सुप्रीम काेर्ट में मंगलवार को पतंजलि आयुर्वेेद के भ्रामक विज्ञापनों के मामले पर सुनवाई हुई। मंगलवार को बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण कोर्ट में पेश हुए। बाबा रामदेव ने कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं होने पर बिना किसी शर्त के माफी मांग ली। पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद को अदालत के आदेशों को नहीं मानने के लिए फटकार लगाई थी।
पतंजलि की ओर से वकील बलवीर सिंह ने रखी दलीलें
जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने मामले पर सुनवाई की। पतंजलि की ओर से वकील बलवीर सिंह और सांघी ने दलीलें सामने रखी। कोर्ट ने अपने नोटिस का जवाब नहीं देने पर बाबा रामदेव और दूसरे आरोपियों को शपथपत्र मांगा। वकील बलवीर सिंह ने कहा कि रामदेव कोर्ट परिसर में ही हैं लेकिन भीड़ होने की वजह से उन्हें कोर्ट रूम तक नहीं लाया जा सके। इस पर जस्टिस अमानतुल्लाह ने वकील को बाबा रामदेव को बुलाने के लिए कहा।
पतंजलि के जवाब से नाराज हुआ कोर्ट
जस्टिस हिमा कोहली ने पतंजलि की ओर से सौंपे गए जवाब पर नाराजगी जाहिर की। पतंजलि ने कहा था भ्रामक विज्ञापनों को कंपनी के मीडिया विभाग की मंजूरी से छापा गया। कंपनी का यह डिपार्टमेंट नवंबर 2023 में विज्ञापनों को लेकर जारी सुप्रीम कोर्ट के आदेश से अनजान था। इस पर जस्टिस हिमा कोहली ने कहा कि हम यह बात नहीं मान सकते कि मीडिया डिपार्टमेंट को यह जानकारी नहीं है कि कोर्ट में क्या हो रहा है।
10 अप्रैल को होगी अगली सुनवाई
कोर्ट ने पतंलजि आयुर्वेद के वकील की दलीलें सुनने के बाद कहा कि जब हमारी ओर से अवमानना का नोटिस जारी किया गया तो उसका जवाब क्यों नहीं दिया गया। हमें आज भी एफिडेविट नहीं मिला। हम आपको आखिरी मौका दे रहे हैं। आपके पास जो कुछ भी है उसे 10 अप्रैल तक कोर्ट के सामने पेश करें। कोर्ट ने इससे पहले कहा कि कोर्ट ने पतंजलि को जवाब दाखिल करने के दो मौके दिए लेकिन इसके बावजूद कोई जवाब नहीं सौंपा गया। अब हम कोई मौका नहीं देंगे। इसके बाद कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 10 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी।
19 मार्च को कोर्ट ने दिया था व्यक्तिगत पेशी का निर्देश
इससे पहले 19 मार्च को सुप्रीम कोट ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को अदालत के सामने पेश होने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने कंपनी की ओर से अपने पहले के कारण बताओ नोटिस का जवाब नहीं देने के लिए नाराजगी भी जाहिर की थी। बाबा रामदेव पर यह मामला इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से दर्ज कराया गया था। आईएमए ने कहा था कि कोर्ट को भ्रामक विज्ञापन नहीं छापने का आश्वासन देने के बावजूद भी पतंजलि आयुर्वेद ऐसा कर रही है। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की थी और बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को व्यक्तिगत तौर पर कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया था।
27 फरवरी को विज्ञापनों पर लगाई थी रोक
27 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद को रक्तचाप, मधुमेह, गठिया, अस्थमा और मोटापे जैसी बीमारियों की दवाओं के विज्ञापन पर रोक लगा दी थी। पतंजलि आयुर्वेद और इसके प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी किया था। अवमानना नोटिस पतंजलि आयुर्वेद के कथित भ्रामक विज्ञापनों के प्रसार के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) द्वारा दायर एक याचिका पर जारी की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट बाबा रामदेव पर नाराज
मंगलवार को जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अमानुल्लाह की पीठ ने कहा कि निर्देशों के बावजूद मामले में जवाब दाखिल नहीं किया गया। इससे नाराज पीठ ने न सिर्फ बाबा रामदेव को व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा, बल्कि नोटिस जारी कर पूछा कि उन पर कोर्ट की अवमानना का मुकदमा क्यों न चलाया जाए। जस्टिस कोहली ने कहा कि ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट की धारा 3 और 4 के प्रावधानों का भी उल्लंघन किया गया है।