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Panipat: पानीपत, 9 नवंबर 2024: पानीपत (Panipat) में स्थित अंसल सुशांत सिटी पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा एक बड़ा जुर्माना लगाया गया है। एनजीटी ने इस रिहायशी कॉलोनी पर 1.69 करोड़ रुपये का जुर्माना बढ़ाते हुए अब कुल जुर्माना राशि 3.48 करोड़ रुपये तक पहुंचा दी है। यह जुर्माना अंसल सुशांत सिटी में पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करने के कारण लगाया गया है। पांच महीने पहले ही एनजीटी ने अंसल कंपनी पर 1.79 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था, जिसे अब बढ़ाकर 3.48 करोड़ रुपये कर दिया गया है।

क्या है पूरा मामला?

अंसल सुशांत सिटी एक बड़ी रिहायशी कॉलोनी है जिसमें तीन हजार से ज्यादा लोग रहते हैं। इस कॉलोनी में अस्पताल, स्कूल और बाजार जैसी आवश्यक सुविधाएं भी मौजूद हैं। हालांकि, यह कॉलोनी अपनी निर्माण और संचालन के दौरान कुछ महत्वपूर्ण पर्यावरणीय नियमों का पालन करने में असफल रही है, जिसके कारण यह मामला एनजीटी में पहुंचा।

एनजीटी ने 2022 से 2024 के बीच अंसल के द्वारा नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माना लगाया। इसके अंतर्गत अंसल पर पहले 1.79 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया था, जो बाद में बढ़ाकर 1.69 करोड़ रुपये और जुड़ा, जिससे कुल जुर्माना 3.48 करोड़ रुपये हो गया। इस जुर्माने का कारण मुख्य रूप से कॉलोनी में निकासी की उचित व्यवस्था का न होना और सीवरेज व्यवस्था में गंभीर खामियां पाई गईं।

जुर्माना क्यों बढ़ाया गया?

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा अंसल कंपनी पर बढ़ाए गए जुर्माने की मुख्य वजह कॉलोनी के अंदर की सीवरेज व्यवस्था और उसके संचालन में खामियां पाई गईं। एनजीटी ने अंसल सुशांत सिटी का निरीक्षण करने के बाद पाया कि कॉलोनी में सीवरेज सिस्टम में कई गंभीर गड़बड़ियां हैं।

2024 में एनजीटी द्वारा गठित एक समिति ने 12 और 19 अप्रैल को अंसल सुशांत सिटी का मौका मुआयना किया। समिति ने पाया कि कॉलोनी के फेज-1 में स्थित सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) बंद था, जबकि दूसरे फेज का एसटीपी चालू था। इसके अलावा, दोनों फेजों में सीवरेज फ्लो मीटर नहीं लगाए गए थे और न ही यहां लॉगबुक की व्यवस्था की गई थी, जो कि सीवरेज के संचालन के लिए अनिवार्य होती है।

इस निरीक्षण के दौरान यह भी पाया गया कि अंसल के द्वारा कॉलोनी के सीवरेज सिस्टम का कनेक्शन एचएसवीपी (Haryana Shahari Vikas Pradhikaran) की मुख्य सीवर लाइन में गैर-कानूनी तरीके से जोड़ा गया था, जो एक गंभीर पर्यावरणीय उल्लंघन है। यह कनेक्शन 1 अप्रैल 2019 को किया गया था, जो नियमों का उल्लंघन था। इसके अतिरिक्त, अंसल द्वारा सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के संचालन के लिए आवश्यक “कंसेंट टू ऑपरेट” प्रमाणपत्र भी रिन्यू नहीं किया गया था, जिससे जुर्माना और बढ़ा दिया गया।

वरुण गुलाटी का आरोप

इस मामले में दरखास्त लगाने वाले वरुण गुलाटी ने आरोप लगाया है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कुछ अधिकारी अंसल कंपनी के बचाव में हैं। उनका कहना है कि इन अधिकारियों के कारण ही अंसल पर जुर्माना कम लगाया गया है। गुलाटी का दावा है कि अंसल कंपनी के द्वारा पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन किया गया है, लेकिन अधिकारियों ने जानबूझकर इसे नजरअंदाज किया और अंसल को बचाने का प्रयास किया।

वरुण गुलाटी का कहना है कि अगर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पूरी तरह से निष्पक्ष रहता और सही तरीके से काम करता, तो अंसल पर जुर्माना और भी अधिक हो सकता था। उनके अनुसार, अंसल को इस जुर्माने के अलावा भी और सख्त कार्रवाई का सामना करना चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह के उल्लंघनों को रोका जा सके।

सीवरेज व्यवस्था में खामियां

अंसल सुशांत सिटी के सीवरेज सिस्टम में पाई गई खामियां गंभीर हैं। समिति ने पाया कि सीवरेज फ्लो मीटर की अनुपस्थिति और लॉगबुक का न होना इस बात का संकेत है कि इस सिस्टम का संचालन उचित तरीके से नहीं किया जा रहा है। फ्लो मीटर न होने की वजह से यह सुनिश्चित करना मुश्किल हो जाता है कि सीवरेज का सही तरीके से उपचार हो रहा है या नहीं। इसके अलावा, लॉगबुक का न होना यह दर्शाता है कि सीवरेज सिस्टम के संचालन और निगरानी के लिए किसी प्रकार का रिकॉर्ड नहीं रखा जा रहा है, जो पर्यावरणीय सुरक्षा के लिए अनिवार्य है।

अंसल के द्वारा सीवरेज का कनेक्शन एचएसवीपी की मुख्य सीवर लाइन से जोड़ने के मामले में भी गंभीर आरोप हैं। इस कनेक्शन को बिना अनुमति के और नियमों के खिलाफ जोड़ा गया था, जिससे यह साबित होता है कि अंसल ने अपने फायदे के लिए पर्यावरणीय नियमों की अनदेखी की थी।

इसके अलावा, 1 अप्रैल 2019 को किए गए इस कनेक्शन के बावजूद, अंसल ने सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का संचालन करने के लिए आवश्यक प्रमाणपत्र को भी नवीनीकरण के लिए नहीं भेजा था। इस सबका परिणाम यह हुआ कि एनजीटी को जुर्माना लगाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और अधिकारियों की भूमिका

वरुण गुलाटी द्वारा लगाए गए आरोपों ने इस मामले को और अधिक विवादास्पद बना दिया है। उनका आरोप है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कुछ अधिकारी अंसल के पक्ष में काम कर रहे थे और इस कारण ही जुर्माना कम लगाया गया। हालांकि, इस आरोप पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन इस मामले की जटिलता को देखते हुए यह सवाल उठता है कि क्या अधिकारियों का रवैया वास्तव में निष्पक्ष था या नहीं।

अंसल की स्थिति और भविष्य में सुधार की आवश्यकता

अंसल सुशांत सिटी में रहने वाले तीन हजार से ज्यादा लोग अब इस जुर्माने के कारण प्रभावित हो सकते हैं। हालांकि, अंसल कंपनी ने इस मामले पर अभी तक कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है, लेकिन उनके लिए यह जुर्माना एक चेतावनी हो सकती है। इस घटना के बाद, अंसल को अपनी सभी सीवरेज और पर्यावरणीय प्रणालियों को सुधारने की आवश्यकता है।

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