लखनऊ के चौधरी चरण सिंह अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट पर मंगलवार की सुबह एक अजीब और चौंकाने वाली घटना घटी, जब एयरपोर्ट के कार्गो क्षेत्र में एक डिब्बे में नवजात का शव मिला। यह घटना न केवल एयरपोर्ट कर्मचारियों के लिए बल्कि पूरे शहर के लिए हैरानी का कारण बन गई है। जब एयरपोर्ट पर सामान की स्कैनिंग की जा रही थी, तब एक डिब्बे में नवजात के शव का पता चला, जिससे एयरपोर्ट परिसर में खलबली मच गई।
इस घटना के बाद से लखनऊ पुलिस और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) ने तुरंत कार्रवाई की और मामले की गहन जांच शुरू कर दी है। इस बीच, कोरियर एजेंट को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है, लेकिन उसने शव के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी। आइए जानते हैं इस घटनाक्रम के बारे में विस्तार से।
लखनऊ एयरपोर्ट के कार्गो विभाग में रोजाना की तरह सामान की स्कैनिंग चल रही थी। उसी दौरान एक प्राइवेट कोरियर एजेंट ने कुछ सामान एयरपोर्ट कार्गो के जरिए भेजने के लिए बुक किया। कार्गो स्टाफ ने जब बुक किए गए सामान की स्कैनिंग शुरू की, तो एक प्लास्टिक के डिब्बे में कुछ संदिग्ध पदार्थ दिखाई दिया। जैसे ही स्कैनिंग मशीन में डिब्बे को डाला गया, उसमें नवजात के शव का संकेत मिला।
कार्गो कर्मचारियों ने तुरंत पैकेट खोला और देखा कि उसमें लगभग एक महीने के नवजात का शव रखा हुआ था। यह दृश्य देखकर सभी कर्मचारियों के होश उड़ गए। इस घटना के बाद हड़बड़ी में कर्मचारियों ने इसकी सूचना सीआईएसएफ (CISF) को दी और साथ ही पुलिस को भी सूचित किया। पुलिस और सीआईएसएफ की टीम ने तुरंत कार्रवाई करते हुए कोरियर एजेंट को पकड़ लिया, जो उस सामान को भेजने आया था।
कोरियर एजेंट की भूमिका:
कोरियर एजेंट से पूछताछ की गई, लेकिन वह नवजात के शव के बारे में कोई जानकारी देने में विफल रहा। उसने शव के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी और यह भी नहीं बता सका कि शव को किस स्थान पर भेजने के लिए बुक किया गया था। पूछताछ में यह बात सामने आई कि कोरियर एजेंट ने इस शव को भेजने के लिए मुंबई का नाम लिया था, लेकिन इसके बारे में कोई कानूनी दस्तावेज या अनुमति पत्र नहीं प्रस्तुत किया गया।
एयरपोर्ट अधिकारियों ने यह भी बताया कि कोरियर एजेंट ने यह कहा था कि शव का परीक्षण कराने के लिए उसे मुंबई भेजा जा रहा था, लेकिन इस बारे में कोई वैध कागजात या अनुमति नहीं दिखाई गई। ऐसे में मामला और पेचीदा हो गया और जांच की दिशा बदल गई।
जांच की दिशा:
लखनऊ पुलिस और सीआईएसएफ की टीम इस मामले की गहराई से जांच कर रही है। वे यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि नवजात का शव वास्तव में कहां से आया और इसे किसलिए भेजा जा रहा था। साथ ही यह भी जांचा जा रहा है कि शव को भेजने के लिए क्या कोई कानूनी प्रक्रिया अपनाई गई थी या नहीं।
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि शुरुआती जांच में यह बात सामने आई है कि कोरियर एजेंट ने जो जानकारी दी थी, वह पूरी तरह से सही नहीं हो सकती। इसके अलावा, शव भेजने के लिए कोई वैध दस्तावेज भी नहीं मिले हैं, जिससे यह मामला और संदिग्ध हो गया है।
कागजात और अनुमतियां:
कोरियर एजेंट ने दावा किया कि शव को मुंबई भेजने के लिए बुक किया गया था, लेकिन इस संबंध में कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं थे। हवाई मार्ग से शव को भेजने के लिए कानून के अनुसार कुछ आवश्यक कागजात होने चाहिए, जिनमें मेडिकल प्रमाण पत्र और संबंधित अधिकारियों से अनुमति शामिल होनी चाहिए।
एयरपोर्ट अधिकारियों ने बताया कि अगर शव को परीक्षण के लिए भेजा जा रहा था, तो इसे विशेष अनुमति की आवश्यकता होती, लेकिन कोरियर एजेंट के पास इस बारे में कोई भी दस्तावेज नहीं था। इस कारण से यह मामला और भी गहरा हो गया है और जांच के दायरे में है।
स्थानीय पुलिस और सीआईएसएफ की कार्रवाई:
इस मामले में स्थानीय पुलिस और सीआईएसएफ ने संयुक्त रूप से कार्यवाही की है। पुलिस ने एयरपोर्ट परिसर में एकत्र हुए सबूतों को सुरक्षित किया और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा। शव की पहचान और इसके बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए आगे की जांच जारी है।
सीआईएसएफ और पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इस मामले की जांच में कई कोणों से विचार किया जा रहा है। विशेष रूप से, यह समझने की कोशिश की जा रही है कि शव को भेजने के पीछे क्या उद्देश्य था और क्या इसमें कोई अवैध गतिविधि शामिल है।
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