हरियाणा में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र हुड्डा को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट से झटका लगा है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि राज्य सरकार गुरुग्राम में विवादास्पद भूमि सौदों की जांच के लिए गठित जस्टिस एसएन ढींगरा जांच आयोग को जारी रखने का फैसला कर सकती है। इसमें कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा व हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा का नाम शामिल है।
इससे पहले 2019 में हाई कोर्ट की एक खंडपीठ ने माना था कि विवादास्पद भूमि सौदों की जांच करने वाले जस्टिस एसएन ढींगरा आयोग की रिपोर्ट नान-एस्ट यानी अस्तित्व में नहीं है। हालांकि, इस मुद्दे पर खंडपीठ के दोनों जजों के अलग-अलग विचार होने से विचार के लिए तीसरे जज को भेजा था।
अपना मत देते हुए हाई कोर्ट के जज अनिल खेत्रपाल ने स्पष्ट किया कि एसएन ढींगरा आयोग के लिए यह खुला होगा कि वह उस चरण से कार्यवाही जारी रखें, जब जांच आयोग अधिनियम 1952 की धारा 8बी के तहत नोटिस जारी किया जाना आवश्यक था। अब सरकार आयोग को फिर से जांच जारी रखने के लिए कह सकती है।
हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार ने दो सितंबर 2016 की अधिसूचना के माध्यम से जांच करने के लिए आयोग का कार्यकाल समाप्त कर दिया था। हालांकि, इसे 1952 अधिनियम की धारा 7 के तहत जारी अधिसूचना नहीं माना जाएगा। जब आयोग का अस्तित्व समाप्त नहीं हुआ है, तो इसे अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए उपयुक्त सरकार द्वारा पुनर्जीवित किया जा सकता है। सरकार आयोग को फिर से जांच जारी रखने के लिए कह सकती है।
बता दें कि गुरुग्राम के सेक्टर-83 में जमीन के व्यावसायिक उपयोग का लाइसेंस जारी करने में धांधली की जांच के लिए मनोहर सरकार ने मई 2015 में जस्टिस ढींगरा की अगुवाई में एक सदस्यीय आयोग का गठन किया था। रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी का नाम भी जमीन लेने वालों में शामिल होने के कारण इस जांच को बढ़ा दिया गया था।
जिसमें जस्टिस एसएन ढींगरा ने अपनी 182 पेज की रिपोर्ट 31 अगस्त 2016 को तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल को सौंपी थी, लेकिन हाई कोर्ट ने इसे सार्वजनिक करने पर रोक लगा दी थी। भूपेंद्र हुड्डा ने जस्टिस एसएन ढींगरा आयोग की जांच को चुनौती दी थी।