अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए अमेरिकी सरकार द्वारा 21 मिलियन अमेरिकी डॉलर की फंडिंग पर सवाल उठाया और इसे ‘रिश्वत योजना’ बताया। ट्रंप ने कहा, “भारत में मतदान के लिए 21 मिलियन अमेरिकी डॉलर। हम भारत में मतदान की परवाह क्यों कर रहे हैं? क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि इतना सारा पैसा भारत जा रहा है? मुझे आश्चर्य है कि जब उन्हें यह मिलता है तो वे क्या सोचते हैं।”
इस पर भारतीय राजनीति में हलचल मच गई। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने आरोप लगाया कि अमेरिकी धन का इस्तेमाल भारत में ‘डीप स्टेट एसेट्स’ को बनाए रखने के लिए किया जा रहा है और मामले की जांच की मांग की। भाजपा नेता अमित मालवीय ने सोशल मीडिया पर ट्रंप का वीडियो साझा करते हुए कहा कि अमेरिका से भेजे गए धन का उद्देश्य भारत में ऐसे तत्वों को समर्थन देना है जो इस तरह के खुलासे को बचाने और भटकाने का काम करते हैं।
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वहीं, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्रंप की टिप्पणी को बेतुका बताते हुए कहा कि यह बयान सही नहीं है। उन्होंने सोशल मीडिया पर कहा, “यूएसएआईडी इन दिनों काफी चर्चा में है। इसकी स्थापना 3 नवंबर, 1961 को हुई थी। अमेरिकी राष्ट्रपति का यह दावा बेतुका है।” उन्होंने भारत सरकार से मांग की कि वह एक श्वेत पत्र जारी करे, जिसमें दशकों से भारत में सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं को यूएसएआईडी की तरफ से दिए गए समर्थन का विवरण हो।
यह विवाद तब शुरू हुआ जब अमेरिकी सरकार के कार्यदक्षता विभाग (डीओजीई) ने अमेरिकी करदाताओं की तरफ से वित्तपोषित पहलों की सूची जारी की, जिसमें ‘भारत में मतदान’ के लिए निर्धारित 21 मिलियन अमेरिकी डॉलर का उल्लेख था। हालांकि, 16 फरवरी को डीओजीई ने इसे रद्द करने की घोषणा की, जिसके बाद यह मामला और भी तूल पकड़ा।
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