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महाकुंभ का अनोखा आश्रम: यहां सभी महामंडलेश्वर विदेशी, बोलते फर्राटेदार संस्कृत; पूरी तरह भारतीय रंग में रंगे

महाकुंभ का आयोजन भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा है, जहां श्रद्धालु और संत हजारों वर्षों पुरानी परंपराओं और आस्थाओं का पालन करते हुए अपनी आध्यात्मिक यात्रा पर निकलते हैं। इस अवसर पर कुंभ मेला एक अनोखा आयोजन बन जाता है, जहां न केवल भारतीय बल्कि पूरी दुनिया से लोग आते हैं। इस बार कुंभ मेला, जो हर चार साल में आयोजित होता है, में एक विशेष और अद्वितीय पहलू सामने आया है। यह पहलू है शक्तिधाम महाकुंभ आश्रम, जो अपने आप में एक अद्वितीय स्थान बन गया है। शक्तिधाम आश्रम में नौ महामंडलेश्वर हैं, जो विदेश से ताल्लुक रखते हैं और इनमें से कई फर्राटेदार संस्कृत बोलते हैं, भले ही वे हिंदी में सहज नहीं हैं। यह आश्रम महाकुंभ के सबसे अनोखे आश्रमों में से एक है और यहां के महामंडलेश्वर भारतीय संस्कृति और धर्म को वैश्विक मंच पर फैलाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।

शक्तिधाम आश्रम का अनोखा पहलू

कुंभ मेला के सेक्टर-17 में स्थित शक्तिधाम आश्रम, महाकुंभ का सबसे खास आश्रम है क्योंकि यहां के नौ महामंडलेश्वर विदेशी हैं। इन महामंडलेश्वरों में सात पुरुष और दो महिलाएं शामिल हैं, और सभी पूरी तरह से भारतीय संस्कृति और आस्थाओं में रचे-बसे हुए हैं। इन महामंडलेश्वरों में से कोई भी हिंदी में बात नहीं कर पाता, लेकिन सभी फर्राटेदार संस्कृत में कथा और पाठ करते हैं। यह आश्रम एकमात्र ऐसा आश्रम है जहां विदेशी संत, भारत के धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों को आत्मसात कर चुके हैं और अपने कार्यों के माध्यम से भारतीय धर्म की महिमा को फैलाने का कार्य कर रहे हैं।

विदेशी महामंडलेश्वर और उनका संबंध भारत से

इन विदेशी महामंडलेश्वरों का भारत से संबंध कुछ अलग और दिलचस्प है। इनमें से कुछ तो भारत में जन्मे नहीं हैं, लेकिन भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म के प्रति उनकी श्रद्धा अनमोल है। उनकी कहानियां और जीवन के अनुभव हमें यह बताते हैं कि धर्म और आध्यात्मिकता की कोई सीमाएं नहीं होतीं और वे कहीं भी, किसी भी स्थान पर अपनी आत्मा का सत्य और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं।

अमेरिका के महामंडलेश्वर – अनंत दास महाराज

संयुक्त राज्य अमेरिका के रहने वाले महामंडलेश्वर अनंत दास महाराज का जीवन एक प्रेरणास्त्रोत है। उन्होंने बताया कि वह साईं मां से अमेरिका में मिले थे और उनके प्रवचनों को सुनकर सनातन धर्म से बहुत प्रभावित हुए। साईं मां के साथ समय बिताने के बाद, उन्होंने भारत में आने का निश्चय किया। उनका भारतीय संस्कृति से जुड़ाव और भारतीय साधनाओं में रुचि लगातार बढ़ी, और इसके बाद उन्होंने वाराणसी स्थित शक्तिधाम आश्रम में महामंडलेश्वर का पद प्राप्त किया। अनंत दास महाराज अब शिक्षा और योग के माध्यम से विदेशियों को भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म से जोड़ने का कार्य कर रहे हैं। उनका मानना है कि भारतीय संस्कृति एक ऐसी अनमोल धरोहर है, जो पूरी दुनिया को जोड़ने की शक्ति रखती है।

महाकुंभ

इजराइल और जापान से जुड़े महामंडलेश्वर

शक्तिधाम आश्रम में केवल अमेरिका से ही नहीं, बल्कि इजराइल और जापान से भी महामंडलेश्वर आए हैं। इजराइल के महामंडलेश्वर ने सनातन धर्म में अपनी आस्था व्यक्त करते हुए बताया कि वे यहूदियों के धर्म से संतुष्ट नहीं थे और एक गहरे आंतरिक शांति की तलाश में भारत आए थे। भारत में उन्हें न केवल शांति बल्कि एक ऐसा ज्ञान मिला जिसे वह अपने जीवन में उतारने के लिए तैयार थे। इसके बाद उन्होंने भारतीय संस्कृति के सभी पहलुओं को समझने का प्रयास किया और अंततः भारतीय जीवनशैली को अपनाया।

इसी प्रकार, जापान के महामंडलेश्वर भी एक समय पर जापान में रहते थे, लेकिन भारतीय धार्मिक साहित्य और योग के प्रति आकर्षित होने के बाद, उन्होंने भारत आने का निर्णय लिया। उनका कहना है कि भारतीय संस्कृति में शांति, संतुलन और जीवन की गहरी समझ है, जो पश्चिमी देशों में कम दिखाई देती है। अब वे जापान में भारतीय योग और वेदों की शिक्षा देने का कार्य कर रहे हैं।

भारतीय संस्कृति का वैश्विक प्रभाव

शक्तिधाम आश्रम के इन विदेशी महामंडलेश्वरों का प्रमुख उद्देश्य भारतीय संस्कृति, योग, वेदों और सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार करना है। उनका मानना है कि आज के वैश्विक युग में लोग मानसिक तनाव और आध्यात्मिक शांति की तलाश कर रहे हैं, और भारतीय संस्कृति में इसका समाधान है। ये महामंडलेश्वर न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी भारतीय धर्म का प्रचार कर रहे हैं।

उनका कार्य एक सशक्त उदाहरण प्रस्तुत करता है कि भारतीय संस्कृति का प्रभाव सीमाओं को पार कर चुका है और यह अब एक वैश्विक आंदोलन बन चुका है। भारतीय धर्म और संस्कृति का प्रसार केवल एक आध्यात्मिक यात्रा नहीं, बल्कि यह जीवन के प्रत्येक पहलू को बेहतर बनाने का मार्ग है।

शक्तिधाम आश्रम में साधना और शिक्षा

शक्तिधाम आश्रम में आने वाले भक्तों को न केवल आध्यात्मिक अनुभव मिलता है, बल्कि उन्हें योग, ध्यान, वेदों और संस्कृत के पाठों की शिक्षा भी दी जाती है। यहां के महामंडलेश्वर योग और ध्यान की विधियों के माध्यम से लोगों को आत्मज्ञान और शांति की प्राप्ति की दिशा में मार्गदर्शन करते हैं।

यहां का माहौल पूरी तरह से भारतीय संस्कृति से ओत-प्रोत है, और यहां आने वाले विदेशी भक्त इस अद्वितीय अनुभव का हिस्सा बनते हैं। शक्तिधाम आश्रम में साधना और शिक्षा के माध्यम से जीवन को सरल और शांतिपूर्ण बनाने का प्रयास किया जाता है।

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