2020 में कोरोना वायरस महामारी के बाद एस्ट्राजेनेका ने इसकी वैक्सीन तैयार की थी. भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर एस्ट्राजेनेका की दवा कोविशील्ड लॉन्च की है। 2021 में पहली बार निर्मित एस्ट्राजेनेका वैक्सीन (कोविशील्ड) लगातार संदेह में रही है। कई देश 2021 में पहले ही इस वैक्सीन पर रोक लगा चुके हैं. इस वक्त वैज्ञानिक समुदाय में कोविशील्ड की तैयारी की गति को लेकर सवाल उठने लगे थे. फिर जांच यह निर्धारित करने के लिए शुरू हुई कि टीका सुरक्षित है या नहीं। दिल के दौरे के लिए भी वैक्सीन पर सवाल उठाए गए हैं।
एस्ट्राजेनेका वैक्सीन क्या है?
एस्ट्राजेनेका वैक्सीन को भारत में AZD1222 या कोविशील्ड के नाम से जाना जाता है। ये एक वायरल वेक्टर वैक्सीन है जिसे SARS-CoV-2 वायरस से बचाने के लिए डिजाइन किया गया है जो कि कोविड-19 का प्रेरक एजेंट है। इस वायरस के काम करने के तरीके पर बात की जाए तो ये चिंपांजी में पाए जाने वाले एक सामान्य सर्दी के वायरस (एडेनोवायरस) के कमजोर संस्करण का उपयोग करके काम करता है। इसे SARS-CoV-2 वायरस से प्रोटीन के जीन को ले जाने के लिए मॉडीफाई किया गया है। ये शरीर में इंजेक्ट होने के बाद टीका इंसान के इम्यून सिस्टम को एंटीबॉडी बनाने और टी-कोशिकाओं को सक्रिय करने के लिए प्रेरित करता है ताकि इंसान की बॉडी संक्रमित होने की दिशा में इस वायरस से लड़ सके।
भारत में वैक्सीन की एंट्री
पुणे स्थित फार्मा कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने भारत और कुछ दूसरे गरीब देशों के लिए कोविशील्ड वैक्सीन के निर्माण के लिए जनवरी 2021 में एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के साथ डील की। इस साझेदारी के तहत सीरम को भारत और विश्व स्तर पर भारी मांग को पूरा करने के लिए बड़े पैमाने पर वैक्सीन का कोविशील्ड के नाम से उत्पादन करने की अनुमति मिली। कोविशील्ड बनने के बाद भारत में इसके वितरण को भारत सरकार और राज्य सरकारों के सहयोग से सुविधाजनक बनाया गया और लोगों तक टीका पहुंचाया गया।
वैक्सीन के साइड इफेक्ट और प्रतिबंध
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के दुष्प्रभावों को सूचीबद्ध करता है। इसमें हल्के से मध्यम लक्षण शामिल हैं। एस्ट्राजेनेका वैक्सीन प्राप्त करने के बाद रिपोर्ट किए गए दुष्प्रभावों में इंजेक्शन लगने की जगह पर परेशानी, अस्वस्थता महसूस करना, थकान, बुखार, सिरदर्द, बीमार महसूस करना, जोड़ों या मांसपेशियों में दर्द, सूजन, इंजेक्शन स्थल पर लाली, चक्कर आना, नींद आना, पसीना आना, पेट दर्द और बेहोशी शामिल थे। तब कहा गया कि ये दुष्प्रभाव अस्थायी होते हैं और अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता के बिना ठीक हो जाते हैं।
क्या है वैक्सीन पर नया विवाद?
फरवरी में यूके की एक अदालत में जमा किए गए दस्तावेजों में एस्ट्राजेनेका कंपनी ने कहा कि इसके इस्तेमाल से थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (टीटीएस) के साथ थ्रोम्बोसिस नामक एक दुर्लभ दुष्प्रभाव हो सकता है। कंपनी ने कहा है कि वैक्सीन कुछ मामलों में टीटीएस का कारण बन सकती है। दस्तावेज में साथ ही कहा गया है कि टीकाकरण ना होने पर भी टीटीएस हो सकता है। कैम्ब्रिज मुख्यालय वाली ब्रिटिश-स्वीडिश बहुराष्ट्रीय फार्मास्युटिकल और बायोटेक्नोलॉजी कंपनी अब एक क्लास-एक्शन मुकदमे का सामना कर रही है, जिसमें दावा किया गया है कि ये वैक्सीन कई मौतों की वजह बनी है।