विदेश मंत्रालय (MEA) ने शुक्रवार को बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग के संदर्भ में अपनी प्रतिक्रिया दी। मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि एक सप्ताह पहले ही उन्होंने यह पुष्टि की थी कि बांग्लादेशी अधिकारियों से हसीना के संदर्भ में एक संचार प्राप्त हुआ था। हालांकि, इस मुद्दे पर मंत्रालय ने ज्यादा जानकारी साझा करने से मना कर दिया और कहा कि इस समय उन्हें कुछ और कहने की आवश्यकता नहीं है।

इसके अतिरिक्त, उन्होंने अमेरिकी अखबार ‘वॉशिंगटन पोस्ट’ द्वारा प्रकाशित मालदीव और पाकिस्तान से संबंधित रिपोर्टों पर भी प्रतिक्रिया दी। विदेश मंत्रालय ने इन रिपोर्टों को खारिज करते हुए कहा कि ‘वॉशिंगटन पोस्ट’ और उसके रिपोर्टर दोनों ही भारत के प्रति एक शत्रुतापूर्ण रवैया अपनाते हैं। मंत्रालय ने यह भी कहा कि इस अखबार की विश्वसनीयता पर कोई टिप्पणी करने का काम मीडिया पर छोड़ते हुए उन्होंने कहा कि भारत के दृष्टिकोण से उनकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा होता है। इस मामले में मीडिया से आग्रह किया गया कि वे इन रिपोर्टों की विश्वसनीयता का मूल्यांकन स्वयं करें।

शेख हसीना के प्रत्यर्पण पर विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया

मंत्रालय के प्रवक्ता ने बांग्लादेशी अधिकारियों द्वारा भेजे गए संचार की जानकारी दी, जिसमें शेख हसीना के प्रत्यर्पण के संबंध में भारत से संपर्क किया गया था। हालाँकि, प्रवक्ता ने इसे लेकर कोई ठोस प्रतिक्रिया देने से बचते हुए कहा कि इस मुद्दे पर और कुछ नहीं कहा जा सकता है।

यह मामला पिछले कुछ समय से विवादों में रहा है, क्योंकि शेख हसीना पर आरोप लगाए गए हैं कि उन्होंने बांग्लादेश के अंदर कई तरह की भ्रष्टाचार की गतिविधियों में संलिप्तता दिखाई। बांग्लादेश सरकार की ओर से इस मुद्दे पर कई बार भारत से सहायता की मांग की गई थी।

पाकिस्तान और मालदीव पर ‘वॉशिंगटन पोस्ट’ की रिपोर्ट

भारत ने अमेरिका के प्रमुख अखबार ‘वॉशिंगटन पोस्ट’ की रिपोर्टों को खारिज किया है, जिनमें भारत को मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के महाभियोग के जरिए हटाने की साजिश में कथित रूप से शामिल किया गया था। इसके साथ ही पाकिस्तान में भारतीय एजेंटों द्वारा आतंकवादियों के खिलाफ हमलों की भी रिपोर्ट दी गई थी।

विदेश मंत्रालय ने इन रिपोर्टों को ‘भारत विरोधी’ करार दिया और कहा कि इस अखबार और उसके रिपोर्टरों का रुख हमेशा से भारत के खिलाफ रहा है। मंत्रालय ने स्पष्ट रूप से कहा कि भारत के नजरिए से इन रिपोर्टों का कोई महत्व नहीं है और इनकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाया गया।

इसके साथ ही, विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने हिलेरी क्लिंटन के 2011 में दिए गए बयान का हवाला दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि “अगर आप अपने घर में सांप पालते हैं, तो आप यह उम्मीद नहीं कर सकते कि वे केवल आपके पड़ोसियों को ही काटेंगे।” यह टिप्पणी पाकिस्तान की आतंकवादी गतिविधियों के संदर्भ में की गई थी। विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दिया कि उसे अपने आतंकवादी संगठनों पर नियंत्रण रखना चाहिए, अन्यथा इसका असर पाकिस्तान के ही ऊपर पड़ेगा।

चीन की गतिविधियों पर भारतीय प्रतिक्रिया

विदेश मंत्रालय ने हाल ही में चीन द्वारा तिब्बत क्षेत्र में ब्रह्मपुत्र नदी पर एक बड़ा बांध बनाने की योजना पर भी चिंता व्यक्त की। भारत ने यह सुनिश्चित किया कि वह अपनी पूरी निगरानी के तहत इस परियोजना पर नजर रखेगा और जरूरी कदम उठाएगा।

इसके साथ ही, मंत्रालय ने यह कहा कि चीन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ब्रह्मपुत्र नदी के निचले हिस्से में स्थित भारतीय राज्य जैसे अरुणाचल प्रदेश और असम के जल स्रोतों का इस्तेमाल प्रभावित न हो। इस मुद्दे पर भारत ने बार-बार चीन से पारदर्शिता और निचले हिस्से के देशों के साथ बेहतर संवाद की उम्मीद जताई है।

भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि ब्रह्मपुत्र नदी के निचले हिस्से में स्थित राज्य भारत के लिए जल उपयोग का अधिकार रखते हैं और चीन को इसे नकारने का कोई अधिकार नहीं है। मंत्रालय ने यह भी कहा कि चीन को इन गतिविधियों के बारे में पहले से जानकारी देना चाहिए और इसकी योजना में पारदर्शिता होनी चाहिए।

चीन के काउंटियों का मामला

भारत ने यह भी बताया कि चीन ने होटन प्रांत में दो नए काउंटियों का गठन किया है, जिनमें से कुछ हिस्से भारतीय राज्य लद्दाख में आते हैं। विदेश मंत्रालय ने इसे लेकर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि भारत इस क्षेत्र पर अपने संप्रभु अधिकारों को कभी भी नकारेगा नहीं।

भारत ने यह कहा कि चीनी कब्जे को कभी स्वीकार नहीं किया गया है और यह कोई नया कदम चीनी कब्जे को वैध नहीं बना सकता। विदेश मंत्रालय ने चीन को कूटनीतिक माध्यमों से इसका विरोध करते हुए इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट की।

भारतीय पक्ष की स्थिति

भारत ने लगातार यह सुनिश्चित किया है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए किसी भी स्थिति में पीछे नहीं हटेगा। विदेश मंत्रालय ने इसे लेकर स्पष्ट किया कि भारत हमेशा अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के मुद्दों पर सख्त रहेगा और किसी भी अन्य देश के प्रयासों को नकारेगा जो भारत के हितों के खिलाफ हों।

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