प्रयागराज महाकुंभ में आग का तांडव: सेक्टर-19 में भीषण हादसा

प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मेले के सेक्टर-19 में स्थित पांटून पुल 12 के समीप शिविरों में मंगलवार को भीषण आग लग गई। इस हादसे ने पूरे क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया। यह आग अखिल भारतीय धर्म संघ श्रीकरपात्री धाम वाराणसी के शिविर में लगी थी, जो धीरे-धीरे अन्य टेंटों तक फैल गई। आग लगने के दौरान वहां रखे एलपीजी सिलेंडर भी धमाके के साथ फटने लगे, जिससे स्थिति और भी भयावह हो गई। इस हादसे में कुल 18 टेंट जलकर खाक हो गए।

सूत्रों के अनुसार, यह आग सबसे पहले श्रीकरपात्री धाम के शिविर में लगी। वहां रखे एलपीजी सिलेंडरों में विस्फोट के चलते आग ने तेजी से अन्य शिविरों को अपनी चपेट में ले लिया। सिलेंडरों के लगातार फटने से आग और भयावह होती गई। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, इस घटना में कुल 19 सिलेंडरों में विस्फोट हुआ। आग लगने का मुख्य कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है। हालाँकि, प्राइमरी रिपोर्ट्स के अनुसार सिलेंडर लीक होने को इसका संभावित कारण माना जा रहा है।

आग की सूचना मिलते ही दमकल विभाग को सतर्क किया गया। मौके पर 15-16 दमकल की गाड़ियां भेजी गईं। दमकल कर्मियों ने पूरी तत्परता से आग बुझाने का कार्य किया। हालांकि, आग की भयावहता और 30 फीट ऊंची लपटों के कारण इसे नियंत्रित करने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। करीब 10 मिनट की लगातार कोशिशों के बावजूद आग पर पूरी तरह से काबू नहीं पाया जा सका, जिसके बाद अतिरिक्त टीमें बुलानी पड़ीं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का निरीक्षण

घटना की सूचना मिलते ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं मौके पर पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने प्रभावित क्षेत्र का निरीक्षण किया और अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने इस घटना में किसी भी तरह के घायलों को समुचित चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराने के आदेश दिए। साथ ही उन्होंने आग लगने के कारणों की जांच के लिए एक समिति गठित करने के भी निर्देश दिए।

आग की भयावहता को देखते हुए महाकुंभ क्षेत्र के केंद्रीय अस्पताल को अलर्ट मोड पर रखा गया। आपातकालीन स्थिति को ध्यान में रखते हुए 10 चिकित्सकों को तुरंत तैनात किया गया। एसआरएन अस्पताल को भी तैयार रहने के निर्देश दिए गए, ताकि किसी भी स्थिति में घायलों को तुरंत चिकित्सा सुविधा मिल सके। राहत की बात यह रही कि इस हादसे में अब तक किसी के भी हताहत होने की सूचना नहीं मिली है।

रेलवे और यातायात पर असर

जिस स्थान पर आग लगी, उसके पास ही रेलवे का पुल था। सुरक्षा कारणों से रेलवे प्रशासन ने पुल से गुजरने वाली ट्रेनों का संचालन अस्थायी रूप से रोक दिया। इसके अलावा, मुख्य सड़क पर स्थित लोहे के पुल के पास आग लगने के कारण यातायात भी बाधित रहा। आग के कारण पूरे क्षेत्र में अफरा-तफरी का माहौल बन गया।

अफरा-तफरी और प्रशासनिक कार्रवाई

आग लगने के बाद महाकुंभ मेले में मौजूद लोग भयभीत होकर इधर-उधर भागने लगे। तेज हवा के कारण आग ने तेजी से अन्य शिविरों को भी चपेट में ले लिया। दमकल कर्मियों के साथ-साथ प्रशासनिक अधिकारी भी स्थिति को नियंत्रित करने के लिए मौके पर डटे रहे। अधिकारियों ने लोगों को शांत करने और सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने में मदद की।

इस हादसे में 25 से अधिक टेंट जलकर खाक हो गए। आग का असर लगभग 100 वर्ग मीटर के क्षेत्र में देखा गया। आग की लपटों ने पूरे क्षेत्र को घेर लिया, जिससे नुकसान काफी बढ़ गया। हालांकि, दमकल विभाग की तत्परता और प्रशासन की सक्रियता के कारण आग को अधिक फैलने से रोक लिया गया।

राहत और बचाव कार्य

प्रशासन ने प्रभावित क्षेत्र में राहत कार्य तेज कर दिए हैं। फायर ब्रिगेड और आपदा प्रबंधन टीमों ने संयुक्त रूप से आग पर काबू पाया। राहत सामग्री और आवश्यक चिकित्सा उपकरणों को प्रभावित क्षेत्र में पहुंचाया गया। प्रशासन ने शिविर में रहने वाले लोगों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना को गंभीरता से लिया है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि घटना के कारणों की गहन जांच की जाए। साथ ही उन्होंने आश्वासन दिया कि महाकुंभ मेले में सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत किया जाएगा, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

घटना के बाद कई जनप्रतिनिधि और स्थानीय नेता घटनास्थल पर पहुंचे। उन्होंने प्रभावित लोगों से बातचीत की और प्रशासन को उनकी हरसंभव मदद करने के निर्देश दिए। नेताओं ने इस घटना को दुखद बताते हुए प्रभावितों के प्रति संवेदनाएं प्रकट कीं।

महाकुंभ मेले की सुरक्षा पर सवाल

इस हादसे ने महाकुंभ मेले की सुरक्षा व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं। लाखों श्रद्धालुओं के बीच इस तरह की घटना प्रशासन की तैयारियों पर प्रश्नचिह्न लगाती है। घटना के बाद से ही मेले में सुरक्षा को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रशासन को मेले में आगजनी जैसी घटनाओं से निपटने के लिए पहले से ही ठोस उपाय करने चाहिए थे।