संजय रॉय

कोलकाता में आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में हुए दुष्कर्म और हत्या के मामले में सोमवार को सियालदह की अदालत ने फैसला सुना दिया। अदालत ने संजय रॉय को उम्रकैद की सजा सुनाई और उस पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया। यह मामला पूरे देश को झकझोर देने वाला था, और इस अपराध ने लंबे समय तक विरोध प्रदर्शन और आक्रोश को जन्म दिया था।

इस जघन्य अपराध के कारण पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में व्यापक रूप से हंगामा हुआ था। पिछले साल नौ अगस्त को 31 वर्षीय महिला प्रशिक्षु चिकित्सक का शव आरजी कर अस्पताल के सेमिनार कक्ष में मिला था। इस घटना ने पूरे देश में महिलाओं की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े किए थे।

दोषी का दावा: फंसाए जाने की बात कही

सोमवार को अदालत में फैसले से पहले दोषी संजय रॉय को पेश किया गया। अदालत में उसने दावा किया कि उसे इस मामले में झूठा फंसाया जा रहा है। संजय ने कहा, “मैंने कोई अपराध नहीं किया है।” हालांकि, अदालत ने उसके दावों को खारिज करते हुए उसे दोषी करार दिया।

अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनिर्बान दास ने इस मामले को दुर्लभतम नहीं मानते हुए संजय रॉय को मौत की सजा देने से इनकार कर दिया। इसके बजाय, अदालत ने उसे उम्रकैद की सजा सुनाई। इसके साथ ही, पीड़ित परिवार को 10 लाख रुपये का मुआवजा और 7 लाख रुपये अतिरिक्त धनराशि देने का निर्देश दिया।

अदालत ने कहा, “इस मामले में समाज में भरोसा बनाए रखने के लिए सख्त सजा जरूरी है, लेकिन यह दुर्लभतम मामलों में नहीं आता है।” अदालत के इस फैसले के बाद पीड़ित परिवार ने अपनी निराशा जताई क्योंकि वे दोषी के लिए मौत की सजा की मांग कर रहे थे।

सीबीआई के अधिवक्ता ने अदालत में कहा कि यह अपराध पूरे देश को झकझोर देने वाला था। उन्होंने कहा कि इस मामले ने समाज में महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल खड़े किए हैं और इसके लिए दोषी को सबसे कड़ी सजा मिलनी चाहिए।

दोषी को सजा के लिए दी गई दलीलें

संजय रॉय के वकील ने अदालत में दलील दी कि दोषी को सुधारने का एक मौका मिलना चाहिए। उन्होंने कहा, “भले ही यह मामला दुर्लभतम हो, लेकिन अदालत को यह देखना होगा कि दोषी को पुनर्वास का अवसर क्यों नहीं दिया जा सकता।” वहीं, सरकारी वकील ने कहा कि यह अपराध इतना जघन्य था कि समाज में कानून और व्यवस्था का विश्वास बनाए रखने के लिए कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए।

दोषी के खिलाफ धाराएं

संजय रॉय को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 64 (दुष्कर्म), धारा 66 (हत्या का प्रयास), और धारा 103(1) (हत्या) के तहत दोषी ठहराया गया। धारा 64 के तहत कम से कम 10 साल की सजा का प्रावधान है, जो उम्रकैद तक बढ़ाई जा सकती है। धारा 66 में 20 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है। वहीं, धारा 103(1) के तहत दोषी को मृत्युदंड या उम्रकैद का प्रावधान है।

संजय रॉय

सीबीआई जांच का आदेश

इस मामले की शुरुआत में कोलकाता पुलिस ने जांच शुरू की थी। हालांकि, बाद में कलकत्ता हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी। सीबीआई ने अपनी जांच में दोषी के खिलाफ ठोस सबूत अदालत में पेश किए, जिसके आधार पर अदालत ने अपना फैसला सुनाया।

पीड़िता के परिवार का बयान

पीड़िता के माता-पिता ने अदालत से दोषी के लिए मौत की सजा की मांग की थी। उनका कहना था कि उनकी बेटी की हत्या ने उनके पूरे परिवार को तोड़कर रख दिया है। उन्होंने कहा, “हमें न्याय चाहिए, और यह तभी संभव है जब दोषी को सबसे सख्त सजा दी जाए।”

सजा के पीछे तर्क

अदालत ने अपने फैसले में कहा कि संजय रॉय को दी गई सजा समाज में एक संदेश देगी। हालांकि, अदालत ने यह भी कहा कि यह मामला दुर्लभतम नहीं है और इसलिए मौत की सजा देने की आवश्यकता नहीं है।

दुष्कर्म और हत्या का मामला

यह घटना नौ अगस्त 2024 को हुई थी, जब 31 वर्षीय महिला चिकित्सक का शव अस्पताल के सेमिनार कक्ष में मिला था। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में दुष्कर्म और हत्या की पुष्टि हुई थी। इसके अगले ही दिन पुलिस ने संजय रॉय को गिरफ्तार कर लिया था।

 

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