महाकुंभ

स्नान के दौरान नागा साधु का अंदाज़ बोहोत ही निराला था, त्रिवेणी संगम में उन्होंने पूरे जोश के साथ प्रवेश किया और पवित्र जल के साथ अठखेलियां कीं। इस दौरान सभी नागा आपस में मस्ती करते हुए नजर आए। उत्तर प्रदेश के प्रयाग राज में महाकुम्भ के अंतिम स्नान करते हुए नागा साधुओं का अद्भुत प्रदर्शन श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना। त्रिवेणी घाट पर इन साधुओं की पारंपरिक और अद्वितीय गतिविधियों ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा है। अमृत स्नान के लिए ज्यादातर अखाड़ों का नेतृत्व कर रहे इन नागा साधुओं का अनुशासन और उनका पारंपरिक शस्त्र कौशल देखने लायक रहा।

कभी डमरू बजाते हुए दिखे तो कभी भाले और तलवार को लहराते हुए नजर आये,इन साधुओं ने युद्ध कला का अद्भुत प्रदर्शन भी किया। लाठियां भांजते हुए और अठखेलियां लगाते हुए ये साधु अपनी परंपरा और जोश का प्रदर्शन करते नजर आए।

घोड़ों पर और पैदल निकली शोभा यात्रा
वसंत पंचमी के अमृत स्नान के लिए निकली अखाड़ों की शोभा यात्रा में कुछ नागा साधु घोड़ों पर सवार होकर निकले तो वहीं कुछ पैदल चलते हुए दिखे। इस दौरान अपनी विशिष्ट वेशभूषा और आभूषणों से सजे हुए नजर आए। जटाओं में फूल, फूलों की मालाएं और त्रिशूल हवा में लहराते हुए उन्होंने महाकुंभ की पवित्रता को और भी बढ़ा दिया।

महाकुंभ

महाकुंभ केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि…

अनुशासन में रहने वाले इन साधुओं को कोई रोक नहीं सकता था। लेकिन अखाड़ों के शीर्ष पदाधिकारियों के आदेशों का पालन करते हुए नजर आए। नगाड़ों की गूंज के बीच उनके जोश ने इस अवसर को और भी खास बना दिया। त्रिशूल और डमरू के साथ उनके प्रदर्शन ने यह संदेश दिया कि महाकुंभ केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि प्रकृति और मनुष्य के मिलन का उत्सव भी है।

नृत्य, नगाड़े और उत्साह

शोभायात्रा के दौरान मीडिया वालों से ही नहीं बल्कि आम लोगो से भी पुरे हाव भाव से मिलते हुए नजर आये और आम श्रद्धालुओं ने अपने कैमरों में इस नज़ारे को कैद किये नागा साधु भी किसी को निराश नहीं किये बल्कि अपने हाव भाव से उन्हें आमंत्रित कर रहे थे कुछ नागा साधू तो अपने आँखों में ब्लैक चस्मा लगा कर आम श्रद्धालुओं से इंटरैक्ट करते हुए नजर आये

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