16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में एक 23 वर्षीय छात्रा का सामूहिक बलात्कार और हत्या ने देशभर में आक्रोश और प्रदर्शनों की लहर पैदा की। यह केस 'निर्भया कांड' के नाम से जाना गया और इसके बाद भारत में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर व्यापक बहस छिड़ी। इस घटना के बाद, सरकार ने तत्कालीन कानूनों में सुधार करते हुए निर्भया कानून लागू किया, जिसमें बलात्कार के मामलों के लिए सजा की सख्त सजा की व्यवस्था की गई।
उन्नाव जिले में एक महिला ने बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ बलात्कार का आरोप लगाया। इस केस ने राजनीति में प्रभावी लोगों द्वारा अपराध करने और पीड़िता को न्याय न मिलने की समस्या को उजागर किया। पीड़िता और उसके परिवार पर कई बार हमले हुए, जो इस मामले की गंभीरता को और बढ़ा दिया।
हाथरस में एक 19 वर्षीय दलित महिला का बलात्कार और हत्या ने पूरे देश को हिला दिया। पीड़िता को गंभीर चोटें आईं और वह इलाज के दौरान दिल्ली के अस्पताल में मर गई। पुलिस ने इस मामले को संदिग्ध परिस्थितियों में उठाया, जिससे समाज में एक बड़ी प्रतिक्रिया हुई। घटना के बाद, पीड़िता के शव को बिना परिवार की अनुमति के जलाने की कोशिश की गई, जिससे आक्रोश और अधिक बढ़ गया।
कपूरथला में एक 7 वर्षीय बच्ची के साथ बलात्कार का मामला सामने आया, जिसमें कई लोग शामिल थे। इस मामले ने पंजाब में बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों के बढ़ते मामलों को उजागर किया। मामले की गहराई और दोषियों की गिरफ्तारी की प्रक्रिया ने समाज में गहरी चिंता पैदा की।