फिल्म अभिनेत्री और भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) की सांसद कंगना रनौत के खिलाफ चल रहे मामले में उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं। किसान आंदोलन और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर उनके विवादित बयानों को लेकर दायर की गई याचिका में कंगना रनौत को अदालत में पेश होने का आदेश दिया गया था, लेकिन 7 दिसंबर को वह कोर्ट में पेश नहीं हुईं। अदालत ने अब अगली सुनवाई की तारीख 18 दिसंबर निर्धारित कर दी है।
कंगना रनौत, जिनके बयान अक्सर चर्चा का विषय बने रहते हैं, इस बार अपने बयानों की वजह से विवादों में घिरी हुई हैं। किसानों के खिलाफ की गई अभद्र टिप्पणी और महात्मा गांधी के अहिंसा के सिद्धांतों का मजाक उड़ाने के आरोपों पर उन्हें जवाब देना था, लेकिन अदालत में पेश न होने के कारण उनकी परेशानी अब और बढ़ सकती है।
किसान आंदोलन पर विवादित बयान और राष्ट्रपिता गांधी पर टिप्पणी
कंगना रनौत का विवादित बयान तब सामने आया था जब उन्होंने 26 अगस्त 2024 को एक साक्षात्कार में किसान आंदोलन को लेकर अभद्र टिप्पणी की थी। उन्होंने किसानों को लेकर ऐसी बातें कहीं थीं, जिन्होंने कई वर्गों में नाराजगी पैदा की। इसके बाद 16 नवंबर 2021 को महात्मा गांधी के अहिंसात्मक सिद्धांतों का मजाक उड़ाने वाला एक और बयान दिया था। इस बयान ने उन्हें विवादों में घेर लिया, और इसके बाद उनके खिलाफ कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी।
राजीव गांधी बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता रमाशंकर शर्मा ने कंगना रनौत के खिलाफ यह मामला अदालत में दायर किया था। उनका कहना था कि कंगना रनौत के बयान ने देश के किसानों और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का अपमान किया है, जो देशवासियों के लिए गहरी चिंता का विषय है।
कोर्ट का आदेश और कंगना का अनुपस्थिति
अदालत ने कंगना रनौत को पहले 28 नवंबर 2024 को कोर्ट में पेश होने के लिए आदेश दिया था, लेकिन उन्होंने न तो खुद अदालत में पेशी की और न ही किसी अधिवक्ता को भेजा। इस पर कोर्ट ने उन्हें दूसरी बार नोटिस भेजा और 7 दिसंबर को सुनवाई के लिए तिथि तय की। फिर, जब कंगना रनौत 7 दिसंबर को भी अदालत में पेश नहीं हुईं, तो अदालत ने एक बार फिर से नई तिथि 18 दिसंबर 2024 तय की।
अदालत में पेश नहीं होने का गंभीर परिणाम
कंगना रनौत की अनुपस्थिति को लेकर अदालत की सख्त प्रतिक्रिया सामने आई है। अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि अगर कंगना 18 दिसंबर को भी कोर्ट में उपस्थित नहीं होतीं, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सकती है। यह मामला केवल कंगना के लिए एक कानूनी चुनौती नहीं है, बल्कि यह पूरे फिल्म इंडस्ट्री और राजनीति में उनके प्रभाव के कारण भी महत्वपूर्ण बन गया है। अगर कंगना को अदालत में पेश होने का आदेश दिया गया है, तो उन्हें इसका पालन करना जरूरी है।
इस मामले में अदालत ने उन आरोपों की गंभीरता को समझते हुए आदेश दिया कि कंगना रनौत को पेश होकर अपना पक्ष रखना चाहिए। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इस तरह के बयान देश की एकता और अखंडता के लिए खतरनाक हो सकते हैं, खासकर जब वे देश के सम्मानित नेताओं और आंदोलनों को लेकर किए जाएं।
कंगना के बयानों पर विवादों का घेरा
कंगना रनौत के बयान अक्सर विवादों में घिरे रहते हैं। यह पहली बार नहीं है जब उन्होंने किसी संवेदनशील मुद्दे पर टिप्पणी की हो। हाल ही में उन्होंने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट्स और मीडिया साक्षात्कारों में कई मुद्दों पर अपनी राय रखी थी, जो विभिन्न वर्गों में नाराजगी का कारण बने। हालांकि, कंगना इन विवादों से बाहर निकलने की कोशिश करती रही हैं और उनके समर्थक भी उन्हें सही ठहराने की कोशिश करते रहे हैं।
उनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि, विशेषकर भाजपा से जुड़ाव, और उनकी लोकप्रियता के कारण यह मामला और भी सुलझने की बजाय जटिल हो गया है। कंगना ने अपनी फिल्मों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से एक खास तरह की छवि बनाई है, जो उनके समर्थकों और आलोचकों के बीच एक मजबूत मतभेद का कारण बनी है।
कंगना के खिलाफ अदालत में दायर वाद
रमाशंकर शर्मा द्वारा दायर किए गए वाद में कहा गया है कि कंगना के बयान ने न केवल किसानों का अपमान किया है, बल्कि महात्मा गांधी के अहिंसात्मक सिद्धांतों का मजाक उड़ाकर उन्होंने उनके प्रति पूरी दुनिया की श्रद्धा को ठेस पहुंचाई है। वाद में यह भी कहा गया कि कंगना का यह रवैया राष्ट्रीय एकता और सम्मान के खिलाफ है, जिससे समाज में नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
कानूनी दृष्टिकोण: क्या हो सकती है कंगना की अगली स्थिति?
कंगना रनौत को अदालत में पेश होने के लिए अब आखिरी मौका दिया गया है। अगर वे 18 दिसंबर को भी अदालत में पेश नहीं होतीं, तो उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया जा सकता है। हालांकि, यह संभावना कम है कि कंगना को गिरफ्तार किया जाएगा, लेकिन कानूनी कार्रवाई के तहत उन पर जुर्माना या अन्य कठोर उपाय किए जा सकते हैं। साथ ही, इस मामले में आगामी सुनवाई में कंगना को अपनी उपस्थिति सुनिश्चित करनी होगी, ताकि वे अपने पक्ष को प्रभावी ढंग से रख सकें और विवादों से बच सकें।