श्रीकृष्ण जन्माष्टमी इस बार एक खास खगोलीय संयोग के साथ मनाई जा रही है, जो इस पर्व की धार्मिक और आध्यात्मिक महत्वता को और भी बढ़ा देता है।
इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर खास योग का निर्माण हो रहा है, जो भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के समय भी था। यह संयोग एक बार फिर धार्मिक आस्थावानों के लिए महत्वपूर्ण बन गया है। खगोलशास्त्रियों के अनुसार, इस बार जन्माष्टमी पर चंद्रमा और अन्य ग्रहों की स्थिति ऐसा संयोग बना रही है, जो श्रीकृष्ण के जन्म के समय का पुनरावृत्त करती है।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र और मध्य रात्रि के समय हुआ था। इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर रोहिणी नक्षत्र की स्थिति और ग्रहों की स्थिति उस समय के समान है, जब भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। यह एक दुर्लभ खगोलीय संयोग है, जो इस पर्व को और भी विशेष बना देता है।
भक्तगण इस विशेष योग का लाभ उठाकर श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना में विशेष समर्पण और उत्साह के साथ हिस्सा ले रहे हैं। पंडितों और आचार्यों ने इस अवसर पर विशेष पूजा, हवन और भजन की योजनाएं बनाई हैं, ताकि भक्तगण इस दिव्य संयोग का पूरा लाभ उठा सकें।
यह समय भक्तों के लिए श्रीकृष्ण के प्रति अपनी भक्ति और श्रद्धा प्रकट करने का एक शानदार अवसर है, और इस विशेष योग के साथ यह पर्व और भी महत्वपूर्ण बन गया है।