महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में एनसीपी प्रमुख अजित पवार का आत्मविश्वास अपनी ऊंचाई पर है। उनके भतीजे और पार्टी के युवा नेता रोहित पवार की जीत के बाद अजित पवार ने एक दिलचस्प और हल्के-फुल्के अंदाज में उनका मजाक उड़ाया। यह घटना तब सामने आई जब अजित पवार, शरद पवार और रोहित पवार ने राज्य के पहले मुख्यमंत्री वाई बी चव्हाण की पुण्यतिथि पर उनके स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित की। अजित पवार ने रोहित पवार को उनकी जीत के लिए बधाई दी, लेकिन साथ ही मजाक करते हुए कहा कि “अगर मैंने तुम्हारी सीट पर प्रचार किया होता तो तुम्हारी जीत मुश्किल हो जाती।”
यह बयान तब दिया गया जब रोहित पवार ने कड़ी चुनौती का सामना करते हुए भाजपा के राम शिंदे को महज 1,243 वोटों से हराया। रोहित की यह जीत न सिर्फ उनके लिए, बल्कि पार्टी के लिए भी महत्वपूर्ण थी, क्योंकि भाजपा ने इस सीट पर कड़ी चुनौती दी थी। हालांकि, इस मजाक के बावजूद दोनों पवार के बीच रिश्तों में कोई तनाव नहीं दिखा और उन्होंने एक-दूसरे को आशीर्वाद दिया।
अजित पवार और रोहित पवार: रिश्तों की परतें
अजित पवार और रोहित पवार के रिश्ते एक गहरे पारिवारिक और राजनीतिक संबंध का प्रतिनिधित्व करते हैं। रोहित ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि “अजित पवार मेरे लिए पिता समान हैं, और 2019 के चुनाव में उन्होंने मेरी बहुत मदद की थी। वे मेरे चाचा हैं, और यह मेरी जिम्मेदारी है कि मैं उनके चरण स्पर्श करूं।” यह बयान यह साफ दर्शाता है कि उनके रिश्ते केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि पारिवारिक भी हैं। रोहित ने यह भी कहा कि यह वाई बी चव्हाण की धरती है, जहां परंपरा और मूल्य सबसे अधिक महत्वपूर्ण हैं, और इसलिए उन्होंने अजित पवार के पैर छूकर आशीर्वाद लिया।
हालांकि, जब अजित पवार ने मजाक करते हुए यह कहा कि अगर उन्होंने रोहित की सीट पर प्रचार किया होता तो रोहित की जीत मुश्किल हो जाती, तो रोहित पवार ने इसे स्वीकार करते हुए कहा, “यह सच है कि अगर अजित पवार मेरी सीट पर प्रचार करते तो स्थिति कुछ और होती। लेकिन वे बारामती में व्यस्त थे और उनके पास मेरी विधानसभा क्षेत्र में प्रचार करने का समय नहीं था।”
यह मजाक और हल्के-फुल्के पल से यह स्पष्ट हो गया कि भले ही राजनीति में दोनों के बीच प्रतिस्पर्धा हो, लेकिन पारिवारिक रिश्ते और समझदारी हमेशा प्राथमिकता रखते हैं। इस घटना से यह भी दिखा कि राजनीति में विरोध भी निजी रिश्तों को प्रभावित नहीं करता। अजित पवार ने रोहित की जीत की भले ही मजाक उड़ाई हो, लेकिन उन्होंने सार्वजनिक रूप से उन्हें बधाई भी दी और अपनी समर्थन की बात कही।
रोहित पवार की जीत का महत्व
रोहित पवार ने महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले की करजत-जामखेड़ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था, और उन्हें भाजपा के राम शिंदे के सामने कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा। यह सीट भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण सीट थी, और उन्होंने इस सीट पर अपनी जीत को सुनिश्चित करने के लिए पूरी ताकत झोंकी थी। लेकिन रोहित पवार ने अपनी कड़ी मेहनत और जनसमर्थन के बल पर महज 1,243 वोटों से विजय प्राप्त की।
रोहित की यह जीत एक बहुत बड़ी उपलब्धि मानी जा रही थी, क्योंकि उन्हें भाजपा के उम्मीदवार के खिलाफ कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा। भाजपा ने इस सीट पर चुनाव प्रचार के लिए हर संभव कोशिश की थी, लेकिन अंततः रोहित पवार ने अपनी जीत को सुनिश्चित किया। इस चुनावी लड़ाई में भाजपा के राम शिंदे ने केवल थोड़े अंतर से हार मानी, जो रोहित पवार की राजनीति में सफलता का प्रतीक है।
अजित पवार का राजनीतिक कद और उनके बयान
अजित पवार की राजनीतिक ताकत और उनका प्रभाव महाराष्ट्र में किसी से छिपा नहीं है। वे एनसीपी के प्रमुख हैं और उनके नेतृत्व में पार्टी ने हाल के विधानसभा चुनावों में शानदार प्रदर्शन किया। अजित पवार ने अपनी पार्टी के साथ मिलकर महाराष्ट्र में भाजपा के खिलाफ मुकाबला किया और प्रदेश की राजनीति में अहम भूमिका निभाई। उनकी पार्टी ने 41 सीटों पर जीत दर्ज की, जो इस बात का संकेत है कि उनका राजनीतिक कद महाराष्ट्र में बढ़ा है।
अजित पवार ने अपने भतीजे युगेंद्र पवार के चुनाव में लड़ने पर भी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा, “मैंने पहले ही सुप्रिया के सामने सुनेत्रा को चुनाव लड़ाने को लेकर माफी मांग ली थी, फिर मेरे खिलाफ युगेंद्र को क्यों उतारा गया?” यह बयान यह दर्शाता है कि पारिवारिक राजनीति में भी कई बार मतभेद हो सकते हैं, और अजित पवार को इस बात से दुख था कि उनके परिवार के सदस्य उनके खिलाफ चुनावी मैदान में उतरे।
महायुति और राज्य में गठबंधन की राजनीति
महाराष्ट्र के चुनावों में महायुति (भा.ज.पा., शिवसेना और अन्य सहयोगी दलों का गठबंधन) ने शानदार प्रदर्शन किया और कुल 288 विधानसभा सीटों में से 234 सीटें जीतने में सफल रही। इसके परिणामस्वरूप महायुति को राज्य में पूर्ण बहुमत प्राप्त हुआ। अजित पवार ने मीडिया से बात करते हुए महायुति के सहयोगियों के बीच चर्चा की बात की और कहा कि राज्य के विकास के लिए वे सभी मिलकर काम करेंगे।
अजित पवार ने अपनी सरकार की “लाडकी बहिन योजना” की भी सराहना की, जिसे उन्होंने राज्य के महिला सशक्तिकरण के लिए शुरू किया था। उनका मानना है कि यह योजना महिलाओं के अधिकारों को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी और राज्य के विकास को आगे बढ़ाएगी।
एनसीपी की स्थिति और अजित पवार की भूमिका
एनसीपी, जिसकी अगुआई अजित पवार कर रहे हैं, ने हाल के विधानसभा चुनावों में शानदार प्रदर्शन किया। पार्टी ने 41 सीटों पर जीत दर्ज की, जो एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है। हालांकि, शरद पवार की पार्टी का प्रदर्शन अपेक्षाकृत निराशाजनक रहा और उन्हें केवल 10 सीटों पर ही जीत हासिल हुई। शरद पवार, जो पार्टी के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय नेता माने जाते हैं, की पार्टी के प्रदर्शन में गिरावट ने यह साबित कर दिया कि राज्य की राजनीति में अब अजित पवार का कद बढ़ गया है।
अजित पवार ने बारामती सीट पर अपने भतीजे युगेंद्र पवार को भारी अंतर से हराया और यह चुनावी जीत उन्हें एक मजबूत नेता के रूप में स्थापित करती है। बारामती सीट पर अजित पवार ने एक लाख से अधिक वोटों से विजय प्राप्त की, जिससे उनकी लोकप्रियता और राजनीतिक प्रभाव का अंदाजा लगाया जा सकता है।