देहरादून के खलंगा वन क्षेत्र में एक बड़ा जलाशय बनाने के लिए 2 हजार पेड़ों को काटे जाएगा. फिलहाल, पेड़ों पर लाल निशान और नंबर लगा दिए गए हैं. इस कारण सामाजिक कार्यकर्ता, पर्यावरण प्रेमी, युवा और अन्य संगठन इस फैसले का जबरदस्त विरोध कर रहे हैं. हालांकि, वन विभाग का कहना है कि ऐसी कोई योजना नहीं है कि इसने बड़े पैमाने पर पेड़ काटा जाए.
पेड़ों में लाल निशान और नंबर लगाने के बाद क्षेत्र के युवाओं से लेकर बुज़ुर्गों तक सभी स्थानीय लोग, संस्थाएं पेड़ों की रक्षा के लिए रक्षा सूत्र बांध रहे हैं और पेड़ों के पास झुंड बनाकर गाने बाजे के साथ चिपको आंदोलन की तर्ज पर प्रतीकात्मक संदेश दे रहे हैं. दरअसल, पेयजल विभाग इस क्षेत्र में वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट बनाना चाहता है. इसमें सौंग नदी पर बन रहे डैम का पानी इस प्लांट में लाया जाएगा.
उत्तराखंड परियोजना विकास एवं निर्माण निगम लिमिटेड के द्वारा टेंडर के आवेदन के लिए जारी की गई विज्ञप्ति के अनुसार परियोजना की आवश्यकता इसलिए है क्योंकि देहरादून शहर का आकार और जनसंख्या दोनों बढ़ रहे हैं. 2000 में उत्तराखंड राज्य के गठन के बाद, देहरादून को राजधानी घोषित किया गया और शहरीकरण की गति तेज हो गई. शहर के बढ़ते आकार ने भविष्य की जल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए नए ट्यूब-वेल्स के विकास को आवश्यक बना दिया है.
पानी की कमी एक प्रमुख मुद्दा है. वर्तमान जल आपूर्ति व्यवस्था निकट भविष्य में गंभीर जल संकट पैदा करने की संभावना है. केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) द्वारा प्रकाशित ग्राउंड वाटर ईयर बुक 2019-20 के अनुसार, देहरादून के लगभग 50 प्रतिशत क्षेत्रों में भूजल स्तर पहले से ही 15 मीटर से नीचे है. उपरोक्त स्थिति में अधिकारियों को भविष्य की पीने के पानी की मांग को पूरा करने के लिए शहर के पास रिजर्वायर बनाने पर मजबूर कर दिया है.
परियोजना में 130.60 मीटर ऊंचे बांध का निर्माण शामिल है. पीने का पानी 14.70 किमी लंबी 1.50 मीटर व्यास की एम.एस. पाइप के माध्यम से खलंगा वॉर मेमोरियल के पास वाटर ट्रीटमेंट प्लांट (डब्ल्यूटीपी) तक पहुंचाया जाएगा. इस प्लांट को करीब 5 से 7 हेक्टयर बनाये जाने का प्रस्ताव है. उसके बाद उपभोक्ताओं को वितरण प्रणाली के माध्यम से वितरित किया जाएगा. प्रस्तावित स्थल देहरादून जिले और टिहरी गढ़वाल के बीच सोंधना गांव के पास है, जो देहरादून रेलवे स्टेशन से लगभग 25 किमी की दूरी पर है.
सौंग बांध का निर्माण 2055 तक लगभग 60 वार्डों के लिए 150 एमएलडी पीने के पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करेगा. बिना किसी अतिरिक्त ट्यूब वेल की आवश्यकता के. इसके अलावा, ट्यूब वेल्स पर निर्भरता कम होने से वित्तीय बचत, ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कम और शहर के आसपास के क्षेत्रों में भूजल स्तर की पुनः पूर्ति होगी. पेड़ कटाने की खबरों को लेकर कांग्रेस और स्थानीय लोगों ने राज्य सरकार को घेरते हुए कहा विकास कार्यों के नाम पर लगातार पेड़ों की कटाई हो रही है. इसी क्रम में खलंगा वन क्षेत्र में जलाशय बनाने के लिए लगभग 2000 पेड़ों को काटने की योजना है. इस वन क्षेत्र को बचाने के लिए विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक और जन संगठनों ने विरोध जताया है. वहीं विभाग ने ऐसी किसी योजना के नाम पर पेड़ों की कटाई से इंकार किया है.