Navratri 9th Day Maa Siddhidatri : चैत्र नवरात्रि का नौवां दिन मां सिद्धिदात्री को समर्पित है। 17 अप्रैल को देवी दुर्गा के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की विधि-विधान से पूजा करने से भाग्य और समृद्धि में वृद्धि होती है। शास्त्रों के अनुसार मां सिद्धिदात्री को पूर्णता और मोक्ष की देवी माना जाता है। आइए जानते हैं नवरात्रि के नौवें दिन की पूजा का समय, माता सिद्धिदात्री की पूजा विधि, स्वरूप, नैवेद्य, पसंदीदा रंग, फूल, अर्थ, मंत्र और आरती।
पूजा का मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त- 04:25 AM से 05:09 AM
प्रातः सन्ध्या- 04:47 AM से 05:53 AM
अभिजित मुहूर्त- कोई नहीं
विजय मुहूर्त- 02:30 PM से 03:22 PM
गोधूलि मुहूर्त- 06:47 PM से 07:09 PM
सायाह्न सन्ध्या- 06:48 PM से 07:55 PM
रवि योग- पूरे दिन
निशिता मुहूर्त- 11:58 PM से 12:42 AM, अप्रैल 18
भोग- माना जाता है की मां सिद्धिदात्री को चना, पूड़ी, मौसमी फल, खीर हलवा और नारियल का भोग प्रिय है। ऐसे में नवमी के दिन इन चीजों का भोग जरूर लगाना चाहिए।
पूजा मंत्र- सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि,
सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।
ओम देवी सिद्धिदात्र्यै नमः।
अमल कमल संस्था तद्रज:पुंजवर्णा, कर कमल धृतेषट् भीत युग्मामबुजा च।
मणिमुकुट विचित्र अलंकृत कल्प जाले; भवतु भुवन माता संत्ततम सिद्धिदात्री नमो नम:।
शुभ रंग व प्रिय पुष्प- चैत्र नवरात्रि की नवमी तिथि के दिन नीले या जामुनी रंग के वस्त्र पहनना शुभ रहेगा। वहीं, माता सिद्धिदात्री को लाल रंग के गुड़हल या गुलाब के पुष्प अर्पित करें।
बीज मंत्र
ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:।
प्रार्थना मंत्र
सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।
स्वरूप- मां सिद्धिदात्री महालक्ष्मी के समान कमल पर विराजमान हैं। मां के चार हाथ हैं। मां ने हाथों में गदा, शंख, कमल का फूल और च्रक धारण किया है। मां सिद्धिदात्री को माता सरस्वती का रूप भी मानते हैं।
स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।
कन्या पूजन शुभ – ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, नवमी तिथि को कन्या पूजन करना शुभ माना जाता है। कहते हैं कि नवरात्रि के आखिरी दिन कन्या पूजन करने से मां सिद्धिदात्री खुश होती हैं।
पूजा-विधि
1- सुबह उठकर स्नान करें और मंदिर साफ करें
2- माता का गंगाजल से अभिषेक करें।
3- मैया को अक्षत, लाल चंदन, चुनरी, सिंदूर, पीले और लाल पुष्प अर्पित करें।
4- सभी देवी-देवताओं का जलाभिषेक कर फल, फूल और तिलक लगाएं।
5- प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं।
6- घर के मंदिर में धूपबत्ती और घी का दीपक जलाएं
7- दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें
8- फिर पान के पत्ते पर कपूर और लौंग रख माता की आरती करें।
9- अंत में क्षमा प्रार्थना करें।
महत्व
मां दुर्गा की नवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है। ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली है। मार्कण्डेयपुराण के अनुसार अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य ईिशत्व और वशित्व ये आठ सिद्धियां होती हैं। दुर्गाओं में मां सिद्धिदात्री अंतिम हैं। देवीपुराण के अनुसार, भगवान शंकर ने इनकी कृपा से ही इन सिद्धियों को प्राप्त किया था। इनकी कृपा से भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ था। इसी कारण वह लोक में अर्द्धनारीश्वर नाम से प्रसिद्ध हुए। सिद्धिदात्री मां के भक्त के भीतर कोई ऐसी कामना शेष नहीं करती है, जिसे वह पूर्ण करना चाहे।
आरती
जय सिद्धिदात्री मां, तू सिद्धि की दाता।
तू भक्तों की रक्षक, तू दासों की माता।
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि।
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि।
कठिन काम सिद्ध करती हो तुम।
जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम।
तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है।
तू जगदम्बे दाती तू सर्व सिद्धि है।
रविवार को तेरा सुमिरन करे जो।
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो।
तू सब काज उसके करती है पूरे।
कभी काम उसके रहे ना अधूरे।
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया।
रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया।
सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली।
जो है तेरे दर का ही अम्बे सवाली।
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा।
महा नंदा मंदिर में है वास तेरा।
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता।
भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता।