दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की ओर से आधिकारिक संबोधन के दौरान बैकग्राउंड में भगत सिंह, अंबेडकर की तस्वीर का उपयोग करने पर आपत्ति जताई गई थी. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल हुई जिसपर कोर्ट ने सुनवाई करने से इनकार कर दिया. जस्टिस बी आर गवई और संदीप मेहता ने कहा कि कोर्ट को राजनीतिक अखाड़ा क्यों बनाया जा रहा है? आपकी याचिका से पता चलता है कि आप किसी को निशाना बना रहे हैं. याचिकाकर्ता सोनीपत में भारतीय इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी इंस्टिट्यूट में प्रोफेसर विनय पाठक थे.
याचिका में कहा गया कि भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार किसी भी व्यक्ति को राष्ट्रीय प्रतीकों की तस्वीर/नामों का दुरुपयोग करने की अनुमति नहीं देता और न ही होना चाहिए. याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता यह देख कर बहुत परेशान था कि एक समकालीन राजनेता अपनी छवि की तुलना उक्त दो व्यक्तियों से कर रहा है, जो राष्ट्रीय नायक और प्रतीक हैं.’
उधर, दिल्ली हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग को लेकर दायर याचिका खारिज कर दी है. शीर्ष अदालत का कहना है कि उसके पास केजरीवाल से सीएम पद से हटने के लिए पूछने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है.
कोर्ट ने साफ करते हुए कहा है कि, ‘हमारा ये काम नही है, हम इसमें दखल नहीं देना चाहते हैं.’ सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली शराब घोटाले के आरोपी अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया. याचिकाकर्ता ने आम आदमी पार्टी के पूर्व विधायक संदीप कुमार की ओर से दायर याचिका को खारिज करने के हाई कोर्ट के अप्रैल के आदेश को चुनौती दी, जिन्होंने इसी तरह की राहत की मांग की थी.
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने यह कहते हुए विशेष अनुमति याचिका खारिज कर दी कि वह हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं है.