कोटपुतली, राजस्थान में बोरवेल में गिरने के बाद एक मासूम बच्ची चेतना को बचाने के लिए चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन अब अपने अंतिम चरण में पहुंच गया है। इस ऑपरेशन को राजस्थान का सबसे मुश्किल बचाव कार्य माना जा रहा है, जिसमें पिछले आठ दिनों से लगातार रेस्क्यू टीमें दिन-रात जुटी हुई हैं। मंगलवार, 24 दिसंबर से चेतना के कोई मूवमेंट नहीं होने की सूचना मिली थी, जिसके बाद उसकी स्थिति को लेकर चिंता और बढ़ गई थी। लेकिन अब, खबरें आ रही हैं कि रेस्क्यू टीम ने चेतना तक पहुंचने के लिए केवल 1.5 फीट चट्टान काटने का काम बाकी रखा है। रेस्क्यू टीम का दावा है कि आज दोपहर 12 बजे तक वे चेतना तक पहुंच जाएंगे।
बोरवेल में गिरने की घटना और शुरुआत
कोटपुतली के एक छोटे से गांव में 23 दिसंबर को यह हादसा हुआ था। चेतना, जो लगभग 2.5 साल की थी, अपने घर के पास खेल रही थी, जब वह अचानक बोरवेल में गिर गई। यह बोरवेल करीब 170 फीट गहरा था और इस दुर्घटना के बाद से उसे निकालने के लिए प्रशासन और रेस्क्यू टीम ने तुरंत ऑपरेशन शुरू कर दिया। बोरवेल का आकार संकरा होने के कारण बचाव कार्य में बेहद कठिनाइयाँ आईं, लेकिन रेस्क्यू टीम ने कोई कसर नहीं छोड़ी।
रेस्क्यू ऑपरेशन: एक लंबी और चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया
चेतना को बचाने के लिए शुरू किया गया रेस्क्यू ऑपरेशन बेहद चुनौतीपूर्ण था। इस ऑपरेशन के दौरान कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। सबसे पहले, बोरवेल का व्यास बहुत संकरा था, जिससे किसी भी बड़े उपकरण का उपयोग करना मुश्किल था। इसके अलावा, बोरवेल की गहराई भी ऑपरेशन को और जटिल बना रही थी।
रेस्क्यू टीम ने सुरंग (टंनल) खुदाई का विकल्प चुना, जिससे बोरवेल तक पहुंचने के लिए एक वैकल्पिक मार्ग तैयार किया जा सके। पहले दिन से ही एनडीआरएफ (नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स) और अन्य बचाव दल ने टनल खुदाई शुरू की। पहले चरण में करीब 7 फीट की खुदाई की गई। हालांकि, यह प्रक्रिया धीमी थी, क्योंकि टनल में दबाव और चट्टान की मजबूती ने काम को और कठिन बना दिया।
इसके बाद, जब टीम ने चट्टान काटने की प्रक्रिया शुरू की, तो रेस्क्यू में अतिरिक्त समय लगने लगा। इन कठिन परिस्थितियों के बावजूद, रेस्क्यू ऑपरेशन को गति दी गई, और इस दिन (सोमवार 30 दिसंबर) सुबह तक रेस्क्यू टीम 7 फीट की टनल खोदने में सफल रही थी। अब सिर्फ 1.5 फीट चट्टान को काटना बाकी था, जिसके बाद चेतना तक पहुंचने का रास्ता साफ हो जाएगा।
स्थानीय अधिकारियों और टीम का समर्पण
रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान प्रशासन और स्थानीय अधिकारियों ने भी अपनी पूरी ताकत झोंक दी। कलेक्टर कल्पना अग्रवाल ने इस बचाव कार्य को राजस्थान का सबसे मुश्किल ऑपरेशन करार दिया। उनकी मान्यता है कि इसे एक प्रकार की युद्धस्तरीय चुनौती के रूप में लिया गया है। रेस्क्यू कार्य के दौरान बहुत सारी अप्रत्याशित परिस्थितियाँ सामने आईं। बारिश के कारण खुदाई में रुकावट आई, और जगह की तंग परिस्थितियों ने काम को और कठिन बना दिया। इसके बावजूद, बचाव दल ने अपनी मेहनत और समर्पण से कभी हार नहीं मानी।
चेतना की स्थिति: क्या है उसकी हालत?
रेस्क्यू ऑपरेशन के पहले कुछ दिनों तक यह बताया गया कि चेतना पूरी तरह से स्थिर थी और उसकी कोई बड़ी शारीरिक परेशानी नहीं थी। लेकिन 24 दिसंबर के बाद से, उसके मूवमेंट का पता नहीं चल पा रहा था। इस दौरान, प्रशासन ने इसके कारणों का खुलासा नहीं किया और कोई सार्वजनिक अपडेट नहीं दिया। साथ ही, चेतना की स्थिति की पुष्टि करने के लिए कैमरे से ली गई इमेज या विजुअल भी सार्वजनिक नहीं किए गए थे, जिससे परिवार और स्थानीय लोगों में निराशा का माहौल था।
हालांकि, रेस्क्यू टीम के कमांडर ने आश्वासन दिया है कि वे चेतना के करीब पहुंच चुके हैं। अब, सिर्फ 1.5 फीट की चट्टान काटने का काम बाकी है, और टीम को उम्मीद है कि आज दोपहर तक वह चेतना तक पहुंच जाएंगे।
बचाव दल की विशेषज्ञता और उपकरण
चेतना को सुरक्षित निकालने के लिए इस मिशन में विशेषज्ञों की एक पूरी टीम को लगाया गया है। इन विशेषज्ञों में रैटमाइनर्स (एक विशेष टीम जो खतरनाक और तंग रास्तों में खुदाई करती है), मशीन ऑपरेटर, और अन्य बचाव कार्य में प्रशिक्षित लोग शामिल हैं।
इस बचाव अभियान के लिए विशेष ड्रिलिंग और खुदाई उपकरण का उपयोग किया गया है। इसके अलावा, तंग जगहों पर काम करने के लिए कई हाथों से खुदाई की गई। टीम ने कुछ हद तक जोखिम उठाया, क्योंकि चट्टान की मजबूती और गहराई के कारण कार्य में रुकावट आ रही थी। इसके बावजूद, बचाव दल ने अपनी पूरी मेहनत से चुनौती को पार किया।
पारिवारिक चिंताएं और उम्मीद
चेतना के परिवार को इस कठिन समय में बड़े तनाव से गुजरना पड़ रहा है। बचाव दल के काम के दौरान परिवार के सदस्य, खासकर चेतना की माँ और पिता, लगातार बचाव कार्य की जानकारी लेने के लिए मौके पर मौजूद थे। उनके चेहरे पर भय और उम्मीद के मिले-जुले भाव थे।
चेतना की माँ ने कहा था कि वह अपने बच्चे को सुरक्षित देखना चाहती हैं, और उनके लिए यह पल बहुत कठिन है। हालांकि, इस कठिन समय में भी परिवार को प्रशासन और बचाव दल से पूरी उम्मीद थी कि उनकी बेटी जल्द ही सुरक्षित बाहर आ जाएगी।
आने वाली चुनौतियाँ और उम्मीदें
अभी तक रेस्क्यू ऑपरेशन सफलतापूर्वक चल रहा है, और अधिकारियों का मानना है कि जल्द ही चेतना को सुरक्षित निकाल लिया जाएगा। इसके बावजूद, परिवार और स्थानीय लोग अभी भी चिंतित हैं और आशा कर रहे हैं कि बचाव दल अपनी योजना के अनुसार तेजी से काम करेंगे।
अब, चूंकि बचाव दल सिर्फ 1.5 फीट चट्टान को काटने में व्यस्त है, इसलिए अधिकारियों को पूरा यकीन है कि आज दोपहर तक चेतना को सुरक्षित बाहर निकाल लिया जाएगा। इसके बाद, पूरा कोटपुतली और आसपास के क्षेत्र में राहत की लहर दौड़ जाएगी, और यह दिन निश्चित रूप से एक नई उम्मीद और खुशी का प्रतीक बनेगा।