनके अंदर बहुत सारा कचरा फंस गया हो अधिकारियों ने मशीन को देखा परखा और उसके अंदर का सारा कचरा बाहर निकाल दिया… सबको उम्मीद थी कि, अब मशीनें कार्य करने लगेगी…

लेकिन फिर जब मशीन शुरू की गई तो कोई भी मशीन चालू होने को तैयार ही नहीं थी सभी अधिकारी बहुत हैरान थे किसी की भी समझ नहीं आ रहा था लेकिन जब मशीन चालू नहीं हुई तो कई मैकेनिकल इंजीनियरों की टीम को मशीन देखने के लिए बुलाया गया. उन सभी मैकेनिकों ने मशीनों को अच्छी तरह से जांचा परखा और ये ही पाया कि मशीन तो एकदम सही है… लेकिन इसके चालू ना होने का कारण किसी को समझ नहीं आ रहा था… राधानंद जी महाराज अभी भी उसी घाट पर ध्यान अवस्था में बैठे हुए थे…

गंगा नदी की साफ सफाई का कार्य उस दिन रुका हुआ था. सभी लोग बहुत हैरान थे उस समय जो मैकेनिकल इंजीनियर वहां पर मशीन सही करने आया था…. उसने जब राधानंद जी महाराज को देखा तो उसकी आंखें खुली की खुली रह गई, वह राधानंद जी महाराज के चरणों में गिर गया और बाबा उसे आशीर्वाद देने लगे फिर वह सभी अधिकारियों को बताने लगा कि, यह महेश्वर के सिद्ध महाराज है बचपन के समय पर एक बार जब मुझे सांप ने दस लिया था…

तो इन्होंने ही अपने चमत्कार से मेरी जान बचाई थी, तब उस अधिकारी को अपनी गलती का एहसास हुआ.. वो समझ चुका था अगर ये अपने दैनिक नियम के अनुसार 4 बजे गंगा स्नान करना चाहते थे… तो मुझे इन्हें रोकने का अधिकार नहीं था मैंने जो इनका अपमान किया इन्हें भला बुरा कहा और गंगा नदी में स्नान करने से रोक दिया उसी का परिणाम मशीनों की खराबी के रूप में हम भुगत रहे हैं…

अब ये ही हमारी समस्या का समाधान कर सकते हैं हमें इनसे माफी मांगनी पड़ेगी… सभी अधिकारी मिलकर राधानंद जी महाराज के पास गए, उनके चरणों में बैठ गए और हाथ जोड़कर कहा कि हमें इस बात का अंदाजा नहीं था कि आप एक दिव्य संत हैं हमसे बहुत बड़ी भूल हो गई है…

हमें आपको स्नान करने से नहीं रोकना चाहिए था राधानंद जी महाराज अभी भी बहुत विनम्र थे उन्होंने अधिकारियों से कहा कि यह जरूरी नहीं है कि कोई संत चमत्कारी खोखे तभी ही उसे गंगा नदी में स्नान की अनुमति दी जाए… गंगा नदी के ऊपर साधु संतों का सबसे पहला अधिकार है सभी अधिकारियों ने उनसे हाथ जोड़कर कहा अब आप गंगा नदी में स्नान कर सकते हैं…

हम आपसे बहुत माफी चाहते हैं राधानंद जी महाराज समझ चुके थे कि सभी अधिकारियों को उनकी गलती का एहसास हो गया है उनका अभिमान दूर हो गया है उन्होंने विनम्रता पूर्वक उन अधिकारियों से कहा कि तुम चिंता क्यों करते हो अभी समय कहां बीता है जरा अपनी घड़ी में समय तो देखो आखिर क्या बजे हैं… जब सभी अधिकारियों ने अपनी घड़ी में समय देखा तो उनके रोंगटे खड़े हो गए, क्योंकि उस समय सुबह के 4:00 बज रहे थे किसी भी अधिकारी को यह समझ नहीं आ रहा था आखिर इतना बड़ा चमत्कार कैसे हुआ, आखिर राधानंद जी महाराज ने अपने चमत्कार से समय को कैसे पलट दिया…

इतना बड़ा चमत्कार देखकर सभी अधिकारी उनके चरणों में गिर गए और बाबा की जयकार लगाने लगे इस चमत्कारी घटना के बाद सब लोग उन्हें मान गए और उनके दास बन गए जिसके बाद वे सुबह 4:00 बजे अपने नित्य कर्म के अनुसार वे गंगा नदी में स्नान करने पहुंचे और इधर मशीनों को फिर से काम करना शुरू कर दिया… सारी मशीनें एक साथ चालू हो चुकी थीं, जिससे ये प्रमाणित हो गया कि यह मशीनें केवल रामानंद जी महाराज के इशारे का इंतजार कर रही थी जैसे ही उन्होंने अधिकारियों का अभिमान चूर किया और गंगा नदी में स्नान किया…

वैसे ही फिर से मशीनें चल पड़ी यह बहुत बड़ा चमत्कार था जो हाल ही में प्रयागराज के महाकुंभ में हुआ है… वास्तव में दोस्तों ये भूमि साधु संतों की भूमि है यहां पर साधु संतों का ना तो अपमान किया जा सकता है… और ना ही उन्हें जो समझा जाता है इस देश का हर संत इस देश के लिए कुछ ना कुछ करता है और भक्तों को अध्यात्म के मार्ग से जोड़ता है… हमें कभी भी उनका अपमान नहीं करना चाहिए और ना ही उन्हें छोटा समझना चाहिए