मेरठ के लोहियानगर थाना क्षेत्र की जाकिर कॉलोनी में शनिवार शाम को एक तीन मंजिला मकान ढह गया, जिससे सात लोगों की मौत हो गई और कई लोग मलबे में फंस गए हैं। यह घटना तब हुई जब मकान की नींव कमजोर हो गई थी और लगातार बारिश के कारण स्थिति और बिगड़ गई थी। इस हादसे ने डेयरी व्यवसाय की गंदगी और कमजोर निर्माण के मुद्दों को उजागर किया है, जो शहर में समस्याएं पैदा कर रहे हैं।
हादसे का विवरण
मकान की स्थिति और ढहने की वजहें:
- मकान की उम्र और निर्माण:
- यह मकान 50 वर्ष पुराना था और 300 गज में फैला हुआ था। इसके निर्माण में केवल एक पिलर था जो गेट पर स्थित था। दीवारें चार इंच मोटी थीं और पानी निकालने का कोई इंतजाम नहीं था।
- मकान के भूतल पर 20 वर्षों से अलाउद्दीन और उनके चार बेटे साजिद, नदीम, नईम, और शाकिर पशुओं की डेयरी चला रहे थे। ऊपरी मंजिल पर चारों भाइयों का परिवार रहता था।
- नींव की कमजोरी और गंदगी का असर:
- मकान की नींव में डेयरी के इस्तेमाल का पानी, गंदगी और चार दिन से हो रही बारिश का पानी रिस रहा था, जिससे नींव कमजोर हो गई थी।
- छह दिन पहले मकान का एक छोटा सा हिस्सा धंस गया था, जिसे परिवार ने नजरअंदाज कर दिया। बारिश के कारण नींव और कमजोर हो गई और अंततः शनिवार शाम को मकान धंस गया।
- हादसे के समय:
- शनिवार शाम 4:30 बजे के आसपास, ऊपरी मंजिल पर साजिद और उनके तीनों भाइयों का परिवार मौजूद था। अचानक मकान ढह गया और पूरा परिवार मलबे में दब गया।
मृतकों की पहचान:
- साजिद (40) – पुत्र अलाउद्दीन
- साकिब (20) – पुत्र साजिद
- सानिया (15) – पुत्री साजिद
- रीजा (7) – पुत्री साजिद
- सिमरा (डेढ़ साल) – पुत्री शहजाद
- नफीसा (63) – उर्फ नफ्फो, पत्नी अलाउद्दीन
- फरजाना – (मृतक की पहचान की पुष्टि नहीं)
हादसे के बाद की स्थिति:
- मलबे में फंसे लोग:
- हादसे के बाद मलबे में छह बच्चों समेत 14 लोग और मवेशी फंसे थे। बचाव कार्य में मुश्किलें आईं, क्योंकि लिंटर के नीचे परिवार दबा हुआ था और उन्हें निकालना मुश्किल हो रहा था।
- रात भर चले राहत और बचाव कार्य:
- घटना की जानकारी मिलने के बाद पुलिस और बचाव दल ने रात भर राहत और बचाव कार्य किया। मलबे से लोगों को निकालने के प्रयास किए गए, लेकिन अधिकांश लोगों की मौत हो गई थी।
डेयरी व्यवसाय और गंदगी की समस्याएँ
डेयरी व्यवसाय की गंदगी:
- गंदगी की समस्या:
- जाकिर कॉलोनी में संचालित डेयरियां गंदगी का बड़ा कारण बन गई हैं। डेयरी संचालक और उनके कर्मचारी गंदगी को कॉलोनी या आसपास फेंक देते हैं, जिससे पर्यावरण और स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।
- नगर निगम और अधिकारियों की लापरवाही:
- निवासी और पार्षद कई बार डेयरी संचालकों की गंदगी के खिलाफ अधिकारियों से शिकायत कर चुके हैं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने कार्रवाई के बजाय आंखें मूंद रखी हैं।
- इन डेयरियों की गंदगी सड़क और नाले में जमा हो जाती है, जिससे जल निकासी और अन्य समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
आवासीय कॉलोनियों में व्यवसायिक गतिविधियों पर रोक:
- कानूनी स्थिति:
- नगर निगम और मेडा क्षेत्र की आवासीय कॉलोनियों में व्यवसायिक गतिविधियों पर रोक लगी हुई है। फिर भी, डेयरी व्यवसाय का संचालन लगातार जारी है, जिससे क्षेत्र में गंदगी और पर्यावरण समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।
अधिकारियों की प्रतिक्रिया और भविष्य की दिशा
- महत्वपूर्ण सुधार की आवश्यकता:
- इस हादसे ने यह स्पष्ट कर दिया है कि नगर निगम और अन्य संबंधित अधिकारियों को तुरंत कार्रवाई करनी होगी। कमजोर निर्माण, गंदगी और अवैध व्यवसाय के खिलाफ ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
- मकान की नींव और गंदगी से जुड़े मुद्दों पर नजर रखने के लिए नियमित निरीक्षण और कड़ी निगरानी की जरूरत है।
- सामाजिक और कानूनी पहल:
- इस प्रकार के हादसों को रोकने के लिए सामाजिक जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है। नागरिकों को अपने आस-पास की स्थिति और निर्माण की गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए।
- कानूनी प्रावधानों का पालन सुनिश्चित करना और जिम्मेदार अधिकारियों पर दबाव डालना आवश्यक है।
इस हादसे ने मेरठ में निर्माण मानकों की कमी और गंदगी की समस्याओं को उजागर किया है। सही उपाय और ठोस कार्यवाही के बिना ऐसे हादसे दोबारा हो सकते हैं। यह समय है कि प्रशासन और नागरिक दोनों मिलकर इस मुद्दे पर ध्यान दें और उचित कदम उठाएं।