छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पंजाब के प्रभारी नियुक्त होने के बाद पहली बार पंजाब के दौरे पर आ रहे हैं। इस दौरे को 2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारी के तौर पर देखा जा रहा है।
हाल ही में हुए उपचुनाव और नगर निगम चुनावों में कांग्रेस के बेहतर प्रदर्शन के बाद पार्टी को 2027 में वापसी की उम्मीद है। पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने कहा कि भूपेश बघेल का अमृतसर साहिब में कई जगहों पर स्वागत किया जाएगा, जहां राज्य भर से कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं का भारी उत्साह देखने को मिलेगा।
बघेल शुक्रवार को अमृतसर जाने के लिए चंडीगढ़ पहुंच रहे हैं, जहां वह पंजाब प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक करेंगे। दो दिवसीय दौरे के बाद वह शनिवार शाम साढ़े सात बजे दिल्ली के लिए रवाना होंगे।
भूपेश बघेल के सामने प्रमुख चुनौतियाँ:
1.गुटबाजी खत्म करना – पार्टी के भीतर नवजोत सिंह सिद्धू, प्रताप सिंह बाजवा, सुखजिंदर रंधावा और चरणजीत सिंह चन्नी जैसे नेताओं को एक मंच पर लाना बघेल के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी।
2.विधानसभा में विपक्ष को मजबूत करना – आम आदमी पार्टी (AAP) के खिलाफ एक मजबूत विपक्ष खड़ा करने के लिए कांग्रेस को आंतरिक संघर्ष से उबरना होगा।
3.2027 विधानसभा चुनाव की तैयारी – आगामी विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस को एक ठोस रणनीति बनानी होगी ताकि पार्टी की स्थिति मजबूत हो सके।
4.रूठे नेताओं को मनाना – पार्टी के कई वरिष्ठ नेता आलाकमान से नाराज हैं। बघेल को इन नेताओं को समझाने और संगठन में सक्रिय भूमिका देने की रणनीति बनानी होगी।
भूपेश बघेल एक जमीनी नेता माने जाते हैं और चुनावी रणनीति बनाने में माहिर हैं। लेकिन पंजाब में कांग्रेस की स्थिति मजबूत करने के लिए उन्हें स्थानीय नेताओं से तालमेल बिठाना होगा और उनकी नाराजगी दूर करनी होगी। अगर वह इसमें सफल होते हैं तो कांग्रेस पंजाब में फिर से मजबूती हासिल कर सकती है, लेकिन अगर गुटबाजी जारी रही तो पार्टी को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।