हाई कोर्ट में जज बनना अब आसान नहीं होगा। करीब तीन दशकों से वकीलों को हाई कोर्ट कोलेजियम की सिफारिश के आधार पर जज बनाया जाता था। लेकिन अब जज बनने के लिए एक इ्ंटरव्यू भी देना होगा। पहले सुप्रीम कोर्ट का कोलिजेयम यही देखता था कि वकील ने कितने महत्वपूर्ण केस लड़े हैं। इसके अलावा इंटेलिजेंस ब्यूरो से ऐडवोकेट कम्युनिटी में उनकी छवि के बारे में जानकारी ली जाती थी। हाई कोर्ट कोलेजियम द्वारा जिन नामों की सिफारिश की जाती थी, उनमें से 10 से 15 फीसदी को उनकी छवि के आधार पर छांट दिया जाता था। इसके बाद बाकी नामों को केंद्र के पास भेज दिया जाता था। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।
हाई कोर्ट का जज बनने के लिए अब देना होगा इंटरव्यू
दरअसल एक दशक पहले की बात है सुप्रीम कोर्ट के कोलेजियम ने उस समय के सीजेआई की बहन को भी हाई कोर्ट के जज के लिए चुन लिया था। सीजेआई संजीव खन्ना ने जस्टिस बीआर गवाई और जस्टिस सूर्यकांत से सलाह के बाद फैसला किया कि हाई कोर्ट कोलेजियम की तरफ से जिन नामों की सिफारिश की जाएगी उनका इंटरव्यू भी जरूरी है। विवादित बयानों और हाई कोर्ट के जजों के कुछ हैरान करने वाले फैसलों को चलते यह फैसला किया गया है। इसके अलावा जजों पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे हैं। सुप्रीम कोर्ट को कुछ जजों के सोशल मीडिया पर दिए गए बयानों के बारे में स्वतः संज्ञान भी लेना पड़ा।
जजों के फैसलों पर उठने लगे थे सवाल
हाल ही में 12 हाई कोर्ट के लिए 101 नामों की सिफारिश सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम से की गई थी। हालांकि सीजेआई संजीव खन्ना, जस्टस गवाई और कांत ने सबका इंटरव्यू लिया और उनमें से 49 को ही मंजूरी दी। बता दें कि पिछले दिनों दिल्ली हाईकोर्ट के जज के रहे जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से बड़ी मात्रा में जले हुए कैश बरामद होने के बाद न्यायपालिका में भ्रष्टाचार और जजों की नियुक्ति में कथित पारदर्शिता नहीं होने के मसले की चर्चा फिर से तेज हो गई थी. जजों की नियुक्ति के मौजूदा कोलेजियम सिस्टम पर भी सवाल उठाए गए थे. कई जानकारों ने जजों की नियुक्ति के मौजूदा कोलेजियम सिस्टम को पूरी तरह खत्म करने की तक मांग कर दी. इस बीच सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम भी अपनी तरफ से कुछ कदम उठाता दिख रहा है. वह जजों की नियुक्ति से पहले उम्मीदवारों के बारे में जांच-पड़ताल करने और इंटरव्यू करने की रणनीति अपनाई है