उत्तर प्रदेश के संभल जिले में हाल ही में हुई हिंसा पर समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने इस घटना को भाजपा की सोची-समझी रणनीति करार देते हुए कहा कि यह घटना देश में अशांति फैलाने के लिए जानबूझकर की गई है। अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि संभल में स्थानीय अधिकारी जानबूझकर भाजपा के एजेंडे को लागू कर रहे हैं और यह घटना भाजपा द्वारा उठाए गए एक योजनाबद्ध कदम का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य लोगों को अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों से भटकाना है।
अखिलेश यादव का बयान: “हम सदन में उठाना चाहते थे मुद्दा”
अखिलेश यादव ने इस हिंसा के मामले को लेकर संसद में बहस की मांग की थी। उन्होंने बताया कि संसद सत्र के शुरू होने के बाद समाजवादी पार्टी ने इस मुद्दे को सदन में उठाने की कोशिश की थी, लेकिन सदन में विपक्षी पार्टियों को बोलने का मौका नहीं मिला। इसके बाद भी सपा के प्रमुख ने कहा कि उनकी पार्टी की मांग अभी भी वही है, कि इस मुद्दे पर संसद में चर्चा होनी चाहिए और सरकार को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।
“हम संभल की घटना पर अपनी बात सदन में रखना चाहते थे, लेकिन जब सदन नहीं चला, तो हमारी आवाज दबाई गई। अधिकारियों का रवैया पूरी तरह से पक्षपाती है, जैसे वे भाजपा के कार्यकर्ता हों और जनता के सवालों को नजरअंदाज कर रहे हों,” अखिलेश यादव ने कहा।
भाजपा की सोची-समझी रणनीति
अखिलेश यादव ने यह भी कहा कि संभल की हिंसा भाजपा की एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। उनका मानना है कि भाजपा के कुछ नेता जानबूझकर ऐसे घटनाओं को बढ़ावा दे रहे हैं ताकि समाज में तनाव पैदा हो और सरकार की नाकामियों को छुपाया जा सके। उन्होंने यह आरोप लगाया कि भाजपा अपने राजनीतिक लाभ के लिए इस तरह की घटनाओं को हवा देती है, जिससे समाज में अस्थिरता पैदा हो और लोगों का ध्यान देश की असल समस्याओं से भटक जाए।
“यह एक योजनाबद्ध कदम है, जिससे सरकार अपनी नीतियों की असफलताओं से लोगों का ध्यान हटा सके। भाजपा की राजनीति में यही तरीका अपनाया जा रहा है,” अखिलेश यादव ने कहा।
सौहार्द्रता और भाईचारे की हानि का खतरा
अखिलेश यादव ने अपनी बात में चेतावनी दी कि अगर इस तरह की नफरत फैलाने वाली राजनीति जारी रही तो देश की सौहार्द्रता और भाईचारे को नुकसान हो सकता है। उन्होंने कहा कि जो लोग हर जगह धार्मिक भेदभाव और नफरत की राजनीति करना चाहते हैं, एक दिन वे देश की सामाजिक तानाबाना और सांस्कृतिक एकता को खो देंगे।
“जो लोग बार-बार खुदाई की बात करते हैं, उनका अंत देश की एकता और सौहार्द्रता के लिए खतरनाक होगा। देश में अगर भाईचारे और सौहार्द्रता की भावना खत्म हो गई तो फिर हम एक मजबूत और समृद्ध राष्ट्र नहीं बन सकते,” यादव ने कहा।
बांग्लादेश मुद्दे पर सरकार को घेरा
अखिलेश यादव ने बांग्लादेश में हिन्दू संतों के साथ हो रही घटनाओं का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि भारतीय सरकार को इस मुद्दे पर विचार करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हिन्दू धर्म के अनुयायियों को सम्मान मिले। अखिलेश ने कहा कि अगर भारत सरकार अपने संतों और धर्मगुरुओं का सम्मान नहीं कर सकती, तो वह मजबूत सरकार होने का दावा कैसे कर सकती है?
“भारत सरकार को इस मुद्दे पर सोचना चाहिए और अगर वे हमारे संतों का सम्मान नहीं कर सकते, तो वे एक मजबूत सरकार होने का दावा कैसे कर सकते हैं?” यादव ने कहा।
राम गोपाल यादव का बयान: सर्वेक्षणों से अशांति की साजिश
समाजवादी पार्टी के सांसद राम गोपाल यादव ने भी इस मुद्दे पर अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों द्वारा मस्जिदों और धार्मिक स्थलों के सर्वेक्षण करने की कोशिश की जा रही है, जो देशभर में अशांति और संघर्ष पैदा करने की एक साजिश का हिस्सा है। राम गोपाल यादव का कहना था कि यह सर्वेक्षणों की आड़ में मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे धार्मिक तनाव और विवाद बढ़े।
“इस तरह के सर्वेक्षण देश में शांति और सुरक्षा को नुकसान पहुंचा सकते हैं। यह पूरी तरह से एक सुनियोजित साजिश है, जो समाज में विभाजन पैदा करने के उद्देश्य से की जा रही है,” राम गोपाल यादव ने कहा। उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए और ऐसे आदेश देने वाले जजों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।
सामूहिक असहमति और राजनीतिक आलोचना
अखिलेश यादव और राम गोपाल यादव ने भाजपा और केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए यह भी कहा कि इस तरह की साजिशें केवल देश को नुकसान पहुंचाती हैं। उनका कहना है कि जब तक देश में शांति और सौहार्द्रता बनी रहेगी, तब तक ही हम आगे बढ़ सकते हैं। यदि सरकार और राजनीतिक दल इस तरह की नफरत फैलाने वाली राजनीति से बाहर नहीं निकले, तो इसका परिणाम देश की एकता और अखंडता के लिए खतरनाक होगा।
अखिलेश यादव ने कहा कि समाजवादी पार्टी के लिए यह लड़ाई सिर्फ एक राजनीतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि यह भारतीय समाज की एकता और अखंडता की रक्षा करने की एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है।
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