पटना (बिहार), 7 दिसंबर 2024: बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की 70वीं पीटी परीक्षा में नॉर्मलाइजेशन (Normalization) के मुद्दे पर पटना के अभ्यर्थियों का विरोध तेज हो गया है। शुक्रवार शाम को पटना के गर्दनीबाग इलाके में प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों के साथ जाने-माने शिक्षक खान सर भी शामिल हो गए थे। खान सर के धरनास्थल पर पहुंचने के बाद पुलिस ने उन्हें भीड़ से निकालकर थाना ले जाने का प्रयास किया, जिससे पूरे क्षेत्र में हलचल मच गई।
पुलिस द्वारा खान सर को हिरासत में लेने की खबर के बाद पटना पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने इसे पूरी तरह से नकारते हुए बयान दिया। पटना के एसएसपी, राजीव मिश्रा ने मीडिया से कहा कि खान सर को न तो गिरफ्तार किया गया और न ही हिरासत में लिया गया था। उन्होंने कहा, “हमने बार-बार उन्हें थाना जाने के लिए कहा था, लेकिन वह जाने को तैयार नहीं थे। इसलिए, उन्हें धरनास्थल से हटाया गया, लेकिन यह गिरफ्तारी या हिरासत का मामला नहीं था।”
प्रदर्शन का कारण: 70वीं बीपीएससी की परीक्षा में नॉर्मलाइजेशन का विरोध
दरअसल, 70वीं बीपीएससी की पीटी परीक्षा के नतीजों में नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया को लेकर अभ्यर्थियों में भारी असंतोष है। अभ्यर्थियों का कहना है कि इस प्रक्रिया के चलते उनकी मेहनत और परीक्षा में मिली उनके नंबरों को सही तरीके से नहीं आंका गया है। नॉर्मलाइजेशन का मतलब है कि परीक्षा के विभिन्न सेटों (question sets) की कठिनाई के स्तर को समान करने के लिए अंक बढ़ाए जाते हैं, और यह प्रक्रिया कुछ छात्रों के लिए अनफेयर हो सकती है।
पटना के बेली रोड से लेकर गर्दनीबाग तक पहुंचे अभ्यर्थियों का कहना था कि उन्हें लगता है कि नॉर्मलाइजेशन के कारण उनके स्कोर पर प्रतिकूल असर पड़ा है और यह उनका हक नहीं है। प्रदर्शनकारी छात्रों ने यह मांग की थी कि बीपीएससी को नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया को रद्द करना चाहिए और यदि किसी छात्र ने समय पर परीक्षा का फॉर्म नहीं भरा तो उनके लिए एक अतिरिक्त मौका दिया जाए।
धरने में शामिल हुए शिक्षक खान सर
खान सर, जो पटना के एक प्रसिद्ध शिक्षक हैं, इन दिनों विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपनी शिक्षण शैली के लिए काफी लोकप्रिय हो गए हैं। खान सर हमेशा से छात्र हित में काम करने के लिए जाने जाते हैं और उन्होंने इस आंदोलन का समर्थन करते हुए छात्रों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर प्रदर्शन किया। उनका कहना था, “बीपीएससी अभ्यर्थियों की मांग बिल्कुल जायज है। मैं उनके साथ हूं और हम नॉर्मलाइजेशन को रद्द कराएंगे। यदि छात्रों का समय बर्बाद हुआ है तो बीपीएससी को उनकी परीक्षा की तारीख को आगे बढ़ाना चाहिए।”
खान सर के इस बयान के बाद छात्रों का उत्साह और बढ़ गया और उन्होंने अपनी मांगों को लेकर और भी अधिक जोश से प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। खान सर का कहना था कि छात्रों का समय मूल्यवान है और अगर सर्वर की समस्याओं के कारण किसी छात्र ने फॉर्म नहीं भरा तो उन्हें एक दिन का अतिरिक्त समय मिलना चाहिए।
पुलिस का लाठीचार्ज और बढ़ता विरोध
प्रदर्शन के दौरान स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई जब पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए लाठीचार्ज किया। यह कदम पुलिस के लिए विवादास्पद बन गया क्योंकि कई छात्रों का कहना था कि उन्होंने शांतिपूर्वक प्रदर्शन किया था और पुलिस की इस कार्रवाई से उनकी आवाज को दबाने की कोशिश की गई है। इसके बाद प्रदर्शनकारी छात्रों का आक्रोश और बढ़ गया और उन्होंने इस कार्रवाई के खिलाफ और जोरदार विरोध किया।
कई प्रदर्शनकारियों का कहना था कि पुलिस का यह कदम उनकी संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है। उनका मानना था कि शांतिपूर्वक प्रदर्शन करना उनका अधिकार है और जब वे अपनी समस्याओं को उचित तरीके से प्रस्तुत कर रहे थे, तो पुलिस को उनका विरोध शांतिपूर्वक तरीके से सुनना चाहिए था।
बीपीएससी के खिलाफ छात्रों की आक्रोशपूर्ण प्रतिक्रियाएँ
बीपीएससी (BPSC) परीक्षा की नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया को लेकर छात्रों के बीच गहरी नाराजगी है। उनका कहना है कि इस प्रक्रिया के कारण न केवल उनके परिणाम प्रभावित हुए हैं बल्कि उनकी मेहनत और समय का भी सही तरीके से मूल्यांकन नहीं किया गया है। छात्रों का मानना है कि जब वे परीक्षा के दौरान पूरे मनोयोग से जुटे थे, तो उनके कठिनाई स्तर को देखते हुए नॉर्मलाइजेशन की आवश्यकता नहीं थी।
अभ्यर्थियों का कहना है कि परीक्षा में सफलता पाने के लिए न केवल कठिन मेहनत की जरूरत होती है, बल्कि सही तरीके से परिणाम का निर्धारण भी बहुत महत्वपूर्ण है। नॉर्मलाइजेशन के कारण उनके परिणाम पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है और यह उनकी मेहनत का सही मूल्यांकन नहीं करता है।
अंतिम शब्द: छात्रों का आंदोलन और भविष्य की दिशा
बीपीएससी के 70वीं पीटी परीक्षा के विरोध के रूप में पटना में हो रहे इस प्रदर्शन ने राज्य के शिक्षण समुदाय को एक नई दिशा दी है। खान सर और अन्य शिक्षकों का समर्थन छात्रों के लिए एक बहुत बड़ी ताकत साबित हो रही है। उनके समर्थन से छात्रों का हौसला और बढ़ा है और वे अपनी मांगों को लेकर सरकार और बीपीएससी के खिलाफ और भी दृढ़ हो गए हैं।
जहां एक ओर पुलिस ने इस आंदोलन को दबाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं, वहीं दूसरी ओर यह स्पष्ट है कि यह विरोध आंदोलन बीपीएससी परीक्षा के नॉर्मलाइजेशन मुद्दे पर सरकार और आयोग को गहरे विचार-विमर्श की आवश्यकता की ओर इशारा करता है। छात्रों का यह आंदोलन केवल एक परीक्षा से जुड़ा मामला नहीं है, बल्कि यह पूरे शिक्षा प्रणाली की पारदर्शिता और न्याय की ओर भी एक महत्वपूर्ण संकेत है।
आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि इस विरोध का क्या परिणाम निकलता है और क्या बीपीएससी और बिहार सरकार इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम उठाएंगे।