महाकुंभ 2025 उत्तर प्रदेश के लिए ₹2 लाख करोड़ का राजस्व उत्पन्न करने का अनुमान है, जिसमें 400 मिलियन (40 करोड़) श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। यह आयोजन न केवल आध्यात्मिक एकता का प्रतीक है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को भी प्रोत्साहित करता है, जिससे रोजगार के अवसर उत्पन्न होते हैं और लाखों लोगों को लाभ मिलता है। महाकुंभ 2025 का आयोजन एक वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण घटना के रूप में देखा जा रहा है, जो भारतीय संस्कृति, धर्म, और आर्थिक क्षेत्र में एक नए अध्याय की शुरुआत करेगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 13 दिसंबर को महाकुंभ 2025 के उद्घाटन के अवसर पर इसे ‘एकता का महायज्ञ’ करार दिया। उन्होंने इस आयोजन के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह न केवल सामाजिक एकता को बढ़ावा देता है, बल्कि यह लोगों के आर्थिक सशक्तिकरण में भी सहायक है। मोदी ने प्रयागराज में 167 विकास परियोजनाओं का उद्घाटन भी किया, जिनकी कुल लागत ₹5,500 करोड़ है।

महाकुंभ हर 12 वर्ष में एक बार होता है और इस बार यह आयोजन प्रयागराज (पूर्व में इलाहाबाद) में हो रहा है। इसका उद्देश्य न केवल धार्मिक उन्नति है, बल्कि यह उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी प्रोत्साहित करेगा। महाकुंभ के दौरान श्रद्धालु विभिन्न स्थानों से आते हैं और यहां पर उनकी जरूरतों के लिए एक विशाल व्यापारिक और सेवा क्षेत्र विकसित होता है। इन गतिविधियों से उत्पन्न होने वाला राजस्व राज्य के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान करेगा।

महाकुंभ 2025: 400 मिलियन श्रद्धालुओं की मौजूदगी और ₹2 लाख करोड़ का राजस्व

महाकुंभ का आयोजन 45 दिनों तक चलने वाला है और इस दौरान लगभग 400 मिलियन लोग इसमें भाग लेने के लिए आएंगे। 13 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन ‘अमृत स्नान’ के साथ महाकुंभ की शुरुआत हुई, और इसके बाद लगातार श्रद्धालु गंगा, यमुन और सरस्वती के संगम स्थल पर स्नान करने के लिए जुटे हैं।

इस विशाल आयोजन से स्थानीय अर्थव्यवस्था को अपार लाभ होगा। महाकुंभ के आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने ₹7,500 करोड़ का बजट आवंटित किया है, जो राज्य की विकास योजनाओं को गति देगा। इस आयोजन में होने वाली आर्थिक गतिविधियों का अनुमानित प्रभाव ₹2 लाख करोड़ तक होने की संभावना है। महाकुंभ के माध्यम से उत्तर प्रदेश न केवल धार्मिक पर्यटन से फायदा उठाएगा, बल्कि यह राज्य के व्यापार, उद्योग, परिवहन, होटल और अन्य सेवाओं के क्षेत्र में भी उन्नति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।

महाकुंभ के आयोजन से उत्पन्न होने वाली आर्थिक गतिविधियाँ

महाकुंभ 2025 केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक आर्थिक इवेंट भी है, जिसमें विभिन्न प्रकार के व्यवसायों को फायदा होता है। यहां पर विभिन्न सेक्टरों में आर्थिक गतिविधियाँ होती हैं, जैसे कि होटल व्यवसाय, परिवहन, खाद्य वितरण, धार्मिक सामान की बिक्री, स्वास्थ्य सेवाएं, कपड़ा, सुरक्षा सेवाएं, और बहुत कुछ।

उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने अनुमान जताया है कि महाकुंभ 2025 से प्रयागराज को ₹2 लाख करोड़ का राजस्व प्राप्त होगा। इस आयोजन के दौरान राज्य में विकास कार्यों के साथ-साथ व्यापारिक गतिविधियों में भी भारी वृद्धि होगी।

प्रमुख आर्थिक क्षेत्रों से अनुमानित राजस्व

  1. खाद्य एवं सामान:
    महाकुंभ के दौरान श्रद्धालु अपने साथ आवश्यक वस्तुएं लेकर आते हैं, जैसे कि ग्रोसरी आइटम्स, दूध और डेयरी उत्पाद, खाद्य तेल, सब्जियां और फल। इन वस्तुओं की बिक्री से करीब ₹17,310 करोड़ का राजस्व प्राप्त होगा।

    • ग्रोसरी आइटम्स: ₹4,000 करोड़
    • खाद्य तेल: ₹1,000 करोड़
    • सब्जियां: ₹2,000 करोड़
    • दूध और डेयरी उत्पाद: ₹4,000 करोड़
  2. आतिथ्य सेवाएं:
    महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए अस्थायी आवास की आवश्यकता होती है, जिसके लिए होटल, गेस्टहाउस, बेड, गद्दे और बिस्तर जैसे उत्पादों की बिक्री होती है। इसके साथ ही खाने-पीने की सेवाओं की भी भारी मांग होती है। अनुमान है कि आतिथ्य क्षेत्र से ₹2,500 करोड़ का राजस्व उत्पन्न होगा।
  3. परिवहन सेवाएं:
    लाखों श्रद्धालुओं के परिवहन के लिए परिवहन सेवाओं की भारी आवश्यकता होती है, जिसमें बसें, ट्रेन, नाव, हेलीकॉप्टर, और अन्य वाहन शामिल होते हैं। इससे परिवहन क्षेत्र को भी भारी राजस्व मिलेगा, जो करीब ₹300 करोड़ तक हो सकता है।
  4. धार्मिक वस्तुएं:
    महाकुंभ के दौरान श्रद्धालु धार्मिक सामग्री जैसे पुस्तकें, तुलसी के पौधे, धार्मिक रत्न, पवित्र जल और अन्य पूजन सामग्री खरीदते हैं, जिससे व्यापारियों को महत्वपूर्ण लाभ होता है। इसके माध्यम से भी राजस्व में वृद्धि होगी।
  5. स्वास्थ्य सेवाएं:
    महाकुंभ के दौरान श्रद्धालुओं की सुरक्षा और स्वास्थ्य का ख्याल रखने के लिए कई मेडिकल कैंप लगाए जाते हैं। इस क्षेत्र में भी महाकुंभ की वजह से आर्थिक गतिविधियाँ बढ़ती हैं, और इससे संबंधित सेवाओं से राजस्व उत्पन्न होता है।
  6. नाविक और छोटे व्यापार:
    नाविक जो श्रद्धालुओं को त्रिवेणी संगम तक पहुंचाने का काम करते हैं, वे भी इस आयोजन से भारी लाभ उठाते हैं। अनुमान है कि नाविकों का राजस्व ₹50 करोड़ के आस-पास हो सकता है।

महाकुंभ 2025 का समाजिक और आर्थिक प्रभाव

महाकुंभ केवल धार्मिक उद्देश्य से अधिक है; यह समाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। इस आयोजन से समाज में सामाजिक एकता और धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा मिलता है। इसके साथ ही यह आयोजन स्थानीय व्यवसायों और व्यापारी समुदाय के लिए एक बड़ा अवसर भी प्रदान करता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनुसार, महाकुंभ न केवल आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक है, बल्कि यह आर्थिक सशक्तिकरण में भी सहायक है। इससे न केवल स्थानीय व्यापारियों को फायदा होता है, बल्कि स्थानीय नागरिकों के लिए भी रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होते हैं।

 

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