महाकुंभ 2025 के आयोजन में, जो संगम क्षेत्र में हुआ, इस बार महाशिवरात्रि के बाद भी श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए कई प्रकार की सुविधाएं जारी रहेंगी। संगम स्थल पर होने वाली विभिन्न गतिविधियों और स्नान के लिए आवश्यक सुविधाओं को बरकरार रखने का निर्णय लिया गया है, ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े। महाकुंभ की समाप्ति के बाद भी इस क्षेत्र में न केवल धार्मिक आयोजनों के लिए बल्कि पर्यटन के उद्देश्य से भी लोग आते रहेंगे।
महाशिवरात्रि के बाद संगम क्षेत्र में हर प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध रहेंगी। जहां तक घाटों पर स्नान की बात है, वह जारी रहेगा। इसके अलावा, सुरक्षा, चकरप्लेट, और पेयजल, शौचालय जैसी सुविधाएं भी मौजूद रहेंगी। मेला प्रशासन ने यह सुनिश्चित किया है कि श्रद्धालु आराम से स्नान कर सकें और उनकी अन्य आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके। संगम क्षेत्र में, जिसमें सेक्टर दो, तीन और चार शामिल हैं, इन सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा ताकि श्रद्धालुओं को कोई परेशानी न हो।
महाकुंभ के दौरान की तरह श्रद्धालु अब नाव के माध्यम से भी संगम स्थल तक पहुंच सकते हैं। बोट क्लब और किला घाट से नावों का संचालन किया जाएगा, ताकि लोग नाव से संगम तक पहुंचकर स्नान कर सकें। यह सेवा श्रद्धालुओं के लिए एक आकर्षण का केंद्र बनेगी और उन्हें एक नया अनुभव प्रदान करेगी। हालांकि, महाकुंभ के समाप्त होने के बाद, पहले जैसे बड़े पैमाने पर आकर्षण और प्रदर्शनी जैसे पंडाल, हॉट एयर बैलून, हेलीकॉप्टर सेवा आदि की उपलब्धता नहीं रहेगी।
महाशिवरात्रि के बाद भी संगम क्षेत्र में श्रद्धालुओं और पर्यटकों के आने की संभावना को देखते हुए मेला प्रशासन ने मेला अवधि बढ़ाने की संभावना पर विचार किया। माघी पूर्णिमा स्नान पर्व के बाद भी श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या संगम पर आ रही है। मेला प्रशासन के आंकड़ों के अनुसार, शनिवार तक करीब 75 लाख लोग स्नान कर चुके थे। इस आंकड़े से यह स्पष्ट है कि महाकुंभ की समाप्ति के बाद भी संगम स्थल पर श्रद्धालुओं की भीड़ बनी रहेगी।
हालांकि, मेलाधिकारी विजय किरन आनंद ने मेला अवधि बढ़ाने की संभावना को नकारते हुए कहा कि महाकुंभ या कुंभ मेले की अवधि पहले से निर्धारित होती है, जो पौष पूर्णिमा या मकर संक्रांति से शुरू होकर महाशिवरात्रि तक चलती है। ऐसे में इसे बढ़ाना संभव नहीं है। इसके अलावा, मेला प्रशासन ने एनजीटी से करार किया है कि महाकुंभ के बाद सभी अस्थायी बसावटों को 15 दिनों के भीतर हटा लिया जाएगा।
संगम क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था को भी पहले से कहीं अधिक सख्त किया गया है। हर घाट और संगम के आसपास सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए गए हैं। इसके अलावा, बारिश होने तक संगम और आसपास के घाटों की सफाई और रखरखाव भी किया जाएगा ताकि श्रद्धालुओं को कोई परेशानी न हो। पेयजल, शौचालय, चकरप्लेट, और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाएं मेला समाप्त होने के बाद भी उपलब्ध रहेंगी।
प्रयागराज, जिसे काशी और अयोध्या की तरह एक प्रमुख धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में उभरते हुए देखा जा रहा है, महाकुंभ के बाद भी श्रद्धालुओं और पर्यटकों का ध्यान आकर्षित करेगा। काशी और अयोध्या जैसे धार्मिक स्थलों की तरह अब प्रयागराज भी एक टूर पैकेज का हिस्सा बन जाएगा। यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए प्रयागराज भी एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो रहा है।
महाकुंभ के बाद संगम क्षेत्र में श्रद्धालुओं की लगातार बढ़ती संख्या को देखते हुए मेला प्रशासन ने विभिन्न सुविधाओं में विस्तार करने की योजना बनाई है। इसके तहत संगम क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था को और बेहतर किया जाएगा, और जो सुविधाएं महाकुंभ के दौरान उपलब्ध थीं, उनका विस्तार किया जाएगा ताकि हर श्रद्धालु को संतुष्ट किया जा सके।
प्रयागराज का संगम क्षेत्र हमेशा से धार्मिक महत्व का रहा है, और महाकुंभ जैसे आयोजन ने इस महत्व को और बढ़ाया है। महाकुंभ का आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सांस्कृतिक और पर्यटन के दृष्टिकोण से भी एक बड़े बदलाव का संकेत है। इस आयोजन के बाद प्रयागराज को एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में मान्यता मिलने की संभावना है। काशी और अयोध्या की तरह प्रयागराज में भी अब धार्मिक यात्रा को एक पारिवारिक और पर्यटन अनुभव के रूप में विकसित किया जाएगा।