Navratri 2nd day Maa Brahmacharini : इस समय चैत्र नवरात्र चल रहे हैं। नवरात्रि के दूसरे दिन मां के द्वितीय स्वरूप मां ब्रह्माचारिणी की पूजा की जाती है। मां का स्वरूप अत्यंत तेजमय और भव्य है। नवरात्र के दूसरे दिन साधक का मन स्वाधिष्ठान चक्र में स्थित होता है। मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप किया। इस कारण मां को ब्रह्मचारिणी एवं तपस्चारिणी कहा गया। मां ब्रह्मचारिणी दुष्टों को सन्मार्ग दिखाने वाली हैं। मां ब्रह्मचारिणी का पूजन करने से आलस्य, अंहकार, लोभ, असत्य, स्वार्थ व ईर्ष्या जैसी दुष्प्रवृत्तियां दूर हो जाती हैं। मां का स्मरण करने से एकाग्रता एवं स्थिरता आती है। साथ ही बुद्धि, विवेक व धैर्य में वृद्धि होती है। माता की भक्ति से व्यक्ति में तप की शक्ति, त्याग, सदाचार, संयम और वैराग्य जैसे गुणों में वृद्धि होती है।
पूजा विधि:
- सुबह उठकर स्नान करें और पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें।
- घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- मां दुर्गा का गंगाजल से अभिषेक करें।
- मां को अर्घ्य दें।
- मां को अक्षत, सिंदूर, लाल पुष्प अर्पित करें।
- प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं।
- धूप और दीपक जलाएं।
- दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
- मां की आरती करें।
- मां को भोग लगाएं।
भोग:
- गुड़हल और कमल के फूल
- चीनी, मिश्री और पंचामृत
- दूध और दूध से बने व्यंजन
व्रत कथा:
मां ब्रह्मचारिणी ने राजा हिमालय के घर जन्म लिया था। नारदजी की सलाह पर उन्होंने भगवान शिव को पति स्वरूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया। तपस्या के दौरान उन्होंने 1000 वर्ष तक केवल फल-फूल खाए और 100 वर्ष तक शाक खाकर जीवित रहीं। कठोर तप से उनका शरीर क्षीण हो गया। उनका तप देखकर सभी देवता, ऋषि-मुनि अत्यंत प्रभावित हुए। उन्होंने कहा कि आपके जैसा तप कोई नहीं कर सकता। आपकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होगी। भगवान शिव आपको पति स्वरूप में प्राप्त होंगे।
मंत्र
मां ब्रह्मचारिणी के स्वयं सिद्ध बीज मंत्र – ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:।
मां ब्रह्मचारिणी का पूजन मंत्र – ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:।