दिल्ली में प्रदूषण की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है और रविवार को शहर के कई इलाकों में घना धुंध देखा गया। दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 350 के पार पहुंच गया है, जो “गंभीर” श्रेणी में आता है। इसका मतलब है कि इस स्तर पर प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक खतरनाक हो सकता है, खासकर बच्चों, बुजुर्गों और श्वसन संबंधी बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक दिल्ली में रविवार सुबह 8 बजे औसत एक्यूआई 335 मापा गया। वहीं, अधिकतर इलाकों में स्तर 350 के पार पहुंच गया है। वहीं, राजधानी के प्रदूषण के स्तर में सुधार लाने के लिए ग्रैप 2 भी लागू है।
प्रमुख कारण
मौसमी कारक: सर्दी के मौसम में तापमान गिरने के कारण प्रदूषकों की सांद्रता अधिक होती है। हवा की गति धीमी होने से प्रदूषण फैलने में कठिनाई होती है, जिससे धुंध का निर्माण होता है।
पराली जलाना: पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने के कारण दिल्ली की हवा में धुएं और अन्य प्रदूषकों की मात्रा बढ़ जाती है। यह प्रदूषण का एक प्रमुख स्रोत बन चुका है।
वाहन और निर्माण गतिविधियां: दिल्ली में वाहनों की संख्या बढ़ने और निर्माण कार्यों के चलते भी प्रदूषण स्तर उच्च रहता है।
प्रदूषण के प्रभाव
स्वास्थ्य पर असर: लगातार खराब वायु गुणवत्ता से श्वसन समस्याएं, आंखों में जलन, गले में खराश और अस्थमा जैसी समस्याओं में वृद्धि हो सकती है।
मौसम की स्थिति: धुंध और स्मॉग के कारण दृश्यता कम हो जाती है, जिससे सड़क दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है।
वहीं, दिल्लीवासियों को सलाह दी गई है कि वे घर के अंदर रहें और अगर बाहर निकलना जरूरी हो, तो मास्क का इस्तेमाल करें और श्वसन समस्याओं से बचने के लिए उचित सावधानी बरतें। यह स्थिति फिलहाल गंभीर बनी हुई है, और विशेषज्ञों का कहना है कि अगर अगले कुछ दिनों तक यह स्थिति बनी रही, तो और भी अधिक स्वास्थ्य संकट पैदा हो सकता है।