साधुओं को नपुंसक बनाने के मामले में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम की मुश्किलें बढ़ सकती हैं, क्योंकि पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने CBI की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। ये याचिका CBI ने पंचकूला कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ दायर की थी, जिसमें डेरा प्रमुख राम रहीम को इस मामले की डायरी और गवाहों के बयानों की कॉपी सौंपने का आदेश दिया गया था। हाईकोर्ट ने इस याचिका पर 2019 में ट्रायल पर रोक लगा दी थी, जिससे इस मामले का ट्रायल तब से रुका हुआ था। अब इस केस में हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद जल्द ही ट्रायल शुरू हो सकता है। आइए आपको पूरे मामले के बारे में बताते है।
ये मामला साधुओं को नपुंसक बनाए जाने का है, जिसका आरोप डेरा सच्चा सौदा के आश्रम पर लगा है। याचिका में आरोप लगाया गया था कि आश्रम में साधुओं को ईश्वर से मिलाने के नाम पर उन्हें नपुंसक बनाया जा रहा है। याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि वो खुद इसका शिकार हो चुका है, और उसके शरीर में अजीब बदलाव होने लगे थे। इस आरोप के बाद हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए CBI जांच का आदेश दिया था, जिसके बाद सीबीआई ने अपनी जांच शुरू की और निचली अदालत में चार्जशीट पेश की। तब से यह केस पंचकूला की सीबीआई कोर्ट में चल रहा है।
16 फरवरी 2019 को पंचकूला स्थित CBI कोर्ट ने इस केस की डायरी और गवाहों के बयानों की कॉपी डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को देने का आदेश दिया था। CBI ने इस आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। CBI ने अपनी याचिका में कहा था कि गवाहों के बयान और केस की डायरी सौंपने से मामले के सही तरीके से चलने में दिक्कत आ सकती है और इसके कारण जांच प्रभावित हो सकती है। हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए ट्रायल पर रोक लगा दी थी, जो अब तक जारी है।
गुरमीत राम रहीम इस समय हरियाणा की सुनारिया जेल में सजा काट रहे हैं। उन्हें 2017 में अपनी दो शिष्याओं के साथ बलात्कार के आरोप में उम्र भर की सजा सुनाई गई थी। इसके अलावा, उन्हें 2019 में पत्रकार राम चंद्र छत्रपति की हत्या के मामले में भी दोषी पाया गया था। राम रहीम के साथ इस मामले में तीन अन्य आरोपियों को भी दोषी ठहराया गया था।
वहीं, अब हाईकोर्ट के फैसले के बाद इस मामले में ट्रायल फिर से शुरू हो सकता है। यदि हाईकोर्ट का फैसला CBI के पक्ष में आता है और ट्रायल शुरू होता है, तो ये राम रहीम के लिए और भी मुश्किलें खड़ी कर सकता है, क्योंकि इससे उसकी सजा की स्थिति और अधिक जटिल हो सकती है।