उस दौर में अगर हिन्दी सिनेमा में किसी को फैशन आइकन शब्द से नवाज़ा जाता, तो वो शायद देव आनंद साहब ही होते…. 

 

 

उनका एक ख़ास अंदाज में बात करना, लहराते बलखाते चलना, सर पर एक बैगी टोपी, और आपकी आंखों में सुकुन से देखती दो आंखें. यही थे देवा आनंद….

 

3 दिसंबर ही वह तारीख है, जिस दिन देव आनंद साहब ने इस दुनिया को अलविदा कहा. इस दुनिया से विदा लिए उन्हें सात साल हो गए लेकिन, आज भी वो हर सिनेप्रेमी के दिल में बसते हैं. आइए देव साहब के जीवन से जुड़े कुछ पहलुओं से रू-ब-रू होते हैं.

देव आनंद

 

*जब देव साहब मुंबई आए थे, उनकी जेब में सिर्फ 30 रुपये थे*

कहते हैं, जब देव साहब मुंबई आए थे, उनकी जेब में सिर्फ 30 रुपये थे, इसके बाद उन्होंने अपनी मेहनत और काम के प्रति निष्ठा से इन 30 रुपयों को लाखों में बदल दिया. देव आनंद का जन्म 26 सितंबर 1923 को पंजाब के शकरगढ़ जो कि अब पकिस्तान में है, वहां हुआ था. देव साहब को स्कूल में डीडी कहकर पुकारा जाता था. उनका पूरा नाम धर्मदेव आनंद था, लेकिन बच्चे उन्हें डीडी कहकर बुलाते थे. फ़िल्मों में कदम रखने से पहले और बीए की डिग्री प्राप्त करने के बाद, उन्होंने नेवी में भर्ती का प्रयास किया था. लेकिन, असफल रहने के बाद उनके पिता ने इन्हें अपने ही ऑफिस में क्लर्क के काम पर रख लिया. लेकिन, किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था और देव आनंद 22 की उम्र में मुंबई आ गए. वहां से उनका सफ़र कुछ ऐसा शुरू हुआ कि वो एक मिसाल बन गए. बता दें कि देव साहब की हिट फ़िल्म ‘काला पानी’ में उन्हें काले रंग का कोट पहनने से रोका गया. क्योंकि काले रंग के कोट में वे इतने हैंडसम लगते थे कि ये डर था कि कहीं लड़कियां उन्हें देखकर छत से न कूद जायें.

 

सुरैया और देव आनंद…..

*शूटिंग के दौरान उन्हें सुरैया से प्यार हुआ*

करियर शुरू करने के दो साल बाद ही फ़िल्म ‘विद्या’ (1948) की शूटिंग के दौरान उन्हें सुरैया से प्यार हुआ. फ़िल्म के गाने ‘किनारे किनारे चले जाएंगे’ में दोनों नाव पर सवार रहते हैं और नाव डूब जाती है. हीरो की तरह देव आनंद सुरैया को बचाते हैं और उसी वक्त उन्होंने सुरैया से शादी का फैसला कर लिया. देव साहब ने उन्हें फ़िल्म के सेट पर तीन हजार रुपये की एक अंगूठी देकर प्रपोज किया, लेकिन सुरैया की नानी इस शादी के खिलाफ थीं. हालत कुछ ऐसे बने कि देव आनंद और सुरैया की राहें जुदा हो गयीं लेकिन, दिलचस्प बात यह भी कि उसके बाद सुरैया ने किसी और से भी रिश्ता नहीं जोड़ा और वो ताउम्र कुंवारी रहीं. बता दें कि देव आनंद ने जो पहली गाड़ी खरीदी थी उसका नाम हिलमैन मिंक्स था. उन्होंने ये गाड़ी सुरैया के साथ की गई पहली फ़िल्म ‘विद्या’ के पैसों से खरीदी थी.

 

कल्पना कार्तिक और देव आनंद…

*देव आनंद और कल्पना कार्तिक के बीच प्यार का पंचनामा*

बहरहाल, देव साहब की ज़िंदगी में तब कल्पना कार्तिक आ गईं!  दरअसल, गुरु दत्त की पहली फ़िल्म ‘बाजी’ में देव आनंद और कल्पना कार्तिक की जोड़ी को लोगों ने खूब पसंद किया. इसके बाद दोनों ने कई फ़िल्में साथ की, जैसे ‘आंधियां, ‘टैक्सी ड्राइवर’, नौ दो ग्यारह.’ इसी दौरान दोनों के बीच प्यार हुआ और फ़िल्म ‘टैक्सी ड्राइवर’ के बाद दोनों ने शादी कर ली. क्या आप जानते हैं फ़िल्म ‘ज्वैल थीफ’ में उन्होंने जो कैप पहनी थी, वह कोपेनहेगन से मंगवाई गई थी.

 

सुबोध मुखर्जी की फ़िल्म ‘जंगली’ और नासिर हुसैन की फ़िल्म ‘तीसरी मंजिल’ के लिए पहली पसंद देव आनंद थे, लेकिन निर्माताओं के साथ मतभेद की वजह से उन्होंने दोनों फ़िल्में करने से मना कर दिया. शम्मी कपूर को मौका मिला और वे बन गए याहू स्टार. देव आनंद एक ऐसे अभिनेता हैं, जिन्होंने बिग बी को छोड़कर हर बड़े स्टार के साथ काम किया. अमिताभ बच्चन जिस ‘ज़ंजीर’ फ़िल्म से स्टार बने, उसके लिए पहले देव आनंद को एप्रोच किया गया था.

 

आपातकाल का देव आनंद ने किया था पुरजोर विरोध

*आपातकाल का देव आनंद ने किया था पुरजोर विरोध*

जून, 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जब देश में आपातकाल लगाने का एलान किया, तो देव आनंद ने फ़िल्म जगत के अपने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर उसका पुरजोर विरोध किया था. बाद में जब आपातकाल खत्म हुआ और देश में चुनावों की घोषणा हुई, तो उन्होंने अपने प्रशंसकों के साथ जनता पार्टी के चुनाव प्रचार में भी हिस्सा लिया. बाद में उन्होंने नेशनल पार्टी ऑफ इंडिया के नाम से एक राजनीतिक दल की भी स्थापना की, लेकिन कुछ समय बाद उसे भंग कर दिया. उसके बाद भले ही वह राजनीतिक रूप से सक्रिय न रहे हों लेकिन समय-समय पर विभिन्न राजनीतिक मसलों पर अपनी बेबाक राय रखते रहे.

 

जीनत और देव आनंद साहब

*जब जीनत को अपनी फ़िल्म के लिए किया था साइन*

देव साहब की फ़िल्म ‘हरे राम हरे कृष्ण’ में उनकी बहन का रोल करने के लिए कोई स्थापित अभिनेत्री तैयार नहीं थी. कई नई लड़कियों के स्क्रीन टेस्ट के बाद भी उन्हें मन मुताबिक चेहरा नहीं मिल रहा था. उसी दौर में एक दिन वे एक पार्टी में ज़ीनत अमान से मिले. वे मिस एशिया का खिताब जीत कर आई थीं. देव साहब उनसे बातचीत कर रहे थे कि जीनत ने उन्हें हैंडबैग से सिगरेट निकालकर दी. उनकी यही अदा देव साहब को भा गई और उन्होंने जीनत को अपनी फ़िल्म के लिए साइन कर लिया.

देव आनंद और रफी साहब…

*देव आनंद ने भी रफी के लिए गया था गाना*

सभी जानते हैं कि मुहम्मद रफी ने देव साहब की बहुत सारी फ़िल्मों में उनके सदाबहार गीतों को अपनी आवाज दी है. यह जानकारी बहुत कम लोगों को होगी कि देव आनंद ने भी रफी के लिए गाना गया है. इन दोनों ने वर्ष 1966 में बनी फ़िल्म ‘प्यार मोहब्बत’ में साथ में गाया था. देव आनंद ने एक बार 31 जुलाई को रफी की पुण्यतिथि पर आयोजित समारोह में लोगों से इस राज़ को साझा किया था. उन्होंने बताया था, ‘मैंने कभी गाना नहीं गया, लेकिन रफी के गाने ‘प्यार मोहब्बत के सिवा ये ज़िंदगी क्या ज़िंदगी .’ में जो हुर्रे .हुर्रे है, वह मेरी आवाज़ है, मैंने बस उतना ही गाया.’

ये भी पढ़ें…

ICC: पाकिस्तान के स्टेडियमों में चल रहे पुनर्निर्माण कार्य पर आईसीसी की नजर, दुबई में होंगे भारत के अभ्यास मैच

‘INDIA’: उमर अब्दुल्ला बोले- …तो बंद कर दो विपक्षी गठबंधन इंडिया, न नेतृत्व और न ही एजेंडे को लेकर स्पष्टता

Mahakumbh: महाकुंभ में गंगा स्नान करने से पहले जान लीजिए ये जरूरी नियम, तभी मिलेगा पुण्य फल