Ayodhya Ram temple
अयोध्या का राम मंदिर देशभर में धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। हाल ही में, राम मंदिर ट्रस्ट ने मंदिर में कार्यरत पुजारियों के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। यह दिशा-निर्देश पुजारियों की ड्यूटी के साथ-साथ उनके कार्यों के बारे में कई नियमों को लागू करते हैं। इन नियमों में प्रमुख बदलाव यह है कि अब पुजारियों को एंड्राइड फोन का उपयोग करने की अनुमति नहीं होगी और जल्द ही ड्रेस कोड भी लागू किया जाएगा।

नए पुजारियों की ड्यूटी

Ayodhya Ram temple में अब तक कुल 14 पुजारियों को नियुक्त किया गया है। इन 14 पुजारियों को दो समूहों में बांटा गया है। हर समूह में सात पुजारी होंगे। इन पुजारियों की ड्यूटी दो पालियों में निर्धारित की गई है। इस निर्णय के तहत चार पुजारियों को गर्भगृह के भीतर पूजा अर्चना के लिए नियुक्त किया गया है, जबकि तीन पुजारियों को गर्भगृह के बाहर अन्य धार्मिक कार्यों के लिए जिम्मेदार बनाया गया है।

राम मंदिर की प्रबंधन समिति ने पुजारियों के कार्यों और आचार-व्यवहार से संबंधित कई कड़े दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसके तहत पुजारियों को मंदिर में अपने काम के दौरान मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने से मना किया गया है। इसका उद्देश्य मंदिर में होने वाली पूजा और धार्मिक कार्यों में किसी प्रकार की विघ्न या विघटन को रोकना है। इसके साथ ही, पुजारियों के व्यक्तिगत जीवन को भी आस्था और अनुशासन के साथ जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।

पुजारियों के लिए ड्रेस कोड

राम मंदिर के पुजारियों के लिए जल्द ही ड्रेस कोड लागू किए जाने की योजना बनाई जा रही है। इस ड्रेस कोड में पुजारियों को पीली चौबंदी, धोती, कुर्ता और सिर पर पीले रंग की पगड़ी पहनने का आदेश दिया जाएगा। इसके अलावा, भगवा रंग का विशेष ड्रेस भी इस ड्रेस कोड का हिस्सा होगा। ड्रेस कोड का उद्देश्य पुजारियों के धार्मिक अनुशासन को और भी मजबूत करना और मंदिर के वातावरण को आस्थापूर्ण बनाना है।

इसके साथ ही, राम मंदिर में अधिकतम शांति और पूजा की उच्चतम गुणवत्ता बनाए रखने के लिए ट्रस्ट ने कई अन्य नियमों पर भी ध्यान केंद्रित किया है। इनमें पूजा विधि, समय, और अनुशासन की कड़ी निगरानी करना शामिल है।

Ayodhya Ram temple

पुजारियों के दूसरे बैच का प्रशिक्षण

Ayodhya Ram temple परिसर में कुल 19 मंदिरों का निर्माण कार्य चल रहा है। इन मंदिरों की सेवा और संचालन के लिए पुजारियों की संख्या को और बढ़ाने की योजना बनाई गई है। इसके लिए पुजारियों के दूसरे बैच का प्रशिक्षण जल्द ही शुरू किया जाएगा। इस प्रशिक्षण में उन पुजारियों को शामिल किया जाएगा जो भविष्य में अन्य मंदिरों में सेवा देने के लिए तैयार होंगे।

इस प्रशिक्षण के दौरान पुजारियों को न केवल धार्मिक कार्यों की शिक्षा दी जाएगी, बल्कि उन्हें मंदिर के संचालन और व्यवस्था के बारे में भी विशेष जानकारी दी जाएगी। राम मंदिर ट्रस्ट का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी पुजारी धर्म, परंपरा, और अनुशासन के साथ कार्य करें।

मेधा पाटकर का बयान

Ram temple में नए नियमों और प्रबंधन के संदर्भ में सामाजिक कार्यकर्ता और नर्मदा बचाओ आंदोलन की संस्थापक सदस्य मेधा पाटकर ने अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि राम के दर्शन सभी के लिए खुले होने चाहिए, फिर भी अयोध्या के मंदिरों में इतनी पाबंदियां क्यों हैं? उनका मानना था कि मंदिर अब होटल के रूप में बदलते जा रहे हैं, जहां पैसे के बिना दर्शन संभव नहीं होते।

उन्होंने यह भी कहा कि अयोध्या में विकास के नाम पर जो हो रहा है, वह समाज के बड़े हिस्से को हाशिए पर डालने का काम कर रहा है। उन लोगों के लिए उचित मुआवजे की बात नहीं की जा रही, जिनकी जमीन मंदिर निर्माण के लिए गई है। मेधा पाटकर ने कहा कि अयोध्या का विकास गरीब और जरूरतमंदों के साथ अन्याय कर रहा है और इंसाफ की लड़ाई में युवा पीढ़ी को आगे आने की जरूरत है।

धार्मिक यात्राओं में परिवर्तन

मेधा पाटकर ने धार्मिक यात्राओं के तरीके में हो रहे बदलाव को लेकर भी अपनी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि धार्मिक यात्राएं अब दिन के बजाय रात में आयोजित की जा रही हैं, जिससे अनावश्यक हिंसा की संभावना पैदा हो रही है। उनका कहना था कि यह न केवल धार्मिक आस्थाओं को प्रभावित करता है, बल्कि समाज में हिंसा को भी बढ़ावा देता है।

काकोरी एक्शन और शहीदों की याद

उसी कार्यक्रम में उर्दू कवि और सामाजिक कार्यकर्ता गौहर रजा ने भी अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि बेहतर समाज और मुल्क के लिए संघर्ष करना पड़ता है और हमें उन संघर्षों की याद दिलानी चाहिए जो हमारे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने देश की स्वतंत्रता के लिए किया। उन्होंने राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां और रोशन सिंह जैसे स्वतंत्रता सेनानियों का उदाहरण देते हुए कहा कि हमें उनके संघर्षों और बलिदानों को कभी नहीं भूलना चाहिए।

गौहर रजा ने यह भी कहा कि आजादी की लड़ाई में फैजाबाद की धरती पर भी शहीदों ने संघर्ष किया, लेकिन उनके योगदान को भुला दिया गया है। अब भी हमें गंगा, यमुना और सरयू जैसी नदियों को बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। उनका कहना था कि यह संघर्ष जारी रखना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ियों को एक बेहतर और समृद्ध समाज मिल सके।