जम्मू-कश्मीर की अनंतनाग-राजौरी संसदीय सीट पर मतदान टल गया है. इस सीट पर तीसरे चरण में 7 मई को वोटिंग होनी थी, लेकिन अब यहां छठे चरण में 25 मई को मतदान होगा. अपनी पार्टी, जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस, डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (DPAP) और भाजपा ने चुनाव आयोग से कश्मीर घाटी की इस सीट पर 7 मई को होने वाला मतदान स्थगित करने का अनुरोध किया था. इन राजनीतिक पार्टियों ने चुनाव आयोग से कहा था कि हालिया बर्फबारी और भूस्खलन के कारण अनंतनाग और राजौरी को जोड़ने वाला मुगल रोड अवरुद्ध हो गया है, जिससे चुनाव प्रचार प्रभावित हो रहा है.
हालांकि, नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा है कि सड़क खुली है, और अनंतनाग राजौरी तक यात्रा करना संभव है. आयोग ने कहा कि अनंतनाग संसदीय क्षेत्र के लिए सिर्फ मतदान की तारीख को संशोधित किया गया है. नामांकन दाखिल करने, जांच और वापसी सहित सभी वैधानिक प्रक्रियाएं पहले ही पूरी हो चुकी हैं. इस सीट पर 20 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं. मतदान की तारीख को छोड़कर अन्य कोई बदलाव नहीं हुआ है. भाजपा ने इस सीट पर कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है, और उसके द्वारा किसी प्रॉक्सी उम्मीदवार का समर्थन करने की संभावना है.
महबूबा मुफ्ती और मियां अल्ताफ के बीच मुख्य मुकाबला
जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस ने भी अनंतनाग सीट पर कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है. सूत्रों की मानें तो भाजपा और जेकेपीसी ‘अपनी पार्टी’ के प्रत्याशी जफर मिन्हास का समर्थन कर सकती हैं. अब मुख्य मुकाबला पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और नेशनल कॉन्फ्रेंस के उम्मीदवार मियां अल्ताफ अहमद के बीच होने की संभावना है. अल्ताफ आदिवासी नेता हैं. उनका परिवार राजनीति में सक्रिय रहा है और कोई न कोई सदस्य 1967 से नौ विधानसभा चुनाव जीत चुका है. पीडीपी की महबूबा मुफ्ती 2019 में यहां तीसरे स्थान पर रही थीं. नेशनल कॉन्फ्रेंस के हसनैन मसूदी ने चुनाव जीता था. महबूबा ने 2004 और 2014 में यह सीट जीती थी, जबकि उनके पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद 1998 में कांग्रेस के टिकट पर यहां से जीते थे.
जम्मू-कश्मीर में 2019 तक छह लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र थे: जम्मू क्षेत्र में दो (जम्मू और उधमपुर), कश्मीर घाटी में तीन (श्रीनगर, बारामूला और अनंतनाग), और 1 लद्दाख सीट. 5 अगस्त 2019 के फैसले (अनुच्छेद 370 की समाप्ति) के बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो अलग अलग केंद्र शासित प्रदेश बन गए. परिसीमन के बाद, जम्मू क्षेत्र में दो लोकसभा सीटें बनी रहीं, इसके पुंछ जिले और राजौरी जिले के लगभग दो-तिहाई हिस्से को कश्मीर के अनंतनाग लोकसभा क्षेत्र में मिला कर अनंतनाग-राजौरी संसदीय सीट बनाई गई. नए निर्वाचन क्षेत्र में 18 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं- 11 कश्मीर के शोपियां, कुलगाम और अनंतनाग जिलों में, और 7 पुंछ और राजौरी जिलों में.
परिसीमन के बाद अनंतनाग में बढ़ी मतदाताओं की संख्या
अनंतनाग लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में 2019 में कुल मतदाताओं की संख्या 1,25,465 थी. यहां पिछले लोकसभा चुनाव में सबसे कम 8.98% मतदान दर्ज हुआ था. परिसीमन के बाद, इस निर्वाचन क्षेत्र में अब करीब 19 लाख 20 हजार मतदाता हैं, जिनमें से लगभग 11 लाख कश्मीर क्षेत्र में हैं, और 8.2 लाख जम्मू क्षेत्र में हैं. अनंतनाग-राजौरी लोकसभा सीट के कश्मीर क्षेत्र में नॉन-एसटी मुसलमानों का वर्चस्व है, जबकि इस सीट के जम्मू क्षेत्र में बड़ी संख्या में गुज्जर और बकरवाल आबादी है, जिन्हें हाल ही में एसटी के रूप में वर्गीकृत किया गया है. जम्मू क्षेत्र में बड़ी संख्या में पहाड़ी जातीय आबादी है, जिसमें गैर-गुज्जर मुस्लिम, हिंदू और सिख शामिल हैं. गुज्जर और बकरवाल करीब 300000 हैं, जबकि बाकी पहाड़ी हैं.