शराब घोटाले का बेताल अभी भी केजरीवाल के कंधों से उतरने का नाम नहीं ले रहा है एक बार फिर से शराब घोटाले का जिन्न बोतल से बार आ चुका है और आप सुप्रीमो केजरीवाल के लिए मुसीबतें पैदा करने वाला है। क्योंकि दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को LG ने बड़ा झटका दिया है। दरअसल उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने अरविंद केजरीवाल पर आबकारी नीति मामले में मुकदमा चलाने के लिए प्रवर्तन निदेशालय यानि ईडी को मंजूरी दे दी है।
ED का आरोप है कि अरविंद केजरीवाल ने 100 करोड़ रुपये की रिश्वत ली है। बता दें कि ईडी ने 5 दिसंबर को केजरीवाल पर मुकदमा चलाने के लिए एलजी से अनुमति मांगी थी। ईडी ने बताया था कि उसे शराब नीति बनाने और उसे लागू करने में कथित तौर पर भ्रष्टाचार का पता चला है। जिसकी जांच के लिए ED ने एलजी से इजाजत मांगी थी… ईडी ने अभियोजन शिकायत में आरोप लगाया है कि केजरीवाल ने ‘साउथ ग्रुप’ के सदस्यों के साथ मिलकर 100 करोड़ रुपये की रिश्वत ली और ‘टेलर-मेड’ शराब नीति तैयार और उसे लागू करके निजी संस्थाओं को अनुचित लाभ पहुंचाया। इसमें कहा गया है कि साउथ ग्रुप के लिए अलग-अलग शराब की दुकानों में हिस्सेदारी सुनिश्चित की गई और उसे आबकारी नीति 2021-22 के उद्देश्यों के विरुद्ध कई रीटेल जोन रखने की अनुमति दी गई।
ईडी ने शिकायत में यह भी आरोप लगाया कि अपराध की आय से मिले करीब 45 करोड़ रुपये गोवा चुनावों में केजरीवाल की मिलीभगत और सहमति से पार्टी के प्रचार में इस्तेमाल किए गए। जांच एजेंसी के मुताबिक आम आदमी पार्टी अपराध की आय की मुख्य लाभार्थी थी। इसी लिए पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक होने के नाते अरविंद केजरीवाल गोवा चुनावों के दौरान धन के उपयोग को लेकर जिम्मेदार हैं।
वहीं, आम आदमी पार्टी ने इन आरोपों को खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा था कि दो साल की जांच में एक भी पैसा बरामद नहीं हुआ है। पार्टी का कहना है कि तथाकथित शराब घोटाले की जांच दो साल तक चली, 500 लोगों को परेशान किया गया, 50,000 पन्नों के दस्तावेज दाखिल किए गए और 250 से अधिक छापे मारे गए और एक पैसा भी बरामद नहीं हुआ। कई अदालती आदेशों ने मामले में कई खामियां उजागर कीं। भाजपा का असली लक्ष्य किसी भी तरह से आप और अरविंद केजरीवाल को कुचलना था। गौरतलब है कि अरविंद केजरीवाल इस मामले में कई दिनों तक जेल में भी रह चुके हैं।