कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के प्रचार के आखिरी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “एक हैं तो सेफ हैं” के नारे पर जोरदार हमला बोला। इस दौरान राहुल गांधी ने मुंबई की धारावी परियोजना और उद्योगपति गौतम अदाणी का नाम लिया और उन पर निशाना साधते हुए कहा कि यह नारा केवल एक विशेष वर्ग के लिए है, जिनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह और अदाणी शामिल हैं, जबकि आम जनता को इस योजनाओं से नुकसान उठाना पड़ेगा।

राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक तिजोरी निकाली, जिस पर लिखा था, “एक हैं तो सेफ हैं,” और उसके अंदर से दो पोस्टर निकाले। एक पोस्टर पर प्रधानमंत्री मोदी और गौतम अदाणी की तस्वीर थी, जबकि दूसरे पर धारावी पुनर्विकास परियोजना का उल्लेख था। राहुल ने कहा, “यह है पीएम मोदी का ‘एक हैं तो सेफ हैं’ का असली मतलब।” उन्होंने कहा कि धारावी की गरीब जनता और वहां के छोटे कारोबारी इस परियोजना से प्रभावित होंगे, जबकि अदाणी जैसे अरबपति इससे लाभान्वित होंगे।

महाराष्ट्र के चुनाव को लेकर राहुल का बड़ा बयान

राहुल गांधी ने आगे कहा कि महाराष्ट्र का चुनाव विचारधाराओं का चुनाव है, यह एक-दो अरबपतियों और गरीबों के बीच का चुनाव है। उन्होंने आरोप लगाया कि अरबपति चाहते हैं कि मुंबई की कीमती जमीन उनके हाथ में आ जाए। राहुल ने यह भी कहा कि सरकार एक अरबपति को 1 लाख करोड़ रुपये देने की योजना बना रही है, जबकि महाराष्ट्र के किसान, गरीब और बेरोजगारों को इस धन की बजाय मदद की जरूरत है।

उन्होंने अपनी पार्टी की योजनाओं को सामने रखा और कहा, “हम महिलाएं, किसानों और बेरोजगारों के लिए मुफ्त बस यात्रा, 3000 रुपये की मासिक मदद और तीन लाख रुपये तक के कर्ज माफी की योजना लाएंगे।” इसके साथ ही उन्होंने महाराष्ट्र में जाति जनगणना करने की भी बात की, जैसा कि कांग्रेस ने तेलंगाना और कर्नाटक में किया था।

धारावी पुनर्विकास परियोजना और स्थानीय लोगों की नाराजगी

धारावी पुनर्विकास परियोजना, जो 20,000 करोड़ रुपये की लागत से शुरू होने वाली है, अदाणी समूह द्वारा नवंबर 2022 में जीती गई थी। यह परियोजना लगभग दो दशकों से अटकी हुई थी, और अब इसके क्रियान्वयन में तेजी लाई जा रही है। धारावी मुंबई के सबसे घनी आबादी वाले क्षेत्रों में से एक है, जहां लगभग 8 से 10 लाख लोग रहते हैं और 13,000 से ज्यादा छोटे-छोटे व्यवसाय चलाए जाते हैं।

हालांकि, धारावी के लोग इस परियोजना से असंतुष्ट हैं। उनका कहना है कि पुनर्विकास के नाम पर अब तक कुछ भी ठोस काम नहीं हुआ है और उन्हें यह भी नहीं पता कि उन्हें कहां शिफ्ट किया जाएगा। वे चिंतित हैं कि परियोजना के कारण उनके छोटे कारोबार को भारी नुकसान होगा और उनकी आजीविका पर बुरा असर पड़ेगा।

धारावी का इतिहास और विकास

धारावी मूल रूप से मछुआरों की बस्ती थी, जहां समय के साथ कुम्भार, चमड़े का काम करने वाले, कढ़ाई बुनाई करने वाले लोग आकर बसे। धीरे-धीरे यह इलाका बढ़ता गया और अब यह मुंबई के बीच स्थित एक घनी आबादी वाला शहरी क्षेत्र बन चुका है। यहां 30% मुस्लिम, 6% ईसाई और 63% हिंदू रहते हैं। धारावी में कई छोटे उद्योग चलते हैं, जैसे रीसाइकलिंग, चमड़े के उत्पाद, मिट्टी के बर्तन, और कपड़े की इकाइयां।

रियल एस्टेट के विशेषज्ञों का मानना है कि धारावी पुनर्विकास परियोजना बहुत बड़ी चुनौती है। इसके लिए जमीन का आवंटन और सरकार का समर्थन जरूरी होगा, लेकिन इसे पूरा होने में काफी समय लग सकता है।