Rajya Sabha में गुरुवार को एक अजीबोगरीब घटनाक्रम सामने आया, जब कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी की सीट के पास नोटों की गड्डी पाई गई। इस घटना ने न केवल संसद में हंगामा मचाया बल्कि पूरे राजनीतिक जगत में इसे लेकर आरोप-प्रत्यारोप की झड़ी भी लग गई। कांग्रेस ने इसे पूरी तरह से खारिज किया और आरोप लगाया कि यह घटनाक्रम अदाणी मुद्दे से ध्यान भटकाने का एक प्रयास है। वहीं, अभिषेक मनु सिंघवी ने भी इन आरोपों से साफ इनकार किया और कहा कि यह उनकी सीट से जुड़े कोई भी नोट नहीं हैं।
Rajya Sabha के सभापति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को सदन की कार्यवाही स्थगित करने के बाद एक नियमित जांच के दौरान यह जानकारी दी कि सीट संख्या 222 से 500 रुपये के नोटों की एक गड्डी बरामद हुई। यह सीट कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी के लिए आवंटित थी। गड्डी में 100 नोट थे, लेकिन यह साफ नहीं हो पाया कि ये नोट असली थे या नकली। जब यह मामला सभापति के संज्ञान में आया, तो उन्होंने इसकी जांच करवाने की बात कही और इस मुद्दे को गंभीरता से लिया।
कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने इस मामले में उठाए गए सवालों पर तीव्र प्रतिक्रिया दी और आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि किसी भी सांसद को इस तरह से आरोपित करना उचित नहीं है। खरगे ने यह भी कहा कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक किसी को दोषी ठहराना ठीक नहीं है। उन्होंने सभापति द्वारा केवल सीट नंबर की जानकारी देने की बात को स्वीकार किया और इसे किसी एक पार्टी से जोड़ने के प्रयासों पर सवाल उठाए।
अभिषेक मनु सिंघवी की सफाई
इस पूरे मामले पर कांग्रेस सांसद और अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने अपनी सफाई पेश करते हुए कहा कि वह खुद इस घटना से हैरान हैं और इससे पहले उन्होंने इस बारे में कुछ नहीं सुना था। उन्होंने कहा कि वह 12:57 बजे सदन में पहुंचे और 1 बजे तक सदन में रहे। इसके बाद वह 1 बजे से 1:30 बजे तक कैंटीन में बैठकर लंच करते रहे, और फिर डेढ़ बजे सदन से बाहर निकल गए। उनका कहना था कि उन्होंने इस दौरान केवल 500 रुपये का नोट अपने पास रखा था, और किसी भी समय उनके पास 50,000 रुपये नहीं थे।
सिंघवी ने इस घटना को राजनीति की चाल बताते हुए कहा कि इस तरह के मामलों में राजनीति की जाने लगी है। उनका कहना था कि अगर यह मामला इतना गंभीर नहीं होता, तो यह हास्यास्पद लगता। उन्होंने यह भी कहा कि अगर सांसदों की सीटों के आसपास कांच के बॉक्स और ताले लगाना जरूरी हो गया है, तो यह स्थिति बहुत खराब होगी। इससे यह साफ जाहिर होता है कि संसद के अंदर भी इस तरह के आरोप लगाए जा सकते हैं, जो किसी भी सांसद की छवि को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
कांग्रेस का रुख
कांग्रेस पार्टी ने इस घटनाक्रम को पूरी तरह से खारिज कर दिया और इसे अदाणी मामले से ध्यान भटकाने की एक साजिश बताया। पार्टी का कहना था कि अगर कोई व्यक्ति अपनी जेब में 50,000 रुपये लेकर चल रहा है, तो इसे अपराध नहीं माना जा सकता। कांग्रेस नेताओं ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ से मुलाकात की और इस मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की। साथ ही, कांग्रेस ने यह भी कहा कि अगर आवश्यक हो, तो इस पर एक संयुक्त संसदीय समिति (JPC) का गठन किया जाए, ताकि मामले की पूरी सच्चाई सामने आ सके।
कांग्रेस सूत्रों का कहना था कि यह घटना एक सुनियोजित प्रयास हो सकता है, जिससे मीडिया और जनता का ध्यान आदानी मुद्दे से हटा दिया जाए। कांग्रेस ने साफ कहा कि इस तरह के मामलों से पार्टी का कोई लेना-देना नहीं है और इसे राजनीतिक लाभ लेने के लिए उछाला जा रहा है।
राजनीति और मीडिया में हंगामा
जैसे ही यह घटना सामने आई, मीडिया में इसकी चर्चा शुरू हो गई और विपक्षी दलों ने इसे मुद्दा बना लिया। राज्यसभा के अंदर और बाहर इस पर बहस शुरू हो गई कि क्या यह मुद्दा सचमुच इतना बड़ा है या फिर यह केवल राजनीतिक ड्रामा है। भाजपा और अन्य विपक्षी दलों ने इसे गंभीरता से लिया और कांग्रेस पर आरोप लगाने का कोई अवसर नहीं छोड़ा। वहीं, कांग्रेस ने आरोपों का पूरी तरह से खंडन किया और इसे राजनीति का हिस्सा बताया।
जांच की प्रक्रिया
Rajya Sabha सभापति जगदीप धनखड़ ने मामले की जांच करने का आश्वासन दिया है। यह स्पष्ट नहीं है कि नोट असली थे या नकली, और इसकी जांच जारी है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस मामले की जांच से यह साफ हो जाएगा कि वास्तव में क्या हुआ था। हालांकि, यह भी सवाल उठाया जा रहा है कि क्या जांच निष्पक्ष तरीके से होगी और क्या राजनीतिक दबाव इस प्रक्रिया को प्रभावित करेगा।