हिमाचल प्रदेश के शिमला में स्थित जाखू मंदिर में छिपे हैं कई रहस्यमयी राज।
हिमाचल प्रदेश तो आप अवश्य ही घूमने गए होंगे लेकिन क्या आपने कभी शिमला में स्थित जाखू मंदिर के बारे में सुना है। जी हां जैसे शिमला को हम उसके अद्वितीय मौसम और प्राकृतिक सुंदरता के लिए जानते है वैसे ही जाखू मंदिर भी लाखों-करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। अक्सर हमने सुना है कि शिमला जा रहे है तो हनुमान जी के मंदिर के दर्शन जरूर करके आना, या फिर हमने सुना है कि बंदरों से बच कर रहना क्योंकि शिमला में आपको बंदरों की भरमार देखने को मिलेगी। और इतना ही नहीं शिमला केवल भारत में नहीं बल्कि विदेशों में भी काफी फेमस है।
आप खुद देख सकते है कि शिमला में आपको अनेकों विदेशी यहां घूमते हुए नजर आएंगें। लेकिन आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि आखिर जाखू मंदिर के पीछे का रहस्य क्या है? क्योंकि कहा जाता है कि जाखू मंदिर काफी रहस्यमयी मंदिर है। दरअसल त्रेता युग में राम- रावण युद्ध के दौरान लक्ष्मण को मेघनाथ ने सर्पपार्श में बांध दिया जिसके कारण लक्ष्मण तुरंत बेहोश हो गए।
और लक्ष्मण जी को मूर्छा से उठाने के लिए और उनकी जान बचाने के लिए हनुमान जी संजीवनी बूटी लेने सुमेरू पर्वत पर गए थे और इसी यात्रा के दौरान हनुमान जी शिमला की सबसे ऊंची चोटी जाखू पर्वत पर विश्राम करने के लिए भी रूके थे। तो आइए अब मैं आपको बता देती हूं जाखू पर्वत का रहस्य।
जाखू मंदिर का रहस्य
एतिहासिक जानकारियों और दंतकथाओं के अनुसार जाखू पर्वत उतर भारत का प्रसिद्ध शक्ति स्थल है, शक्ति स्थल इसलिए क्योंकि यहां पर आपको खुद ब खुद एक ऐसी शक्ति देखने को मिलती है जिसे आप खुद महसूस कर सकते है। आपको बता दें कि जहां स्वयं पवनपुत्र हनुमान जी का वास है।
ऐसी मान्यता है कि लंका में युद्ध के दौरान मूर्छित लक्ष्मण को बचाने के लिए हनुमान जी आसमान में उड़ते हुए संजीवनी बूटी लेने के लिए जब हिमालय की ओर जा रहे थे तो अचानक उनकी दृष्टि जाखू पर्वत पर दिव्य ज्योति और तपस्या में लीन यक्ष ऋषि पर पड़ी। जिसके बाद में यक्ष ऋषि के नाम पर ही इस भव्य धाम का नाम जाखू पर्वत पड़ा।
मान्यता है कि, यक्ष ऋषि को वापिसी में हनुमान जी ने दर्शन दिया। क्योंकि आने के टाइम में उनके मार्ग में कालनेमी के कुचक्र में ज्यादा समय नष्ट होने के कारण छोटे मार्ग से होते हुए लंका लौट गए। और वही यक्ष ऋषि हनुमान जी के वापसी आने का बेसब्री से इंतजार करने लगे। उसी समय हनुमान जी ने ऋषि को दर्शन दिए और लौटकर वापिस न आने का कारण बताया। माना जाता है कि, हनुमान जी के ओझल होने के तुरंत बाद जाखू पर्वत पर एक स्वयंभू मूर्ति के रूप में प्रकट हुए।
यहां आने वाले भक्तों का कहना है कि यहां पर आने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है औऱ उन्हें यहां आकर सुकून मिलता है। यहां जो लोग भी सच्चे मन से आते हैं उन्हें हनुमान जी खाली हाथ नहीं भेजते। जाखू मंदिर के प्रांगण में ही अब हनुमान जी की 108 फीट ऊंची विशाल प्रतिमा भी स्थापित की गई है, जिसे आप शिमला में कहीं से भी देख सकते हैं। तो आप भी बना लीजिए शिमला में स्थित जाखू मंदिर में दर्शन करने का प्लान जो आपको बेहद शांति और आराम देने वाला साबित होगा।