हरियाणा ने 1 नवंबर 1966 को पंजाब से अलग होकर अपने विकास की एक नई कहानी शुरू की। इस राज्य का गठन अनेक चुनौतियों के बावजूद आज भारतीय राज्यों में अग्रणी माना जाता है। कृषि, उद्योग, बुनियादी ढांचा, शिक्षा, खेल, संस्कृति और पर्यटन के क्षेत्रों में हरियाणा ने अपार प्रगति की है। आज हम इस लेख में हरियाणा के विकास के सफर, उसकी उपलब्धियों और आगे की चुनौतियों पर चर्चा करेंगे।

प्रारंभिक चुनौतियाँ

जब हरियाणा का गठन हुआ, तब यह एक नई पहचान की खोज में था। बंजर भूमि, सिंचाई के लिए पानी की कमी और रोजगार के अवसरों की अनुपलब्धता ने इसे कठिनाइयों में डाल दिया था। लेकिन हरियाणा के लोगों ने हिम्मत और दृढ़ संकल्प के साथ इन चुनौतियों का सामना किया। किसानों ने कठिन मेहनत की और बंजर जमीन को उपजाऊ बनाने में सफल रहे।

कृषि में प्रगति

हरियाणा की कृषि क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। किसानो की मेहनत के कारण धान की उपज में सात गुना और गेहूं की पैदावार में चार गुना वृद्धि हुई है। हरियाणा ने भारत के खाद्यान्न भंडार में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और केंद्रीय खाद्यान्न भंडार में दूसरे स्थान पर है।

आर्थिक विकास

हरियाणा की प्रति व्यक्ति आय वर्तमान में तीन लाख 25 हजार रुपये तक पहुंच गई है, जो राष्ट्रीय औसत से लगभग दोगुनी है। आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC) के अनुसार, हरियाणा की सापेक्ष प्रति व्यक्ति आय 176.8 प्रतिशत तक पहुंच गई है, जो पंजाब की 106.7 प्रतिशत से कहीं अधिक है।

हरियाणा ने औद्योगिक विकास में भी महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस, निर्यात और जीएसटी संग्रहण में हरियाणा ने कई राज्यों को पीछे छोड़ दिया है।

शिक्षा और खेल

हरियाणा में शिक्षा के क्षेत्र में भी सुधार हुए हैं। राज्य ने खेलों में भी देशभर में अपनी पहचान बनाई है। ओलंपिक और अन्य अंतरराष्ट्रीय खेलों में हरियाणा के खिलाड़ियों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है।

बुनियादी ढांचा और डिजिटल विकास

हरियाणा ने बुनियादी ढांचे में भी तेजी से विकास किया है। राष्ट्रीय राजमार्गों, एक्सप्रेसवे और एयरपोर्ट्स का निर्माण हुआ है, जो राज्य को अन्य राज्यों के साथ जोड़ने में मदद कर रहे हैं। इसके अलावा, डिजिटल हरियाणा की दिशा में भी कई पहल की गई हैं, जिससे सरकारी सेवाओं का लाभ अधिकतम लोगों तक पहुँचाया जा सके।

संस्कृति और पर्यटन

हरियाणा की सांस्कृतिक विरासत भी समृद्ध है। विभिन्न त्योहारों और परंपराओं ने राज्य को एक खास पहचान दी है। पर्यटन के क्षेत्र में भी राज्य ने अपने ऐतिहासिक स्थलों और सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा दिया है।

आगे की चुनौतियाँ

हालांकि हरियाणा ने कई उपलब्धियां हासिल की हैं, फिर भी कुछ चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं। कन्या भ्रूण हत्या, मातृ एवं शिशु मृत्यु दर, और महिला सुरक्षा के मुद्दे राज्य के विकास में बाधा बन रहे हैं। इसके साथ ही, पंजाब के साथ जल विवाद भी महत्वपूर्ण हैं, जिन्हें सुलझाने की आवश्यकता है।

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