हरियाणा, 25 अगस्त 2024 – हरियाणा में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। जहां एक ओर मां किरण चौधरी को राज्यसभा के लिए नामित किया गया है, वहीं उनकी बेटी श्रुति चौधरी ने लोकसभा चुनाव में तोशाम सीट पर दावे का मुद्दा उठाया है। श्रुति ने आरोप लगाया है कि चुनाव सर्वे में उन्हें 56% समर्थन मिला था, लेकिन फिर भी भूपेंद्र हुड्डा ने उनका टिकट काट दिया।
मां किरण का राज्यसभा में चयन: किरण चौधरी, जो हरियाणा के वरिष्ठ कांग्रेस नेता हैं, को हाल ही में राज्यसभा के लिए नामित किया गया है। उनके इस नामांकन से पार्टी में खुशी की लहर है और उन्हें एक महत्वपूर्ण राजनीतिक भूमिका निभाने की उम्मीद है।
श्रुति चौधरी का आरोप: श्रुति चौधरी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि लोकसभा चुनाव के लिए किए गए सर्वे में उन्हें 56% समर्थन प्राप्त हुआ था, जो कि एक मजबूत संकेत था कि वे तोशाम सीट पर जीत सकती हैं। बावजूद इसके, पार्टी के वरिष्ठ नेता भूपेंद्र हुड्डा ने उनका टिकट काटकर किसी अन्य उम्मीदवार को मैदान में उतारा।
श्रुति ने आरोप लगाया कि उनके टिकट कटने के पीछे राजनीतिक लॉबी और व्यक्तिगत पसंद-नापसंद का हाथ है। उन्होंने कहा, “मुझे विश्वास था कि मेरे काम और समर्थन के आधार पर मुझे टिकट मिलेगा। सर्वे के परिणाम भी मेरे पक्ष में थे। हालांकि, पार्टी के कुछ अंदरूनी मामलों के चलते मेरा टिकट काट दिया गया।”
भूपेंद्र हुड्डा की प्रतिक्रिया: (लोकसभा चुनाव) भूपेंद्र हुड्डा ने श्रुति चौधरी के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि टिकट वितरण प्रक्रिया में कई पहलुओं को ध्यान में रखा जाता है और यह निर्णय पार्टी के सर्वोत्तम हित में लिया जाता है। उन्होंने किसी भी व्यक्तिगत या राजनीतिक एजेंडे की बात को नकारते हुए कहा कि निर्णय पार्टी के वरिष्ठ नेताओं द्वारा लिया गया था और यह सर्वसम्मति से किया गया।
राजनीतिक परिदृश्य: (लोकसभा चुनाव) इस विवाद ने हरियाणा की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है। कांग्रेस पार्टी में अंतर्विरोध और टिकट वितरण को लेकर उठ रहे सवालों ने राजनीतिक माहौल को गर्मा दिया है। अब देखना यह होगा कि इस विवाद का आगामी चुनावों पर कितना प्रभाव पड़ता है और पार्टी इसे कैसे संभालती है।
सारांश: (लोकसभा चुनाव) किरण चौधरी का राज्यसभा में चयन और श्रुति चौधरी द्वारा टिकट कटने के आरोप, हरियाणा की राजनीति में नई चर्चा का विषय बने हुए हैं। इस मुद्दे ने पार्टी के आंतरिक मामलों को लेकर सवाल उठाए हैं और यह भविष्य में चुनावी रणनीति पर प्रभाव डाल सकता है।