अवैध शरणार्थी हमें हर जगह देखने को मिल जाते है। किसी शहर के बाहरी इलाकों में, नदी किनारों पर, बस अड्डे या रेलवे स्टेशन के आस-पास झुग्गी झोपडियां देखने को मिलती है। इन झुग्गियों के खिलाफ लगातार पुलिस भी एक्शन लेती हुई दिखती है, लेकिन होता क्या है कुछ समय बाद या तो उसी जगह पर या फिर उस जगह को छोड़कर किसी दूसरी जगह पर ये झुग्गियां उन्हीं लोगों के साथ हमें दोबारा दिखने लगती है। कानून की अवहेलना कर फिर वही किस्सा शुरू होता है, और इसका भी कोई अंत नहीं है।