नेपाल में फिर राजशाही की मांग
नेपाल में राजशाही समर्थक आंदोलन भयानक रूप ले रहा है। शुक्रवार को राजशाही समर्थकों और सुरक्षाकर्मियों के बीच झड़प के बाद हालात खराब हो गए हैं। नेपाल की राजधानी काठमांडू में सेना को बुलाया गया है और कई इलाकों में कर्फ्यू लगाया गया है। इसके पहले शुक्रवार को हिंसक झड़प में एक टीवी कैमरामैन समेत दो लोगों की मौत हो गई और एक दर्जन से ज्यादा लोग घायल हो गए। नेपाल में साल 2008 में खत्म हुई राजशाही को फिर से बहाल करने की मांग करते हुए पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र के समर्थक सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं।
वाम मोर्चा ने पूर्व नरेश को दी चेतावनी
इस बीच नेपाल के वाम मोर्चा ने एक रैली की है और पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र को चेतावनी दी कि सिंहासन को फिर से प्राप्त करने की उनकी महत्वाकांक्षा उनके के लिए महंगी साबित हो सकती है। इस रैली को पूर्व प्रधानमंत्रियों पुष्प कमल दहल प्रचंड और माधव कुमार नेपाल समेत नेताओं ने संबोधित किया। रैली में वाम मोर्चे ने राजशाही समर्थक ताकतों के फिर से उभरने के लिए केपी शर्मा ओली की सरकार को जिम्मेदार ठहराया और इसे उनके कुशासन का परिणाम बताया।
राजशाही समर्थकों ने दी उग्र प्रदर्शन की चेतावनी
बता दें कि राजशाही समर्थकों ने संयुक्त जन आंदोलन समिति का गठन किया है। इस समिति ने गुरुवार को घोषणा की थी कि यदि सरकार एक हफ्ते में उनसे समझौता नहीं कर पाती है, तो वे उग्र प्रदर्शन करेंगे. लेकिन उन्होंने समय सीमा खत्म होने का इंतजार किए बिना शुक्रवार को ही उग्र और हिंसक प्रदर्शन शुरू कर दिया। समिति के संयोजक 87 साल के नबराज सुबेदी हैं। उन्हें पूर्व राजा का कट्टर समर्थक माना जाता है। इस समिति ने सरकार ने 1991 के संविधान को बहाल करने की मांग की है। नेपाल का यह संविधान राजशाही के साथ-साथ बहुदलीय संसदीय लोकतंत्र प्रणाली को मान्यता देता है। इस संविधान के मुताबिक नेपाल एक हिंदू राष्ट्र है।
लोकतंत्र समर्थकों ने किया आंदोलन का विरोध
समिति ने इसके अलावा वर्तमान संविधान में इन बातों को समायोजित करने की मांग की है। वहीं लोकतंत्र समर्थक चार दलों के समाजवादी मोर्चा ने इस आंदोलन का विरोध किया है। विरोध करने वाले दलों में पूर्व प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहाल प्रचंड की कम्युनिस्ट पार्टी-माओवादी केंद्र और पूर्व प्रधानमंत्री माधव नेपाल की सीपीएन-यूनिफाइड सोशलिस्ट पार्टी शामिल हैं। इनके अलावा इसमें कुछ छोटे दल और मधेश की राजनीति करने वाले दल शामिल हैं।