दिल्ली में पिछले 3 विधानसभा चुनावों में बुरी तरह हारने वाली कांग्रेस इस बार कुछ अलग करने के मूड में है। केजरीवाल को शिकस्त देने के लिए इस बार कांग्रेस तगड़ी रणनीति के साथ चुनावी मैदान में उतर रही है। दरअसल कांग्रेस मकर संक्रांति के दिन दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए अपना प्रचार अभियान शुरू करने जा रही है। जिसका बिगुल राहुल गांधी फूंकेंगे और उसके बाद प्रियंका गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे जैसे दिग्गज नेता उतरेंगे। लेकिन आपको बता दें कि राहुल गांधी की पहली रैली सीलमपुर में होगी। जो मुस्लिम बहुल्य इलाका है। इसका मतलब ये है कि कांग्रेस इस बार पूरी तरह से अपने पूराने और परंपरागत मतदाताओं पर फिर से पकड़ बनाने में जुट गई है। क्योंकि दिल्ली में पिछले 3 विधानसभा चुनावों में मुस्लिम मतदाताओं ने एकमुश्त आम आदमी पार्टी को वोट दिया। जो पहले कांग्रेस का मजबूत जनाधार हुआ करता था, और अब उसी वोट को वापस पाने के लिए कांग्रेस जी जान से जुट गई है। यही वजह है कि राहुल गांधी की पहली रैली ही मुस्लिम बहुल्य इलाके सीलमपुर में होगी। बता दें कि सीलमपुर में मतदाताओं की संख्या कुल आबादी में से करीब 50 प्रतिशत मुस्लिम हैं। तो आप ये समझ सकते हैं कि मुस्लिम मतदाता ही यहां पर विधायक बनाते हैं। कांग्रेस की भी यही कोशिश है कि इस बार कम से कम मुस्लिमों को तो अपने पाले में लाया जाए। ताकी पिछले 2 चुनाव से मिल रहे जीरो से आगे बढ़ा जाए। यहां गौर करने वाली बात है कि सीलमपुर के अलावा दिल्ली की 5 और विधानसभा सीटें ऐसी हैं। जिन पर मुस्लिम मतदाता ही निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इनमें मटिया महल जहां मुस्लिम मतदाता 48 प्रतिशत, ओखला में 43 प्रतिशत, बल्लीमारान में 38 प्रतिशत, मुस्तफाबाद में 36 प्रतिशत और बाबारपुर में 35 प्रतिशत। कांग्रेस सूत्रों ने हमें बताया है कि सीलमपुर में हो रही रैली में राहुल गांधी खासकर आम आदमी पार्टी की सरकार और उसके नेतृत्व पर ही हमला करते हुए नजर आएंगे। क्योंकि सीलमपुर में बीजेपी का जनाधार नाममात्र का है, और वहां विधायक भी आम आदमी पार्टी का ही रहा है। हांलाकि सीलमपुर से आप के विधायक रहे अब्दुल रहमान पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे। सीलमपुर में लंबे समय तक कांग्रेस के है चौधरी मतीन विधायक रहे है। हांलाकि दिल्ली चुनावों में इस बार कांग्रेस की सक्रियता के चलते देखने होगा कि इस बार दिल्ली चुनाव कितना दिलचस्प हो पाता है। क्या कांग्रेस फिर से अपने परंपरागत मुस्लिम वोट को फिर से कामयाब होगी या नहीं। हांलाकि सियासी जानकारों की मानें तो इस बार दिल्ली में जबरदस्त त्रिकोणिय मुकाबला होगा।