Haryana Election: हरियाणा विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस को लेकर चीजें अब बदल गई हैं। चुनाव में कांग्रेस की हार ने पार्टी को नए सिरे से सोचने पर मजबूर कर दिया है। पार्टी को अपने सहयोगियों के साथ रिश्तों में सुधार की जरूरत है, खासकर महाराष्ट्र में, जहां समाजवादी पार्टी (सपा) ने कांग्रेस पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। सपा महाराष्ट्र में 12 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बना रही है और इसके लिए कांग्रेस को एक सूची भी सौंप दी है।
समाजवादी पार्टी ने स्पष्ट किया है कि अगर कांग्रेस ने उनके लिए 12 सीटों का आवंटन नहीं किया, तो वे अकेले चुनाव लड़ने पर विचार कर सकते हैं। सपा ने महापालिका चुनावों में भी कांग्रेस से सम्मानजनक सीटें मांगने का निर्णय लिया है।बता दें कि पिछले चुनावों में कांग्रेस के साथ गठबंधन में सपा ने अपने वजूद को मजबूत किया है, लेकिन हाल की हार के बाद यह देखने वाली बात होगी कि क्या कांग्रेस अपने सहयोगी दलों की मांगों को मानती है या नहीं, हरियाणा में कांग्रेस ने 89 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन जो परिणाम सामने आया वो काफी निराशाजनक था। पार्टी की हार ने न केवल उसके नेताओं को बल्कि सहयोगी दलों को भी चिंतित किया है। ऐसे में सपा ने महसूस किया कि अगर कांग्रेस ने सहयोगी दलों के साथ चुनावी तालमेल नहीं किया, तो स्थिति और बिगड़ सकती है।Haryana Election
हरियाणा की हार के बाद इंडिया गठबंधन के दलों में कांग्रेस के प्रति नाराजगी देखने को मिल रही है। सहयोगी पार्टियों ने कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि उसकी नेतृत्व क्षमता कमजोर हो गई है। अगर कांग्रेस ने किसी सहयोगी पार्टी के साथ चुनाव लड़ा होता, तो शायद नतीजे कुछ और हो सकते थे।Haryana Election
हालांकि, कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था और वहां उसे सकारात्मक परिणाम मिला। हालांकि कांग्रेस के पास केवल 6 सीटें आईं, लेकिन पार्टी को हार का सामना नहीं करना पड़ा। जो कि ये स्पष्ट करता है कि सहयोगी दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ने से पार्टी को फायदा हो सकता है।Haryana Election
वहीं, अब कांग्रेस को महाराष्ट्र में सपा की मांगों का ध्यान रखना होगा। इस समय पार्टी का शिवसेना उद्धव गुट और एनसीपी शरद पवार के साथ गठबंधन है, लेकिन चुनावी समीकरण बदलने की संभावना है। झारखंड में भी कांग्रेस हेमंत सोरेन की पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की योजना बना रही है, लेकिन वहां भी सीटों के बंटवारे पर कोई फैसला नहीं हुआ है।Haryana Election
कांग्रेस के लिए यह समय चुनौतियों से भरा है। हरियाणा में मिली हार ने उसके सहयोगियों में नाराजगी पैदा की है, और महाराष्ट्र में सपा का दबाव बढ़ा है। यदि कांग्रेस ने सपा को सीटें आवंटित नहीं कीं, तो इसके परिणाम गंभीर हो सकते हैं। पार्टी को अपने सहयोगी दलों के साथ बेहतर तालमेल बनाने की जरूरत है, ताकि आने वाले चुनावों में वह सफल हो सके। कुल मिलाकर, कांग्रेस के लिए अगली चुनावी लड़ाई में रणनीतिक बदलाव आवश्यक है। चुनावी रणनीतियों पर विचार करना और सहयोगी दलों के साथ सामंजस्य बनाना ही आगे की सफलता की कुंजी होगी।Haryana Election