महाराष्ट्र में हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों के परिणाम के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर सस्पेंस बरकरार है। चुनावी नतीजे घोषित होने के एक सप्ताह बाद भी राज्य के नए मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को लेकर सवाल उठ रहे हैं। इस बीच, शिवसेना नेता संजय शिरसाट ने एक नई मांग रखी है, जिससे राज्य की राजनीति में हलचल मच गई है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार में गृह विभाग को शिवसेना के पास होना चाहिए, और यह विभाग आमतौर पर उपमुख्यमंत्री के पास होता है, इसलिए मुख्यमंत्री को गृह विभाग का नेतृत्व करना सही नहीं होगा।

शिरसाट ने आरोप लगाया कि कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को जानबूझकर दरकिनार किया जा रहा है, हालांकि शिंदे की सकारात्मक छवि और उनके द्वारा लाई गई योजनाओं की वजह से उन्हें ढाई और साल मुख्यमंत्री के रूप में मिलते तो वे राज्य के लिए और अधिक योगदान दे सकते थे। शिरसाट ने यह भी दावा किया कि शिंदे ने महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण जैसे अहम मुद्दे पर खुद ही नेतृत्व लिया और इसकी वजह से शिंदे को जनता का अधिक समर्थन मिला।

महाराष्ट्र में सरकार गठन पर सस्पेंस और गृह विभाग की मांग

शिवसेना विधायक ने इस बात पर जोर दिया कि शिंदे को मुख्यमंत्री के रूप में और अधिक समय मिलना चाहिए था ताकि वे राज्य की जनता के लिए और अधिक काम कर सकें। शिंदे ने स्वयं कहा था कि उन्हें मुख्यमंत्री बनने की कोई लालसा नहीं है और वे जो भी निर्णय पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लेंगे, उसे स्वीकार करेंगे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया था कि भाजपा के मुख्यमंत्री उम्मीदवार को उनका समर्थन रहेगा।

शिवसेना के सूत्रों के अनुसार, शिंदे पार्टी के भीतर सरकार गठन को लेकर चल रही चर्चाओं से परेशान हैं, खासकर जब भाजपा अपने संख्याबल के आधार पर मुख्यमंत्री पद पर दावा कर रही है। इससे शिवसेना नाराज है, क्योंकि पार्टी को लगता है कि उनके नेता शिंदे को मुख्यमंत्री पद पर बैठाना उचित होगा।

शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना का विकास और चुनावी सफलता

शिरसाट ने कहा कि शिंदे ने महाराष्ट्र के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जैसे कि मराठा आरक्षण और महिलाओं के लिए मुख्यमंत्री मांझी लड़की बहन योजना, जिसके बाद उनकी छवि और अधिक मजबूत हुई है। उन्होंने यह भी बताया कि शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना ने चुनावी दौर में कई रैलियां आयोजित कीं और इसका असर चुनाव परिणामों पर भी पड़ा। शिंदे की ‘आम आदमी’ की छवि ने उन्हें लोगों के बीच और भी लोकप्रिय बना दिया।

इससे पहले, शिंदे ने खुद कहा था कि अगर उन्हें ढाई और साल मुख्यमंत्री के रूप में मिलते, तो वे राज्य के लिए और अधिक काम कर सकते थे। लेकिन, अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या भाजपा शिंदे को मुख्यमंत्री के रूप में समर्थन देगी या फिर पार्टी कोई और निर्णय लेगी।

संपूर्ण महायुति को शिंदे का लाभ

शिवसेना नेता ने यह भी कहा कि शिंदे के नेतृत्व में पूरी महायुति को फायदा हुआ है, क्योंकि शिंदे ने जिस तरह से चुनावी मुद्दों को संभाला, उसके कारण शिवसेना और महायुति को व्यापक समर्थन मिला। शिंदे के कामों की वजह से भाजपा को भी चुनावी सफलता मिली है, खासकर मराठा आरक्षण और अन्य लोक कल्याणकारी योजनाओं के चलते।