उत्तराखंड के चमोली जिले के माणा गांव के पास हुए एक हिमस्खलन में अब तक 16 मजदूरों को सुरक्षित बचा लिया गया है। माणा, जो बद्रीनाथ धाम के पास स्थित भारत का अंतिम गांव माना जाता है, के पास हुई इस घटना में 57 मजदूरों के दबने की खबर मिली थी। ये मजदूर सीमा सड़क संगठन (BRO) के तहत काम कर रहे थे और सेना की आवाजाही के लिए सड़क मार्ग से बर्फ हटाने का कार्य कर रहे थे। हिमस्खलन के बाद राहत और बचाव कार्य तेजी से चल रहा है, लेकिन खराब मौसम और बर्फबारी के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन में मुश्किलें आ रही हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जानकारी देते हुए बताया कि रेस्क्यू ऑपरेशन लगातार जारी है और सेना, ITBP, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम मौके पर जुटी हुई है। मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के माध्यम से भी स्थिति की जानकारी दी, जिसमें उन्होंने राहत कार्य की तारीफ की और श्रमिकों की सुरक्षित वापसी की प्रार्थना की। उन्होंने लिखा, “जनपद चमोली में माणा गांव के निकट BRO द्वारा संचालित निर्माण कार्य के दौरान हिमस्खलन की वजह से कई मजदूरों के दबने का दुःखद समाचार प्राप्त हुआ। ITBP, BRO और अन्य बचाव दलों द्वारा राहत एवं बचाव कार्य संचालित किया जा रहा है। भगवान बदरी विशाल से सभी श्रमिक भाइयों के सुरक्षित होने की प्रार्थना करता हूं।”
रेस्क्यू टीम ने घटना के तुरंत बाद घटनास्थल पर पहुंचकर बचाव कार्य शुरू कर दिया था। राहत और बचाव दलों ने बर्फ में दबे हुए मजदूरों को सुरक्षित निकालने के लिए त्वरित कार्रवाई की, और अब तक 16 मजदूरों को बचा लिया गया है। हालांकि, यह घटना अत्यधिक संवेदनशील है, और मौसम की स्थिति की वजह से रेस्क्यू ऑपरेशन को चुनौती मिल रही है।
यह घटना माणा गांव के निकट हुई, जो बद्रीनाथ धाम के मार्ग पर स्थित है। माणा को भारत के अंतिम गांव के रूप में जाना जाता है और यह एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल भी है। इस हादसे के बाद क्षेत्र में भारी बर्फबारी और खराब मौसम के कारण राहत कार्य में दिक्कतें आ रही हैं, लेकिन संबंधित अधिकारी और रेस्क्यू टीम लगातार प्रयासरत हैं।
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