मुंबई। टूर्नामेंट के इतिहास में 90 में से 48वीं बार मुंबई फाइनल में पहुंची थी। वानखेड़े स्टेडियम पर खेले गए फाइनल का नतीजा लगभग उसी समय तय हो गया था, जब विदर्भ को 538 रन का लगभग नामुमकिन सा लक्ष्य मिला था। विदर्भ के कप्तान अक्षय वाडकर (102) और हर्ष दुबे (65) ने पूरे पहले सत्र में मुंबई के गेंदबाजों को परेशान किया। विदर्भ ने पांच विकेट पर 248 रन से आगे खेलना शुरू किया था और उसे 290 रन और चाहिए थे। विदर्भ की टीम 368 रन पर आउट हो गई। वाडकर ने इस साल पहला शतक जड़ने के साथ ही सत्र में 600 रन का आंकड़ा भी पार किया। वहीं, दुबे ने प्रथम श्रेणी करिअर में दूसरा अर्धशतक जमाया। दोनों ने 194 मिनट और 255 गेंद तक चली साझेदारी निभाई।
दूसरे सत्र का खेल शुरू होने के कुछ देर बाद ही वाढकर को तनुष कोटियान ने आउट किया। कोटियान ने 95 रन देकर चार विकेट लिए। यह साझेदारी टूटने के बाद विदर्भ की हार पर लगभग मुहर लग गई। विदर्भ दो बार खिताब जीतने के बाद तीन बार फाइनल हार गया है। तुषार देशपांडे
आठ साल बाद बनी चैंपियन
मुंबई क्रिकेट संघ (एमसीए) ने 42वीं बार रणजी ट्राफी का खिताब जीतने वाली टीम की पुरस्कार राशि दोगुनी कर दी है, जिसका मतलब है की टीम को पांच करोड़ रुपए की अतिरिक्त धनराशि मिलेगी। एमसीए के सचिव अजिंक्य नाइक ने कहा, एमसीए के अध्यक्ष अमोल काले और शीर्ष परिषद ने रणजी ट्राफी की पुरस्कार राशि दोगुनी करने का फैसला किया है।
ठाकुर (छह) के रूप में चौथा विकट लिया। वहीं, अपने करिअर का आखिरी मैच खेल रहे धवल कुलकर्णी ने उमेश यादव का विकेट लेकर विदर्भ की पारी का पटाक्षेप किया। दुबे ने 128 गेंद में पांच चौकों और दो छक्कों की मदद से 65 रन बनाए। देशपांडे ने ही आदित्य सरवटे को भी पवेलियन भेजा।