हरियाणा में 2024 के विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा ने एग्जिट पोल के नतीजों को खारिज कर दिया है। भाजपा के नेता और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का कहना है कि पार्टी ने बहुमत से सरकार बनाने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। इस चुनाव के परिणाम विशेषज्ञों के अनुमान के अनुसार होने की उम्मीद है, जो चुनाव से पहले की धारणा के आसपास ही रहेंगे।

भाजपा का आत्मविश्वास

भाजपा के केंद्रीय मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि उनके कार्यकर्ताओं ने बूथों पर काम किया है और मतदाताओं को प्रेरित किया है। उनका मानना है कि पार्टी इस बार कम से कम 50 सीटें जीतेगी। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का भी कहना है कि हरियाणा के लोग भाजपा के साथ हैं और 8 अक्टूबर को पार्टी स्पष्ट बहुमत से सरकार बनाएगी।

भाजपा के प्रवक्ता प्रवीण आत्रेय ने बताया कि पिछले दस वर्षों में भाजपा ने जो कार्य किए हैं, उसी का नतीजा है कि पार्टी तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है। मतदान के आंकड़े और मतदाताओं का रुख स्पष्ट रूप से भाजपा के पक्ष में है। उन्होंने कहा कि कोई भी किंतु-परंतु नहीं है।

विशेषज्ञों का दृष्टिकोण

हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि हरियाणा के चुनाव परिणाम अपेक्षाकृत ज्यादा चौकाने वाले नहीं होंगे। चुनाव से पहले ही मतदाताओं ने एक धारणा बना ली थी, और मतदान के बाद आए एग्जिट पोल को दरकिनार करने का प्रयास किया जा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, कम मतदान का मतलब यह नहीं है कि लोग सत्ता परिवर्तन नहीं चाहते, लेकिन यह माना जा रहा है कि जब अधिक मतदान होता है, तो सत्ता में बदलाव की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

विशेषज्ञ पम्पा मुखर्जी, राजनीति शास्त्र की चेयरपर्सन, चंडीगढ़, ने कहा कि मतदान से पहले का नरेटिव स्पष्ट था। उन्होंने यह भी बताया कि भाजपा समर्थकों में उदासी देखने को मिली है, जबकि कांग्रेस समर्थकों में उत्साह था। इसलिए यह माना जा रहा है कि भाजपा के समर्थकों का मतदान करने में रुचि कम थी।

मुद्दों की पहचान

चुनाव के मुद्दों को लेकर भी चर्चा चल रही है। क्या केवल जवान, पहलवान और किसान के मुद्दे ही निर्णायक रहे, या फिर कुछ और मुद्दे भी हैं जिन पर लोगों ने ध्यान दिया? यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि हरियाणा की क्षेत्रीय पार्टियों का भविष्य क्या होगा, और कम मतदान का असर किस प्रकार से होगा।

विशेषज्ञों के अनुसार, यदि मतदान प्रतिशत कम है, तो यह सत्ता में बदलाव के लिए एक संकेत हो सकता है। पिछले कुछ चुनावों में देखा गया है कि जब अधिक मतदान हुआ, तब सत्ता में परिवर्तन की संभावना अधिक रही।

कांग्रेस की स्थिति

कांग्रेस पार्टी इस बार जाट और अनुसूचित जातियों का गठजोड़ बनाने में सक्रिय है। पार्टी के संगठन की कमजोरियों के कारण कुछ मतदाता निराश हैं, और यह उनकी चुनावी रणनीति को प्रभावित कर सकता है। पिछली बार कम मार्जिन से 33 सीटें भाजपा के पक्ष में गई थीं, लेकिन इस बार मतदान के अनुसार कांग्रेस को फायदा मिल सकता है।

निर्दलीय और क्षेत्रीय दलों का प्रभाव

निर्दलीय उम्मीदवारों और क्षेत्रीय दलों का इस बार चुनाव पर विशेष प्रभाव हो सकता है। कुछ सीटों पर चौंकाने वाले परिणाम देखने को मिल सकते हैं। इनेलो, बसपा और हलोपा के गठबंधन को भी पार्टी की चुनावी स्थिति पर असर डालने की उम्मीद है।

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