केरल के वायनाड से लोकसभा उपचुनाव जीतने वाली कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने आज संसद सदस्य के रूप में शपथ ग्रहण की। इस महत्वपूर्ण अवसर पर उनके साथ उनके भाई राहुल गांधी भी सदन में उपस्थित रहे। प्रियंका ने इस उपचुनाव में शानदार जीत हासिल की थी, जहां उन्होंने चार लाख से अधिक मतदाताओं के भारी अंतर से चुनाव जीतकर साबित किया कि उनके पास जनसमर्थन की कोई कमी नहीं है। ये जीत राहुल गांधी के 2024 के लोकसभा चुनावों में वायनाड से जीते जाने के अंतर से भी अधिक है।
प्रियंका गांधी के शपथ ग्रहण के बाद, उनका परिवार उन विशेष राजनीतिक परिवारों की सूची में शामिल हो चुका है जिनके सदस्य संसद के विभिन्न सदनों में कार्यरत हैं। राहुल गांधी पहले से ही लोकसभा में हैं, जबकि उनकी मां सोनिया गांधी राज्यसभा के सदस्य के रूप में काम कर रही हैं। इस प्रकार, प्रियंका गांधी, राहुल गांधी और सोनिया गांधी का परिवार संसद के दोनों सदनों में अपनी उपस्थिति दर्ज करेगा, जिसमें सोनिया गांधी उच्च सदन (राज्यसभा) में और राहुल व प्रियंका निचले सदन (लोकसभा) में कार्य करेंगे।
प्रियंका गांधी के इस राजनीतिक कदम को विशेष रूप से अहम माना जा रहा है, क्योंकि उनका चुनावी पदार्पण उनके लिए एक नई राजनीतिक दिशा को जन्म देने जैसा है। ये उनके परिवार के लिए एक और महत्वपूर्ण मुकाम है, और कांग्रेस पार्टी के लिए भी ये एक नये उत्साह का संचार करता है।
बिहार में भी परिवार आधारित राजनीति का चलन जारी है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल यादव दोनों ही लोकसभा सदस्य हैं। इसके अलावा, अखिलेश यादव के चचेरे भाई अक्षय यादव और धर्मेंद्र यादव भी क्रमशः फिरोजाबाद और बदायूं से सांसद हैं। इस प्रकार, यादव परिवार की राजनीति बिहार और उत्तर प्रदेश दोनों राज्यों में अपनी छाप छोड़ रही है।
बिहार के पप्पू यादव ने भी परिवार आधारित राजनीति में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। पप्पू यादव ने पूर्णिया से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की है, जबकि उनकी पत्नी रंजीत रंजन छत्तीसगढ़ से राज्यसभा सदस्य हैं। उनका ये प्रभाव बिहार से लेकर पूरे देश में बढ़ता जा रहा है।
महत्वपूर्ण ये है कि इन परिवारों के बीच ना केवल पारिवारिक रिश्ते मजबूत हैं, बल्कि इनकी राजनीतिक पकड़ भी बेहद सशक्त है। शरद पवार और उनकी बेटी सुप्रिया सुले का परिवार भी इससे अलग नहीं है। शरद पवार वर्तमान में राज्यसभा के सदस्य हैं, जबकि उनकी बेटी सुप्रिया सुले महाराष्ट्र की बारामती लोकसभा सीट से सांसद हैं।
झारखंड में भी परिवार आधारित राजनीति का एक उदाहरण है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के नेता हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी कल्पना सोरेन भी विधानसभा के सदस्य होंगे। हेमंत सोरेन ने हाल ही में झारखंड विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी को जीत दिलाई, और अब वे राज्य के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं।
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